मंगलवार, 21 अगस्त 2012

वो इमली का पेड़




१.
खेतों के बीच
हुआ करता था
एक इमली का पेड़
(अब वे खेत ही कहाँ हैं)

२.
सुस्ताया करते थे 
खेत जोतते बैल और हरवाहे 
उस इमली के पेड़ के  नीचे
(अब वे बैल और हरवाहे ही कहाँ हैं )

३.
हुआ करता था 
गौरैया  का घोंसला 
इमली के पेड़ पर 
(अब वे गौरैया  ही कहाँ हैं)

४.
सुना है
कट गया है 
इमली का पेड़
(कोई आश्चर्य नहीं हुआ, लगा यह तो होना  ही था )

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

देश: आपके लिए - हमारे लिए



  
१.

आपके लिए
बनी सड़क
आई बिजली
बने पब्लिक स्कूल
नए नए कालेज
हमारे लिए
हुए हर साल
वादे


२.

आपके लिए
बने नए शहर
हुए निवेश
आयात हुई प्रौद्योगिकी
हमारे लिए
हुए हर साल
नए नए वादे


३.

आपके लिए
सहज हुई नीतियाँ
आसान हुई नीलामियाँ
सरकार बनी गारंटर
हमारे लिए
हुए हर साल
कुछ और नए  वादे


(स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के साथ )

सोमवार, 6 अगस्त 2012

पहाड़ और क़ानून



पहाड़,
पत्थरों पर
जिनका था अधिकार
वे कानून की किताब से
हैं बाहर
उन्हें पढनी नहीं आई
क़ानून की भाषा
और जो भाषा
जानते हैं वे
उस भाषा में
नहीं लिखा जाता है
क़ानून

पेड़
नहीं जानते हैं
कैसे वे कटने के बाद
बदल जाते हैं
प्रीमियम प्रोडक्ट में
वे इतना भर जानते हैं
सूखे और झडे पत्तों को बटोरने
और टहनियों के काटने से
नहीं होता प्रदूषण
नहीं कम होते पेड़
हाँ ! चूल्हा जरुर जलता है
चूल्हे की आग में
नहीं होती बारूदी गंध
बन्दूक सी
समझ कहाँ है इसकी
क़ानून को. 

क़ानून
पेड़ को कटघरे में
खड़ा कर सकता है
क्यों दी  उसने
पहाड़ को घनी  छाया
फल और सूखे पत्ते
क्योंकि
क़ानून में लिख दिया गया है
नहीं चलेगी
पेड़ की मर्ज़ी अपनी