tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post3737944028292913035..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: छेदवाली थैलीअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-39647153276737340722011-07-11T08:46:14.441-04:002011-07-11T08:46:14.441-04:00सकारात्मक सोच बहुत खूब
बहुत इमानदारी से मन की बात...सकारात्मक सोच बहुत खूब <br />बहुत इमानदारी से मन की बात लिखी है ......!!<br />एक एक शब्द काबिले तारीफ़ है ...!!संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-29601755405557837112011-07-08T02:40:29.976-04:002011-07-08T02:40:29.976-04:00interesting hai ye darshan ...interesting hai ye darshan ...शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-63031259617538849742011-07-07T14:49:01.853-04:002011-07-07T14:49:01.853-04:00sunder prateeko se rachna ko prabhavi banaya hai. ...sunder prateeko se rachna ko prabhavi banaya hai. khoobsurat abhivyakti.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-75910916073580994522011-07-07T11:26:19.143-04:002011-07-07T11:26:19.143-04:00थैली में छेद हैं तो क्या ,आस भी तो है -
न जाने कि...थैली में छेद हैं तो क्या ,आस भी तो है -<br />न जाने किस तरह तो रात भर छप्पर बनातें हैं ,<br />सवेरे ही सवेरे आंधियां फिर लौट आतीं हैं .<br />जीवन संघर्ष कोंग्रेस के उस आम आदमी का जिसकी जेब से वह खुद ही हाथ डाले रहती है मुखरित है कविता में .सपनो के सौदागर सपने बेचतें हैं .ठगा जाता है आस का पंछीvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-88929475456356033122011-07-07T07:44:33.940-04:002011-07-07T07:44:33.940-04:00जो होते संसाधन
भर ही ना जाते
उम्मीदों की थैली के छ...जो होते संसाधन<br />भर ही ना जाते<br />उम्मीदों की थैली के छेद <br />अरुण जी आपने आज के मध्यमवर्गीय-निम्न मध्यमवर्गीय मानव की वेदना को इस काविता के माध्यम से अभिव्यक्त किया है वह दिल को छॊती है। विडम्बना ही है जो श्रम करते हैं उनके भाग्य में हाथ धोना लिखा है पर लिखा को बदलना नहीं लिखा है... क्या कीजिएगा<br />मुट्ठी बन्द किये बैठा हूं कोई देख न ले<br />चांद पकड़ने घर से निकला जुगनू हाथ लगेमनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-71266673315182905632011-07-07T07:00:37.428-04:002011-07-07T07:00:37.428-04:00सुबह होते ही
पलायन नहीं करने की
ठान लेता है वह
चल...सुबह होते ही<br />पलायन नहीं करने की <br />ठान लेता है वह<br />चल पड़ता है<br />लेकर छेद वाली थैली<br />उम्मीदों वाली<br />जबकि पता है उसे<br />थैली में हैं छेद <br />रिस जाना है सबकुछ<br />धीरे धीरे...<br />....<br />भाई जी ये दर्द तो कुछ अपना सा है ..कहीं ना कहीं हम सबके पास वो छेद वाली थैली है ना ?...भाई कैसे भरेगी ये थैली ! जब रोज हो छेद की परिभाषाएं बदलेंगी तो ??आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-38081004387594073882011-07-07T05:41:36.200-04:002011-07-07T05:41:36.200-04:00बहुत सुंदर रचना
क्या बात है।
आपका आभारबहुत सुंदर रचना<br />क्या बात है।<br /><br />आपका आभारमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-89198551558486273572011-07-07T00:37:43.336-04:002011-07-07T00:37:43.336-04:00ummid kya na kar dikhaye...chhed wali thailee me p...ummid kya na kar dikhaye...chhed wali thailee me pani bharne ki koshish bhi ho sakti hai:)<br /><br />kya kahun, sir...aap to har baar ke tarah iss bar bhi niruttar kar gaye:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-53406627149086412682011-07-07T00:23:31.654-04:002011-07-07T00:23:31.654-04:00हर सुबह एक आशा एक मुराद ले उगती है.......बहुत सुन्...हर सुबह एक आशा एक मुराद ले उगती है.......बहुत सुन्दर पोस्ट........शानदार|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-90640066839099901062011-07-06T21:55:15.852-04:002011-07-06T21:55:15.852-04:00छेद को भरने के लिए
करना होता है
एक युद्ध
युद्ध क...छेद को भरने के लिए <br />करना होता है <br />एक युद्ध<br />युद्ध के लिए चाहिए<br />ऊर्जा<br />रणनीति<br />संसाधन ||<br /><br /><br />बहुत बढ़िया ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-3608432683201202352011-07-06T21:42:09.197-04:002011-07-06T21:42:09.197-04:00आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार क...आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.com/2011/07/568.html" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी की गई है! <br />यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-62073036353823638182011-07-06T20:50:00.800-04:002011-07-06T20:50:00.800-04:00छेद को भरने के लिए
करना होता है
एक युद्ध
युद्ध क...छेद को भरने के लिए <br />करना होता है <br />एक युद्ध<br />युद्ध के लिए चाहिए<br />ऊर्जा<br />रणनीति<br />संसाधन<br />और जो होते संसाधन<br />भर ही ना जाते<br />उम्मीदों की थैली के छेद <br /><br />....सुबह होते ही<br />पलायन नहीं करने की <br />ठान लेता है वह<br />चल पड़ता है <br />विषम परिस्थितियों में जीने का जज्बा , सकारात्मक सोच बहुत खूबVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-54301299838848061242011-07-06T20:16:52.460-04:002011-07-06T20:16:52.460-04:00सुंदर पंक्तियाँ ....सकारात्मक सोच की प्रेरणा देती ...सुंदर पंक्तियाँ ....सकारात्मक सोच की प्रेरणा देती हुईं . डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-19755616530046394152011-07-06T13:17:44.803-04:002011-07-06T13:17:44.803-04:00अरुण जी! बचपन में पढ़ा था, शायद बेनीपुरी जी की लाइन...अरुण जी! बचपन में पढ़ा था, शायद बेनीपुरी जी की लाइन थी.. "किस्मत की फटी चादर का कोइ रफूगर नहीं." आज आपने ख्वाहिशों की थैली की छेद दिखाकर एक आम आदमी की वेदना सामने रख दी है.. जिन्हें रफूगर होना था वही चाकू लिए बैठे हैं थैली में छेद करने को!! हालत वही रहने वाले हैं! छू लिया दिल को आपने अरुण जी!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-81520981892810020402011-07-06T10:13:23.526-04:002011-07-06T10:13:23.526-04:00हम सब की कहानी छिपी है आपकी इस रचना में...बधाई स्व...हम सब की कहानी छिपी है आपकी इस रचना में...बधाई स्वीकारें<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-89934272704355791742011-07-06T10:07:07.909-04:002011-07-06T10:07:07.909-04:00सुबह होते ही
पलायन नहीं करने की
ठान लेता है वह
चल ...सुबह होते ही<br />पलायन नहीं करने की<br />ठान लेता है वह<br />चल पड़ता है<br />लेकर छेद वाली थैली<br />उम्मीदों वाली<br />जबकि पता है उसे<br />थैली में हैं छेद <br />रिस जाना है सबकुछ<br />धीरे धीरे<br />Aah! Isse aage kya kahun??kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-91890577038451933102011-07-06T09:45:41.275-04:002011-07-06T09:45:41.275-04:00और जो होते संसाधन
भर ही ना जाते
उम्मीदों की थैली क...और जो होते संसाधन<br />भर ही ना जाते<br />उम्मीदों की थैली के छेद <br /><br /><br />बहुत रहस्यमय और गहन है अरुण भाई.<br />'छेदवाली थैली का भेद' मेरी समझ के बाहर है.<br />संसाधन के अभाव में क्या कहा जाये.<br /><br />कोई बात नहीं,मेरे ब्लॉग पर चले आईयेगा.<br />'सीता जन्म' पर अपने सुविचार प्रकट कर जाईयेगा.<br />भगवान भला करेगा सबका.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-15464656156358611212011-07-06T09:34:54.463-04:002011-07-06T09:34:54.463-04:00नित बनता है,
नित रिसता है,
यह ऊर्जा, उत्साह हमारा।...नित बनता है,<br />नित रिसता है,<br />यह ऊर्जा, उत्साह हमारा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-11169292031956045132011-07-06T09:22:53.385-04:002011-07-06T09:22:53.385-04:00आशा और कर्म से क्या नही सध जाता.आशा और कर्म से क्या नही सध जाता.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-67624380350186032172011-07-06T08:37:31.610-04:002011-07-06T08:37:31.610-04:00बेहतरीन..बेहतरीन..SHAYARI PAGEhttps://www.blogger.com/profile/01709899449717580329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-86714288781922838152011-07-06T08:21:50.568-04:002011-07-06T08:21:50.568-04:00और छेद नहीं भरते हैं
सपनो से
आशाओं से
बहसों से
मुब...और छेद नहीं भरते हैं<br />सपनो से<br />आशाओं से<br />बहसों से<br />मुबाहिसों में <br /><br />छेद को भरने के लिए <br />करना होता है <br />एक युद्ध<br /> bilakul sahee sandesh diyaa aapane. aabhaar.निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-5409269330975948752011-07-06T08:20:43.039-04:002011-07-06T08:20:43.039-04:00बढ़ती मंहगाई के बीच जीने की जद्दोजहद की बड़ी प्रखर र...बढ़ती मंहगाई के बीच जीने की जद्दोजहद की बड़ी प्रखर रूपरेखा खींची है आपने..<br /><br />मर्मस्पर्शी....सार्थक सटीक बेहतरीन...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-12931618798365897772011-07-06T08:02:25.665-04:002011-07-06T08:02:25.665-04:00आभारआभारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-90898426460895836562011-07-06T07:27:55.347-04:002011-07-06T07:27:55.347-04:00बहुत सुन्दर रचनाबहुत सुन्दर रचनाsumanthttps://www.blogger.com/profile/10086783794313253901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-84813758796519478282011-07-06T07:15:46.365-04:002011-07-06T07:15:46.365-04:00नहीं पता था उसे
उसकी थैली में हैं
असंख्य छेद
और छ...नहीं पता था उसे<br />उसकी थैली में हैं<br />असंख्य छेद <br />और छेद नहीं भरते हैं<br />सपनो से<br />आशाओं से<br />बहसों से <br />मुबाहिसों में <br />...... itni gahri soch usi thaili se girti hai...bahut achhi rachnaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com