tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post5738189059488946710..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: सुस्ता रही धूप ओसारे परअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-31209421373945760422010-08-20T08:08:20.795-04:002010-08-20T08:08:20.795-04:00तुम जो
आयी आँगन
मेरे सावन
देखो धूप भी
सुस्ता रही
ओ...तुम जो<br />आयी आँगन<br />मेरे सावन<br />देखो धूप भी<br />सुस्ता रही<br />ओसारे पर। <br /><br />कितनी सहजता से आप प्रेम को लिखते हैं !सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-58670779314720378452010-08-20T07:48:49.689-04:002010-08-20T07:48:49.689-04:00प्रिय भाई आज पहली बार
आपके ब्लाग पर आना हुआ। आपक...प्रिय भाई आज पहली बार<br /> आपके ब्लाग पर आना हुआ। आपकी कविताएं पढ़कर लगा कि मैंने आने में देर कर दी। चलिए देर आयद दुरुस्त आए। आपकी दो कविताएं अभी ध्यान से पढ़ी। एक यही और दूसरी मजदूर औरतों की पीठ। दोनों ही बहुत गहरे तक छूती हैं। पर अन्यथा न लें, मुझे लगता है कविताओं में थोड़ी कसावट की जरूरत है। अगर आप खुद ही कविताओं को दो तीन बार बहुत ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको यह बात समझ आएगी। साथ ही साथ जो बिम्ब आप ले रहे हैं,उनकी तार्किकता भी। <br />देखिए प्रस्तुत कविता में मैंने संपादन का प्रयास किया है। शायद आपको उचित लगे-<br /><br />मन का पेड़<br />हरा हो गया है<br />नव पल्लव<br />आ गए हैं<br />जो तुमने<br />ए़क बार<br />नेह के जल से<br />सींचा इसकी जड़ों को<br /><br />इन्द्रधनुषी रंग लिए<br />विस्तृत आसमान देख<br />मन के पेड़ पर<br />खिल रहे हैं पुष्प<br />तुमने जो<br />निहारा इन्हें<br /><br />हिलोरें<br />ले रही है<br />मन की डाल<br />तुमने जो<br />झल दिया जरा<br />अपना आँचल<br />इसके ऊपर<br /><br />तुम जो<br />आयी <br />मेरे आँगन<br />देखो धूप भी<br />सुस्ता रही<br />ओसारे परराजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-19768018408795619792010-08-20T07:20:40.404-04:002010-08-20T07:20:40.404-04:00: वाह्……………बहुत ही सुन्दर बिम्ब प्रयोग्……………क्या ...: वाह्……………बहुत ही सुन्दर बिम्ब प्रयोग्……………क्या खूब लिखा है………नेह जल के सींचने से ही तो पुष्पित पल्लवित होता है मन का आँ गन ……हर डाल का हरा होना उसी पर तो निर्भर करता है……………।बेहद उम्दा भाव पिरोये हैं और ऐसा लगा जैसे जो मैने रचना लिखी है जैसे उसका ही जवाब आपने लिख दिया हो…………"सावन कितना बरस ले "…………बेहद उम्दा भाव्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-1317817878795761352010-08-20T04:31:31.461-04:002010-08-20T04:31:31.461-04:00बहुत सुन्दर रचना, very innocent expression, some t...बहुत सुन्दर रचना, very innocent expression, some time it happens that we feel lethargic and nature also give permission to laid back relax...Rajat Narulahttps://www.blogger.com/profile/18074987075863492261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-61431648265906142792010-08-19T16:39:23.251-04:002010-08-19T16:39:23.251-04:00बहुत सुन्दर रचना ...कोमल भावों को कहती हुईबहुत सुन्दर रचना ...कोमल भावों को कहती हुईसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-45760589872373329642010-08-19T10:47:26.129-04:002010-08-19T10:47:26.129-04:00सुन्दर कविता .सुन्दर कविता .निर्मल गुप्त https://www.blogger.com/profile/14476315180256137151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-64411791882755569972010-08-19T10:26:39.652-04:002010-08-19T10:26:39.652-04:00देखो धूप भी
सुस्ता रही
ओसारे पर
बहुत खूबसूरती से ...देखो धूप भी<br />सुस्ता रही<br />ओसारे पर <br />बहुत खूबसूरती से संजोया है प्यार का हर इक मोतीरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-76286742345911788392010-08-19T10:06:24.338-04:002010-08-19T10:06:24.338-04:00एक अलग भाव दिया है आपने……………सुन्दर रचना।एक अलग भाव दिया है आपने……………सुन्दर रचना।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-85135834598266347532010-08-19T10:05:25.395-04:002010-08-19T10:05:25.395-04:00तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति -...तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-83371442705362713842010-08-19T10:04:32.137-04:002010-08-19T10:04:32.137-04:00गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-24617830772425743392010-08-19T09:11:39.845-04:002010-08-19T09:11:39.845-04:00सुन्दर प्रारूप हर्ष का।सुन्दर प्रारूप हर्ष का।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-60908664964547857062010-08-19T05:20:32.712-04:002010-08-19T05:20:32.712-04:00तुम जो
आयी आँगन
मेरे सावन
देखो धूप भी
सुस्ता रही
ओ...तुम जो<br />आयी आँगन<br />मेरे सावन<br />देखो धूप भी<br />सुस्ता रही<br />ओसारे पर --<br />Bimb ke sahare behad kubsoorati se kiye gaye manvikaran ne kavita ko samane kada kar diya.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-17800852836162258722010-08-19T05:14:21.815-04:002010-08-19T05:14:21.815-04:00देखो धूप भी
सुस्ता रही
ओसारे पर
ये लाइन तो कमाल है...देखो धूप भी<br />सुस्ता रही<br />ओसारे पर<br />ये लाइन तो कमाल है!<br />अब इसके बाद कुछ तो मन करता इस ओसारे वाले आंगन में खाटीया डाल कर लेटे रहें.......मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-37091902554734713902010-08-19T02:17:59.303-04:002010-08-19T02:17:59.303-04:00aapki indradhanushi kavita...............shandaar ...aapki indradhanushi kavita...............shandaar hai..:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-8991903892445547192010-08-18T23:12:38.847-04:002010-08-18T23:12:38.847-04:00तुम जो
आयी आँगन
मेरे सावन
देखो धूप भी
सुस्ता रहा...तुम जो <br />आयी आँगन<br />मेरे सावन<br />देखो धूप भी <br />सुस्ता रहा <br />ओसारे पर.......gr8रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com