tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post2969216551691225537..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: कल फिर आना प्रथम किरण के साथअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-11320927812504976672010-12-08T02:31:22.709-05:002010-12-08T02:31:22.709-05:00सुंदर भावों से सजी प्रेम में डूबी अभिव्यक्ति ........सुंदर भावों से सजी प्रेम में डूबी अभिव्यक्ति ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-80877282463617900622010-12-07T12:41:39.191-05:002010-12-07T12:41:39.191-05:00फिर लौट आयी तुम ! kitni madhurta hai is ulahne me,...फिर लौट आयी तुम ! kitni madhurta hai is ulahne me,jane ko kahna,jane dene ka man na hona,aur laut aane par anjani ashanka ke chalte ye meetha sa ulahna.....man ki har uljhan ko vyakt kar gayee ye panktiyan.....kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-78310534282041622732010-12-07T11:45:33.015-05:002010-12-07T11:45:33.015-05:00जाओ तुम
मैं भी चलता हूँ
कल ले आऊंगा मैं
कुछ फूल ओ...जाओ तुम <br />मैं भी चलता हूँ<br />कल ले आऊंगा मैं<br />कुछ फूल ओस के <br />भर कर अपनी मुट्ठी में<br />और सजा दूंगा <br />तुम्हारे केशों में<br /><br /><br />अरुण जी, आज भी निशब्द हूँ.. छन्दमुक्त रचनाओं में जो भाव पिरोते है क़ाबिले-तारीफ़ है....रचना बहुत सुंदर बन पड़ी है...बधाई स्वीकार करे...विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-38445718579565556412010-12-07T10:23:31.908-05:002010-12-07T10:23:31.908-05:00बहुत अच्छी रचना है.बहुत अच्छी रचना है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-52290479815217115132010-12-07T09:23:07.126-05:002010-12-07T09:23:07.126-05:00A beautiful and romantic creation !A beautiful and romantic creation !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-20503826590484422010-12-07T08:03:37.491-05:002010-12-07T08:03:37.491-05:00अरे वाह बेहद रोमानी कविता ...हम तो अक्सर इसी मूड म...अरे वाह बेहद रोमानी कविता ...हम तो अक्सर इसी मूड में रहते है मज़ा आ गया ..मान मनुहार पढ़ करsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-81645758924038406882010-12-07T07:17:05.135-05:002010-12-07T07:17:05.135-05:00komal bhavnavon ko kalpana ke par dekar kya chitrk...komal bhavnavon ko kalpana ke par dekar kya chitrkavy racha hai aapki sughar lekhni ne !<br /> isme do ray nahi..kavita hriday se nikli hai.<br /> bahut sundar!सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-65233296733883995942010-12-07T04:29:02.883-05:002010-12-07T04:29:02.883-05:00सुन्दर दिखती कविता वास्तव में सतही है.. गंभीर बिम्...सुन्दर दिखती कविता वास्तव में सतही है.. गंभीर बिम्ब का सर्वथा आभाव है.. प्रकृति पर सुमित्रानंदन पन्त को हिंदी में और अंग्रेजी में वर्डस्वर्थ, शेल्ली, फ्रोस्ट, आर्नोल्ड आदि को पढ़ें अरुण सर ..कुमार पलाशhttps://www.blogger.com/profile/04395975925949663661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-83860086634619472982010-12-07T00:12:40.894-05:002010-12-07T00:12:40.894-05:00जाओ तुम
कल फिर आना
प्रथम प्रभात के साथ
हे चित्र...जाओ तुम <br />कल फिर आना <br />प्रथम प्रभात के साथ<br /><br />हे चित्रकार <br />अपनी भावनाओं को सुंदर रंगों में रंग है तुमने.<br />ये रंग ही तो हैं <br />जो बिखेर दिए तुम कविता में.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-24907758557823565102010-12-06T21:40:44.990-05:002010-12-06T21:40:44.990-05:00... behad khoobsoorat rachanaa !!!... behad khoobsoorat rachanaa !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-89281290705225286272010-12-06T21:14:20.055-05:002010-12-06T21:14:20.055-05:00सुन्दर भावों से सजाया है आपने कविता को.
आपका साध...सुन्दर भावों से सजाया है आपने कविता को. <br /><br />आपका साधुवाद.<br /><br />आपके अपने ब्लॉग पर आपका सदैव स्वागत रहेगा. <br />http://arvindjangid.blogspot.com/Arvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-73103962378556987012010-12-06T14:02:38.655-05:002010-12-06T14:02:38.655-05:00अरुण जी!! आज तो अपने रूमानियत को चाँद की ऊँचाईयों ...अरुण जी!! आज तो अपने रूमानियत को चाँद की ऊँचाईयों तक पहुँचा दिया... मुझे लगा कि मैं ब्लैक एण्ड व्हाइट युग की कोई रोमांटिक फ़िल्म देख रहा हूँ या किसी कंवास पर बनाचित्र जिसमें आपने रंगों की जगह शब्दों को बिठाया है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-29029215269731885212010-12-06T12:25:23.519-05:002010-12-06T12:25:23.519-05:00लौट लौट हम आयेंगे,
आशा नित्य जगायेंगे।लौट लौट हम आयेंगे,<br />आशा नित्य जगायेंगे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-25069454710794674202010-12-06T12:19:00.589-05:002010-12-06T12:19:00.589-05:00मसूर के फूल
नीले नीले से हैं
देखो सो रहे हैं कैस...मसूर के फूल <br />नीले नीले से हैं <br />देखो सो रहे हैं कैसे<br />मानो आसमान सो रहा हो<br />ख़ामोशी से<br />बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण,गज़ब की कल्पनाशीलता. लोगों को साफ दिख रहा है पर मुझे तो सब गड़बड़ ही लग रहा है.माज़रा क्या है ?रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-13648870644412798342010-12-06T11:46:57.308-05:002010-12-06T11:46:57.308-05:00बहुत रूमानी है ...बहुत बहुत बहुत रूमानी है ... एक ...बहुत रूमानी है ...बहुत बहुत बहुत रूमानी है ... एक एक ईमेज कई सौ मेगा पिक्सेल के कैमरा से खींची लग रही है ..इतनी साफ़ दिख रही है इस नज़्म में ....स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-1751689762109997702010-12-06T11:13:44.224-05:002010-12-06T11:13:44.224-05:00इसमें चित्रात्मकता है। आपने बिम्बों से इसे सजाया ह...इसमें चित्रात्मकता है। आपने बिम्बों से इसे सजाया है। चाक्षुष बिम्ब का सुंदर तथा सधा हुआ प्रयोग। बिम्ब पारम्परिक ही नहीं नवीन भी। इस कविता की अलग मुद्रा है, अलग तरह का लय, और अद्भुत मुग्ध करने वाली, विस्मयकारी कविता। <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!</b><br /><a href="http://testmanojiofs.blogspot.com/2010/12/blog-post_06.html" rel="nofollow">विचार-प्रायश्चित</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-39745686476372891742010-12-06T11:04:13.081-05:002010-12-06T11:04:13.081-05:00प्रेमानुभूति और मौसम जाड़े का,सही कहा नाप्रेमानुभूति और मौसम जाड़े का,सही कहा नाKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-13437136994250387802010-12-06T09:41:52.918-05:002010-12-06T09:41:52.918-05:00फिर लौट आयी तुम !
चलो जाओ भी
देखो परिंदों का दल भी...फिर लौट आयी तुम !<br />चलो जाओ भी<br />देखो परिंदों का दल भी<br />लौट आया है<br />अपने अपने घोंसले में<br />जुगनू फैला रहे हैं<br />अपना पंख<br />तैयार हैं<br /><br />सुंदर कल्पनाशीलता है<br />कमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगीसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-27635959493984123892010-12-06T08:21:16.457-05:002010-12-06T08:21:16.457-05:00sir, it is my frst visit on ur blog, but im feelin...sir, it is my frst visit on ur blog, but im feeling a classiness in ur thoughts......kinda difference which nvr seen before......<br />@karan mei aapse purntah sahmat hoo.VIVEK VK JAINhttps://www.blogger.com/profile/15128320767768008022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-33595053719870998312010-12-06T07:59:32.331-05:002010-12-06T07:59:32.331-05:00बहुत रूमानी कविता है यह. कवि के भाव प्राकृतिक उपाद...बहुत रूमानी कविता है यह. कवि के भाव प्राकृतिक उपादानों से पुष्ट हो संप्रेषित हो रहे हैं. प्रणय बेला में भी कवि का मन युगीन भय से आशंकित है. सूफियाना दृष्टिकोण से देखें तो आत्मा-परमात्मा के मिलन में भौतिक अवरोधों का कवि ने सफलतापूर्वक चित्रण किया है. मुझे यह कहते हुए कोई संकोच नहीं अपितु हर्ष है कि अरुणजी की कवितायें अब बिम्बों के आवरण चीरने लगी है.... ! क्लासिक कविता के लिए धन्यवाद !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-57290049872466617472010-12-06T07:46:29.404-05:002010-12-06T07:46:29.404-05:00प्रेमी के भावो और प्रेमिका से विछोह को बहुत ही खूब...प्रेमी के भावो और प्रेमिका से विछोह को बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है…………गज़ब की कल्पनाशीलता है………गीली धूप ,मसूर के नीले फूल और ओस के फूल का बिम्ब बहुत ही सुन्दर बन पडा है । अब तक की एक बहुत ही सुन्दर अहसासों मे भीगी रचना दिल को छू गयी। प्रेमी के मनोभावों का बहुत ही खूबसूरती से चित्रण किया है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com