tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post6263983854672220847..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: कैलेण्डरअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-29922206087927685972010-12-31T04:26:50.413-05:002010-12-31T04:26:50.413-05:00पुराने वर्ष के कैलेण्डर में
नहीं बसी हैं
कुछ मधु...पुराने वर्ष के कैलेण्डर में <br />नहीं बसी हैं <br />कुछ मधुर स्मृतियाँ<br />कुछ रक्तरंजित चेहरे <br />कुछ इतिहास <br />कुछ युद्ध<br />कुछ जीत <br />कुछ हार <br />कुछ अनकही <br />कुछ कहासुनी <br />फिर भी जगह देने के लिए <br />भविष्य को <br />होता ही है विस्थापित अतीत . <br />पुराने वर्ष का कैलेंडर भी. <br />bahut achhi kavitaविनीत उत्पलhttps://www.blogger.com/profile/10187277796958778493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-13969495310869847222010-12-30T12:19:12.430-05:002010-12-30T12:19:12.430-05:00नव वर्ष की शुभकामनायें।
खूबसूरत स्पर्श दो वर्षों ...नव वर्ष की शुभकामनायें।<br />खूबसूरत स्पर्श दो वर्षों का।<br />'एक तारीख <br />उठा ली है मैंने'<br /><br />ने याद दिलायी मेरे एक मित्र गीतकार मनहर 'परदेसी' के गीत की जिसमें उनहोंने कहा था:<br />उड़ता है तो उड़ जाने दो कैलेंडर<br />मैने उनसे मिलने की तारीख चुरा ली है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-65615327790204383172010-12-30T11:58:57.422-05:002010-12-30T11:58:57.422-05:00sunder rachna, gehrai liye.
shubhkamnayen!sunder rachna, gehrai liye.<br /><br />shubhkamnayen!prritiy----snehhttps://www.blogger.com/profile/15786805769915315081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-65679395672669435892010-12-30T08:25:41.849-05:002010-12-30T08:25:41.849-05:00अच्छे शब्द ...यादें...और अच्छा चुनाव एक बढ़िया रचन...अच्छे शब्द ...यादें...और अच्छा चुनाव एक बढ़िया रचना का निर्माण करने में सदैव समर्थ रही हैं ! हार्दिक शुभकामनाये आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-56131939371117328462010-12-30T08:19:55.187-05:002010-12-30T08:19:55.187-05:00क्या बात कही...वाह !!!
सुलझे और अद्वितीय ढंग से आ...क्या बात कही...वाह !!!<br /><br />सुलझे और अद्वितीय ढंग से आपने बात रख दी...<br /><br />मनोहर सुन्दर रचना...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-33517527679689623052010-12-30T04:36:43.179-05:002010-12-30T04:36:43.179-05:00नहीं होते हैं महज तारीख
गड़े होते हैं उसमे
कई मील क...नहीं होते हैं महज तारीख<br />गड़े होते हैं उसमे<br />कई मील के पत्थर <br />होते हैं दर्ज कई हस्ताक्षर<br />कुछ सुनहरी स्याही में<br />कुछ स्याही के रंग होते हैं काले <br /><br />एक सच कविता में ढल गया <br />आप को नए वर्ष की शुभकामनाएंइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-23354613539901414992010-12-30T03:37:27.749-05:002010-12-30T03:37:27.749-05:00फिर भी जगह देने के लिए
भविष्य को
होता ही है विस्...फिर भी जगह देने के लिए<br />भविष्य को <br />होता ही है विस्थापित अतीत .<br />पुराने वर्ष का कैलेंडर भी. <br /><br />जीवन की सच्चाई को रेखांकित करती हुई पंक्तियाँ.<br />बढ़िया अभिव्यक्तिrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-65502164083140823362010-12-30T03:27:18.212-05:002010-12-30T03:27:18.212-05:00मैं भी निकल आई हूँ पुराने कैलेण्डर से... बस पाँव न...मैं भी निकल आई हूँ पुराने कैलेण्डर से... बस पाँव निकलना बाकी है...<br />पर मुझे दुःख भी है कि ये वर्ष बीत क्यूं रहा है... पर अब भविष्य को विस्थापित भी तो करना है...<br />आगंतुक के लिए ढेर सारी हार्दिक बधाइयाँ...<br />many-many beat wishes for the upcoming year... to you and family...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-74748771262963669892010-12-30T00:49:06.798-05:002010-12-30T00:49:06.798-05:00बहुत खूबसूरत रचना है.
आप सभी को नए साल की हार्दिक ...बहुत खूबसूरत रचना है.<br />आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएंसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-66582364003605746262010-12-30T00:29:19.903-05:002010-12-30T00:29:19.903-05:00blikul sahi kaha arun sir aapne...naye ko jagah de...blikul sahi kaha arun sir aapne...naye ko jagah dene ke liye purane ko visthapit karna hi hota hai...acchi kavita hai...स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-45975223011426168092010-12-29T20:54:21.975-05:002010-12-29T20:54:21.975-05:00पुराना कैलेण्डर हटाना ही होता है , इससे जुडी कितने...पुराना कैलेण्डर हटाना ही होता है , इससे जुडी कितने ही यादगार तारीखें हो तब भी ...<br />नए पुराने के द्वंद्व को खूब दरसाया आपने कविता में !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-56575821925339394112010-12-29T12:40:04.981-05:002010-12-29T12:40:04.981-05:00वर्षों का आना जाना कृत्रिम सीमांकन लगता है। हर दिन...वर्षों का आना जाना कृत्रिम सीमांकन लगता है। हर दिन का प्रारम्भ जीवन का द्योतक है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-51501895745710680982010-12-29T12:25:48.950-05:002010-12-29T12:25:48.950-05:00... saargarbhit rachanaa !!!... saargarbhit rachanaa !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-57599934230915065082010-12-29T11:44:31.130-05:002010-12-29T11:44:31.130-05:00बहुत खूबसूरत रचना है.
आप सभी को नए साल की हार्दिक ...बहुत खूबसूरत रचना है.<br />आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएंशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-32701412907662549032010-12-29T10:34:29.559-05:002010-12-29T10:34:29.559-05:00अतीत का विस्थापित होना , भविष्य को जगह देने हेतु.....अतीत का विस्थापित होना , भविष्य को जगह देने हेतु....<br />सुन्दर सतत प्रक्रिया सा जारी है!<br />सुन्दर गहन अभिव्यक्ति!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-74143919472067511472010-12-29T09:38:23.968-05:002010-12-29T09:38:23.968-05:00फिर भी जगह देने के लिए
भविष्य को
होता ही है वि...फिर भी जगह देने के लिए <br />भविष्य को <br />होता ही है विस्थापित अतीत . <br />पुराने वर्ष के कैलेंडर भी. <br /><br />विगत और आगत के सेतु जिन पर समय भी चलता है साथ साथ... गहन एहसासों को समेटे,बेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति.आभार.<br />आप को सपरिवार नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं.<br />सादर, <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-18088358593349720772010-12-29T09:19:43.851-05:002010-12-29T09:19:43.851-05:00विगत और आगत के बीच सेतु निर्मित करती यह कविता,समय ...विगत और आगत के बीच सेतु निर्मित करती यह कविता,समय की छाती पर हस्ताक्षर है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-92089364509777310822010-12-29T09:19:23.462-05:002010-12-29T09:19:23.462-05:00दस्तावेज बन जाता है
पुराने वर्ष का कैलेण्डर
क्यो...दस्तावेज बन जाता है <br />पुराने वर्ष का कैलेण्डर <br />क्योंकि उसके कुछ तारीख <br />नहीं होते हैं महज तारीख <br />गड़े होते हैं उसमे<br />कई मील के पत्थर <br /><br />सचमुच, अतीत व्यतीत नहीं होता...<br />समय की सड़क पर मील के पत्थर बन जाते हैं, वर्ष के टुकड़े।<br /><br />अत्यंत प्रभावशाली रचना।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-39384782026227045982010-12-29T08:35:40.884-05:002010-12-29T08:35:40.884-05:00फिर भी जगह देने के लिए
भविष्य को
होता ही है वि...फिर भी जगह देने के लिए <br />भविष्य को <br />होता ही है विस्थापित अतीत . <br />पुराने वर्ष के कैलेंडर भी. <br /><br />बहुत गहन अभिव्यक्ति..भविष्य के लिए विस्थापित होना ही होता है अतीत को..निशब्द कर दिया इतनी सुन्दर प्रस्तुति ने. नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनायें..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-87819885264174317562010-12-29T08:31:57.035-05:002010-12-29T08:31:57.035-05:00अरुण जी अच्छी कविता है . बधाई . डॉ . मुकेश गौ...अरुण जी अच्छी कविता है . बधाई . डॉ . मुकेश गौतम, मुंबई .अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-49379795968033045672010-12-29T07:29:56.506-05:002010-12-29T07:29:56.506-05:00"कई बार
दस्तावेज बन जाता है
पुराने वर्ष का कै..."कई बार<br />दस्तावेज बन जाता है<br />पुराने वर्ष का कैलेण्डर<br />क्योंकि उसके कुछ तारीख<br />नहीं होते हैं महज तारीख<br />गड़े होते हैं उसमे<br />कई मील के पत्थर"<br />ये कविता भी मील का पत्थर बनकर उभरी है.बहुत-बहुत बधाई इस रचना के लिए और अतीत को साथ लेकर चलने की सोच के लिए. सकारात्मक सोच से उपजी एक सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-71469410086904222682010-12-29T07:00:21.400-05:002010-12-29T07:00:21.400-05:00यही ज़िन्दगी का सच है……………हम अतीत की सुखद यादो को भ...यही ज़िन्दगी का सच है……………हम अतीत की सुखद यादो को भविष्य मे ले जाना चाह्ते हैं और वो ही हमारे जीवन का दस्तावेज़ बन जाती हैं…………बेहद उम्दा प्रस्तुति…………द्वंद से बाहर निकल कर भविष्य की ओर देखने को प्रेरित करती सुन्दर रचना।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-85741497619109544212010-12-29T06:54:23.886-05:002010-12-29T06:54:23.886-05:00आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (30/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br />http://charchamanch.uchcharan.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-57568860384920655762010-12-29T06:31:43.584-05:002010-12-29T06:31:43.584-05:00फिर भी जगह देने के लिए
भविष्य को
होता ही है वि...फिर भी जगह देने के लिए <br />भविष्य को <br />होता ही है विस्थापित अतीत . <br />पुराने वर्ष के कैलेंडर भी.<br /><br />मुझे सादगी और सरल तरीक़े से अपनी बात कहना अच्छा लगता है.इस लिहाज से आपकी उपर्युक्त पंक्तियाँ पसंद आयीं.नया साल मंगलमय होKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-18322949619847100062010-12-29T06:25:15.365-05:002010-12-29T06:25:15.365-05:00निकल आया हूँ मैं
नए और पुराने कैलेंडर के
संक्रमण क...निकल आया हूँ मैं<br />नए और पुराने कैलेंडर के<br />संक्रमण काल से<br />मिट गया है<br />मेरा द्वन्द भी. <br />xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx<br />समय गतिशील है ...हमें उसकी नजाकत को समझना चाहिए .....बहुत सुंदरकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.com