tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post5192241232530324986..comments2024-02-28T22:00:04.966-05:00Comments on सरोकार: शहर का इतिहासअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-5826770999388434712010-04-15T10:42:42.974-04:002010-04-15T10:42:42.974-04:00उम्दा रचना ...उम्दा रचना ...अंजना https://www.blogger.com/profile/07031630222775453169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-29855007479503742142010-04-15T10:16:26.619-04:002010-04-15T10:16:26.619-04:00सुन्दर रचना है ! बधाई ! यथार्थ का सही चित्रण है । ...सुन्दर रचना है ! बधाई ! यथार्थ का सही चित्रण है । दुनिया ऐसी ही है, यहाँ लढते और मरते हैं सेना पर जीतता है सिकंदर !<br /><br />मेरे ब्लॉग पर आकर टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया ! दुबारा ज़रूर आइयेगा !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-30033103506155611582010-04-14T12:40:45.787-04:002010-04-14T12:40:45.787-04:00पहली बार आपको पढ़ा है !
मार्मिक !
हां लगता है अच...पहली बार आपको पढ़ा है ! <br />मार्मिक ! <br />हां लगता है अच्छे दिल के इन्सान हो !<br />सादरSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-53270048551194054352010-04-14T11:27:47.977-04:002010-04-14T11:27:47.977-04:00सच में अरुण जी यथार्त की कडवी सच्चाई को अपने उन्नत...सच में अरुण जी यथार्त की कडवी सच्चाई को अपने उन्नत प्रवाह और शब्दों की तीखी लय से जो आपने बंधा है अदभुद है<br />सादर<br />प्रवीण पथिक<br />9971969084प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी)https://www.blogger.com/profile/01003828983693551057noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-23980727533886426052010-04-12T21:03:39.407-04:002010-04-12T21:03:39.407-04:00कोई हिसाब नहीं होगा
चट्टानों के बोझ के नीचे
उपजे ...कोई हिसाब नहीं होगा<br />चट्टानों के बोझ के नीचे <br />उपजे बावासीरों का<br />चोट करती रचना, अलग से बिम्ब <br />बहुत सुन्दरM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-71780993132570363002010-04-12T05:52:24.257-04:002010-04-12T05:52:24.257-04:00प्राचीरों की नीव में
द्फ्ने
सपनो
हंसी
पसीनो का
कोई...प्राचीरों की नीव में<br />द्फ्ने<br />सपनो<br />हंसी<br />पसीनो का<br />कोई हिसाब<br />नहीं होगा<br />हां<br />हिसाब होगा<br />सीमेंट की बोरियों का।<br /><br />आक्रोश उस समाज के प्रति जो आज को एक धुंधले इतिहास मे बदलता देख रहा है पर कुछ कर नहीं रहा उसके संगरक्षण के लिए... बहुत सटीक रचना है...Rajat Narulahttps://www.blogger.com/profile/18074987075863492261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-39500245473712790892010-04-12T03:08:36.876-04:002010-04-12T03:08:36.876-04:00नीवं के पत्थरों की नीयति ही है दफ़न होकर सतह पर खड...नीवं के पत्थरों की नीयति ही है दफ़न होकर सतह पर खड़ी ईमारत को ताकत और संबल प्रदान करना.अगर हासिये पर लोग नहीं रखे जायेंगे तो न तो सहर होगा और न ही शहर का इतिहास.इस सचका कोई विकल्प नहीं है.जीवन की सच्चाई को बयां करती एक बेहद सुंदर रचना .Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-23205976451469019302010-04-12T02:28:45.868-04:002010-04-12T02:28:45.868-04:00नहीं सुनी जायेगी
चौकीदार की फ़रियाद
जो पत्नी को ना...नहीं सुनी जायेगी <br />चौकीदार की फ़रियाद<br />जो पत्नी को ना ले जा पाया <br />समय पर हॉस्पिटल <br />और रास्ते में ही<br />दम तोड़ दी थी वह<br />पहले बच्चे को जन्म देते हुए।<br /> बहुत बेहतरीन प्रस्तुती.मन के भाव कितनी सहजता के साथ सामने आये है.जीवन का सत्य यही है उसे ऐसे ही स्वीकारना पड़ेगा पर ऐसा न हो इसके लिए प्रयत्न शील भी होने की जरुरत हैरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-88988725505668781232010-04-10T01:25:49.467-04:002010-04-10T01:25:49.467-04:00प्राचीरों की नीव में
द्फ्ने
सपनो
हंसी
पसीनो का
कोई...प्राचीरों की नीव में<br />द्फ्ने<br />सपनो<br />हंसी<br />पसीनो का<br />कोई हिसाब<br />नहीं होगा<br />हां<br />हिसाब होगा<br />सीमेंट अस्पताल बोरियों का.....<br /><br />शब्दों में धार है और गहरी पकड़ भी ......सशक्त रचना ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-58375277228440258122010-04-09T20:55:52.509-04:002010-04-09T20:55:52.509-04:00सच्चाई उजागर कर दी आपने रचना के माध्यम से.सच्चाई उजागर कर दी आपने रचना के माध्यम से.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-46055012647274241512010-04-09T14:31:46.825-04:002010-04-09T14:31:46.825-04:00कटु यथार्थ की कविता !!!कटु यथार्थ की कविता !!!सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.com