tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post716056167614060596..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: बदल गया है विजय चौक का चरित्रअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-69842453573193530432012-02-03T06:01:50.083-05:002012-02-03T06:01:50.083-05:00यहाँ के फव्वारे
सालो भर चलते हैं
गरीबी रेखा के न...यहाँ के फव्वारे <br />सालो भर चलते हैं <br />गरीबी रेखा के नीचे वाले<br />नलकूप की तरह<br />सूखते नहीं हैं ये....<br />...<br />आपकी शैली में एक करारी चोट इस बार विजय चौक फ़तेह !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-25366714396814079362012-01-25T05:00:04.876-05:002012-01-25T05:00:04.876-05:00क्या कहूँ.....
बहुत ही सटीक...
एक अपार पीड़ादायक...क्या कहूँ.....<br /><br />बहुत ही सटीक...<br /><br />एक अपार पीड़ादायक सत्य...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-87115300235192935842012-01-24T21:38:51.386-05:002012-01-24T21:38:51.386-05:00सत्य इतनी शालीनता और सुन्दरता से चित्रित किया सटीक...सत्य इतनी शालीनता और सुन्दरता से चित्रित किया सटीकसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-43252758845673708692012-01-24T10:12:38.429-05:002012-01-24T10:12:38.429-05:00बहुत सटीक और सुन्दर प्रस्तुति..बहुत सटीक और सुन्दर प्रस्तुति..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-101772823325936342012-01-24T05:18:52.879-05:002012-01-24T05:18:52.879-05:00bilkul sach... din badle ... to fizayen bhi badli....bilkul sach... din badle ... to fizayen bhi badli.... !! vijay chauk ka rutba bhi badla..मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-42949764616922028572012-01-24T04:59:34.561-05:002012-01-24T04:59:34.561-05:00शानदार और लाजवाब है पोस्ट |शानदार और लाजवाब है पोस्ट |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-27786824783073499482012-01-24T03:41:05.738-05:002012-01-24T03:41:05.738-05:00बदलाव का सटीक व सार्थक विश्लेषण किया है आपने इस प्...बदलाव का सटीक व सार्थक विश्लेषण किया है आपने इस प्रभावी रचना में जो दृश्य सा गुजरता है ..आपका आभार..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-53059181398906027462012-01-23T23:07:51.645-05:002012-01-23T23:07:51.645-05:00कबूतर की जगह कौवों ने अड्डा जमा लिया है...!
सच्चाई...कबूतर की जगह कौवों ने अड्डा जमा लिया है...!<br />सच्चाई उतर आई है पंक्तियों में।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-68560210548087692332012-01-23T20:26:08.595-05:002012-01-23T20:26:08.595-05:00इशारों इशारों में गहरी बात!इशारों इशारों में गहरी बात!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-57329109106338362342012-01-23T13:10:53.571-05:002012-01-23T13:10:53.571-05:00कबूतरों के स्थान पर आसीन होते कौवे.. बस इन दो प्रत...कबूतरों के स्थान पर आसीन होते कौवे.. बस इन दो प्रतीकों में सारी बात समेट दी है आपने.. कुछ भी कहना शेष नहीं!! शानदार!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-74463833482445842032012-01-23T12:19:27.133-05:002012-01-23T12:19:27.133-05:00करण समस्तीपुरी ने आपकी पोस्ट " बदल गया है विज...करण समस्तीपुरी ने आपकी पोस्ट " बदल गया है विजय चौक का चरित्र " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:<br /><br />अरुण जी,<br /><br />बहुत दिनों बाद आज आफ़िसियली फ़ुर्सत में हूँ। आपकी कविता ने दिन भर सोचने की खुराक भी दे दी है। समाज से सापेक्षता तो आपकी कविता की विशेषता शुरी से ही रही है, आज ऐसा लग रहा है कि आपके शिल्प में भी सरलीकरण हो गया है (कहीं यह बहुत दिनों बाद आपके ब्लाग पर आने का असर तो नहीं है यह मेरे लिए?)।<br /><br />"समय था एक<br />जब इन फव्वारों पर<br />कबूतर सुस्ताते थे<br />प्यास बुझाते थे<br />बिना भय<br />फडफडाते थे अपने पंख<br />जबकि इन दिनों<br />खदेड़ दिए गए हैं<br />और कौवों ने<br />बना लिया है अड्डा."<br /><br />यूँ तो इस कविता में आप राइट फ़्राम द वेरी फ़्रस्ट बाल शानदार खेल रहे हैं लेकिन आखिरी गेंद पर क्या जोरदार विनिंग सिक्सर मारा है। कायल हो गया हूँ इस व्यंग्य का।<br /><br />धन्यवाद स्वीकार करें !अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-53669763601620176602012-01-23T11:59:18.254-05:002012-01-23T11:59:18.254-05:00दुखदायी परिवर्तन ....!!
बीते हुए दिन याद दिला दिए ...दुखदायी परिवर्तन ....!!<br />बीते हुए दिन याद दिला दिए आपने ....दिल्ली आने की ,विजय चौक देखने की इच्छा प्रबल हो गयी ...Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-53878469959015538942012-01-23T11:05:50.908-05:002012-01-23T11:05:50.908-05:00kavita ne achanak mod liya aur ek sachchi haqueeka...kavita ne achanak mod liya aur ek sachchi haqueekat kah gayee...sundar rachna..kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-82675880606784295952012-01-23T10:41:07.636-05:002012-01-23T10:41:07.636-05:00विजय चौक का इतना सुंदर और ऐतिहासिक विवरण सुंदर कवि...विजय चौक का इतना सुंदर और ऐतिहासिक विवरण सुंदर कविता के माध्यम से बहुत बढ़िया लगा. बधाई.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-18858496825585563212012-01-23T10:02:35.691-05:002012-01-23T10:02:35.691-05:00कविता की शुरूआत अच्छी है। कविता भी बहुत कुछ कहती ...कविता की शुरूआत अच्छी है। कविता भी बहुत कुछ कहती है। पर <br />यहाँ के फव्वारे....से .....बना लिया है अड्डा... तक की पंक्तियों की जरूरत ही नहीं है। वास्तव में ये पंक्तियां एक नई कविता का आरंभ हैं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-223339045760665382012-01-23T06:41:09.014-05:002012-01-23T06:41:09.014-05:00ऐसे अनेक बदलाव आ रहे हैं देश के वातावरण में जो किस...ऐसे अनेक बदलाव आ रहे हैं देश के वातावरण में जो किसी भी दृष्टि से चिंताजनक हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-90668124649943029412012-01-23T06:36:20.627-05:002012-01-23T06:36:20.627-05:00कौवो ने बना लिया है अड्डा ... सच कहा है अब बेचारे ...कौवो ने बना लिया है अड्डा ... सच कहा है अब बेचारे कबूतर कहें नज़र नहीं आते बस कांव कांव ही नज़र आती है ... दूर दृष्टि ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-26363213161635499822012-01-23T06:07:29.671-05:002012-01-23T06:07:29.671-05:00सच का सच्चा दृश्य.सच का सच्चा दृश्य.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-14646895008286290882012-01-23T04:29:32.167-05:002012-01-23T04:29:32.167-05:00यह बदलाव तो गहराता जा रहा है।यह बदलाव तो गहराता जा रहा है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-11285814576981815002012-01-23T04:26:40.642-05:002012-01-23T04:26:40.642-05:00सार्थक व सटीक अभिव्यक्ति ।सार्थक व सटीक अभिव्यक्ति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-3477748821828246272012-01-23T04:22:59.228-05:002012-01-23T04:22:59.228-05:00अरुण जी,
बहुत दिनों बाद आज आफ़िसियली फ़ुर्सत में ...अरुण जी,<br /><br />बहुत दिनों बाद आज आफ़िसियली फ़ुर्सत में हूँ। आपकी कविता ने दिन भर सोचने की खुराक भी दे दी है। समाज से सापेक्षता तो आपकी कविता की विशेषता शुरी से ही रही है, आज ऐसा लग रहा है कि आपके शिल्प में भी सरलीकरण हो गया है (कहीं यह बहुत दिनों बाद आपके ब्लाग पर आने का असर तो नहीं है यह मेरे लिए?)। <br /><br />"समय था एक <br />जब इन फव्वारों पर<br />कबूतर सुस्ताते थे<br />प्यास बुझाते थे<br />बिना भय<br />फडफडाते थे अपने पंख <br />जबकि इन दिनों <br />खदेड़ दिए गए हैं <br />और कौवों ने <br />बना लिया है अड्डा."<br /><br />यूँ तो इस कविता में आप राइट फ़्राम द वेरी फ़्रस्ट बाल शानदार खेल रहे हैं लेकिन आखिरी गेंद पर क्या जोरदार विनिंग सिक्सर मारा है। कायल हो गया हूँ इस व्यंग्य का।<br /><br />धन्यवाद स्वीकार करें !करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-3209188925202643842012-01-23T04:00:45.435-05:002012-01-23T04:00:45.435-05:00और कौवों ने
बना लिया है अड्डा.behatar prastuti ! ...और कौवों ने <br />बना लिया है अड्डा.behatar prastuti ! neta ji ko sat - sat namanG.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-65924187887727015402012-01-23T03:50:51.641-05:002012-01-23T03:50:51.641-05:00जहां खास लोग आम आदमी की बात करते हैं... जरूरी नहीं...जहां खास लोग आम आदमी की बात करते हैं... जरूरी नहीं सभी बतिआते हैं - कुछेक सो भी जाते हैं.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-3096934898331038012012-01-23T02:47:15.977-05:002012-01-23T02:47:15.977-05:00सार्थकता से सच्ची तस्वीर उपस्थित करती कविता के लिए...सार्थकता से सच्ची तस्वीर उपस्थित करती कविता के लिए बधाई!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-85918049438776014172012-01-23T02:46:22.708-05:002012-01-23T02:46:22.708-05:00आम आदमी की बेहतरी के लिए जिन्हें कटिबद्ध होना था व...आम आदमी की बेहतरी के लिए जिन्हें कटिबद्ध होना था वे ही आम आदमी की दुर्दशा का कारण है!<br />कैसी विडम्बना है!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.com