tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post7257700521410318989..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: रास्तेअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-65886819137925079292011-07-20T03:18:20.818-04:002011-07-20T03:18:20.818-04:00यह रास्ता
वापिस नहीं लौटता
पीछे की ओर नहीं चलता
बस...यह रास्ता<br />वापिस नहीं लौटता<br />पीछे की ओर नहीं चलता<br />बस एक ओर चलता है<br />अपने मद में<br />....<br />मगर भाई जी संसद मार्ग नही ..महबूब के डगर तक<br />अब ये बात अलग है की सबके महबूब और सब की चाहतें अलग अलग हो सकती हैं.आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-53876187928024347952011-07-18T06:27:01.833-04:002011-07-18T06:27:01.833-04:00सुंदर सटीक अभिव्यक्ति.. ....सुंदर सटीक अभिव्यक्ति.. ....स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-59247204788135142892011-07-17T08:15:12.039-04:002011-07-17T08:15:12.039-04:00इस रास्ते पर
चलने के लिए
बने हैं कुछ
अघोषित नियम...इस रास्ते पर <br />चलने के लिए<br />बने हैं कुछ <br />अघोषित नियम <br />जिनकी चर्चा ऐसे खुले में <br />होती नहीं <br /><br /><br />एक दम सोलह आने सही बात वो भी डंके की चोट परwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-63954780769635845382011-07-17T04:41:50.843-04:002011-07-17T04:41:50.843-04:00बिना किसी बनाव-शृंगार के सीधे-सरल शब्दों में अधिक ...बिना किसी बनाव-शृंगार के सीधे-सरल शब्दों में अधिक घनत्व वाली बात कविता में कह देना आपकी विशेषता है।<br />यह बेजोड़ कविता आखि़री शब्द तक पाठक को बांध कर रखती है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-25399497316116675802011-07-16T23:54:19.437-04:002011-07-16T23:54:19.437-04:00मंजिल अपनी जगह है ,रास्ते अपनी जगह
पर कदम ही लड़खड़ा...मंजिल अपनी जगह है ,रास्ते अपनी जगह<br />पर कदम ही लड़खड़ायें - कोई भला फिर क्या करे ?????<br />सुंदर अभिव्यक्ति.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-20158296652056169792011-07-16T23:44:28.124-04:002011-07-16T23:44:28.124-04:00भीड़ सिर्फ एक शोर इससे ज्यादा कुछ नहीं जिसका कोई आ...भीड़ सिर्फ एक शोर इससे ज्यादा कुछ नहीं जिसका कोई आस्तिव नहीं सिर्फ शोर के सिवा कुछ भी उसके बाद सबका अपना - अपना सफर कहाँ रूकती है भीड़ सब अपने रास्तों में गुम और सफर निरंतर जारी |<br />ये बात भी सही लगी ....संसद मार्ग कहते हैं इसे.:)<br />बहुत सुन्दर रचना दोस्त :)Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-33776006305163523952011-07-14T21:13:18.620-04:002011-07-14T21:13:18.620-04:00भाई अरुण जी मेरे कमेंट्स में त्रुटियाँ हो गयी हैं ...भाई अरुण जी मेरे कमेंट्स में त्रुटियाँ हो गयी हैं आप के स्थान पर अप और कह के स्थान पर ख हो गया है |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-9983581658242267792011-07-14T21:06:35.920-04:002011-07-14T21:06:35.920-04:00भाई अरुण जी आपकी कविता कभी निराश नहीं करती अप कवित...भाई अरुण जी आपकी कविता कभी निराश नहीं करती अप कविता में जो कहना चाहते हैं बड़े सलीके से बिना शोरगुल के ख जाते हैं |बधाईजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-74682475070321007522011-07-14T08:13:51.324-04:002011-07-14T08:13:51.324-04:00इन मार्गों पर चलने के लिए
तो बहुत पापड़ बेलने पड़त...इन मार्गों पर चलने के लिए<br />तो बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं।।<br />रचना बहुत सटीक है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-23116396382777125502011-07-14T07:41:07.017-04:002011-07-14T07:41:07.017-04:00सटीक विश्लेषण....
साधुवाद !!!!सटीक विश्लेषण....<br /><br />साधुवाद !!!!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-84518945347377891632011-07-14T07:19:14.219-04:002011-07-14T07:19:14.219-04:00संसद मार्ग या संसद ... दोनों ही एक स्थिति में आकार...संसद मार्ग या संसद ... दोनों ही एक स्थिति में आकार बहरे हो जाते हैं ... और जला देते अहिं वापस लौटने का रास्ता ...<br />बहुत प्रभावी प्रस्तुति है अरुण जी ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-60202925106321281112011-07-14T06:51:45.893-04:002011-07-14T06:51:45.893-04:00बहुत बढ़िया लिखा है सर.
सादरबहुत बढ़िया लिखा है सर.<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-56657694545588247092011-07-14T06:37:41.055-04:002011-07-14T06:37:41.055-04:00यही है ज़िन्दगी का सच ………रास्ते भी बदल जाते है और म...यही है ज़िन्दगी का सच ………रास्ते भी बदल जाते है और मुसाफ़िर भी और मंज़िले भी…………और इसी के साथ सबको जीना पडता है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-55366317936265508552011-07-14T06:04:25.009-04:002011-07-14T06:04:25.009-04:00वाह....सच कितना यतार्थ छुपा है इसमें.......इंसानी ...वाह....सच कितना यतार्थ छुपा है इसमें.......इंसानी फितरत कितनी जल्दी रंग बदलती है ......वाहAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-58053629847577095762011-07-14T03:04:30.010-04:002011-07-14T03:04:30.010-04:00ham bhi sansad marg pe hi hain:)ham bhi sansad marg pe hi hain:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-39144354106647549192011-07-14T01:24:58.352-04:002011-07-14T01:24:58.352-04:00दबती जाती है
उनकी आवाजें
और लाल-नीली बत्तियों का श...दबती जाती है<br />उनकी आवाजें<br />और लाल-नीली बत्तियों का शोर<br />भारी पड़ जाता है<br />दूसरे सभी शोरों, नारों<br />सरोकारों पर <br />बिल्कुल सही कहा है आपने ... ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-91279269656990783192011-07-13T23:51:45.962-04:002011-07-13T23:51:45.962-04:00जहां रास्ते पहुंचते हैं, वहीं से रास्ते खुलते-नि...जहां रास्ते पहुंचते हैं, वहीं से रास्ते खुलते-निकलते हैं.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-91391470938627275162011-07-13T14:08:47.163-04:002011-07-13T14:08:47.163-04:00एक व्यथा और पीड़ा एक आम आदमी की, जो हमेशा से आपकी क...एक व्यथा और पीड़ा एक आम आदमी की, जो हमेशा से आपकी कविताओं का विषय रहा है, इस बार भी छूता है मन को, खडा करता है एक प्रश्न जिसका उत्तर हर व्यक्ति को खोजना है.. आपकी कविताओं की विशेषता है वे सवाल करती हैं.. जवाब नहीं देतीं, क्योंकि या तो उन प्रश्नों के जवाब नहीं किसी के पास या उनके जवाब सिर्फ उनके पास हैं जो संसद मार्ग के यात्री हैं, नीली-लाल बत्तियों वाले वाहनों के.. जिनके वाहन के शीशे बंद होते हैं और ऐसे सवालों के लिए "जैमर" लगे होते हैं.. अरुण जी, उस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं साठ सालों से!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-58835599283978692872011-07-13T12:57:23.499-04:002011-07-13T12:57:23.499-04:00sahi kaha ...sahi kaha ...रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-32209328936526773202011-07-13T12:38:53.706-04:002011-07-13T12:38:53.706-04:00यह रास्ता
वापिस नहीं लौटता
पीछे की ओर नहीं चलता
बस...यह रास्ता<br />वापिस नहीं लौटता<br />पीछे की ओर नहीं चलता<br />बस एक ओर चलता है<br />अपने मद में<br /><br />संसद मार्ग कहते हैं इसे. <br />Ha,ha,ha! Waise sach hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-6663956956366426102011-07-13T12:28:54.903-04:002011-07-13T12:28:54.903-04:00मार्ग तो सारे देश के ही संसद मार्ग की तरह हो चुके ...मार्ग तो सारे देश के ही संसद मार्ग की तरह हो चुके हैं अब.<br />सटीक अभिव्यक्ति.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-1726908053531373572011-07-13T12:02:59.042-04:002011-07-13T12:02:59.042-04:00praveen ji se sahmat hun .bahut sateek bat kahi ha...praveen ji se sahmat hun .bahut sateek bat kahi hai aapne .badhaiShikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-58978949953662589692011-07-13T11:57:10.502-04:002011-07-13T11:57:10.502-04:00सारे मार्ग संसद के उपांग हैं। इन्हीं सड़कों पर चल ...सारे मार्ग संसद के उपांग हैं। इन्हीं सड़कों पर चल नेता संसद पहुँचते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-38329730509727272422011-07-13T11:52:56.814-04:002011-07-13T11:52:56.814-04:00अरुण जी आपकी कविता पाठक को कवि के मंतव्य तक पहुंचा...अरुण जी आपकी कविता पाठक को कवि के मंतव्य तक पहुंचाती हैं। आप की विशेषता है कि आप अतिरिक्त पच्चीकारी नहीं करते। अपनी साफ दृष्टि और संप्रेषणीयता से आप अपना एक अलग मुहावरा रचते हैं। <br />यह रास्ता <br />वापिस नहीं लौटता <br />पीछे की ओर नहीं चलता <br /><br />इस कविता की खास विशेषता है कि यह अपने इरादों में राजनैतिक होते हुए भी राजनैतिक लगती नहीं है। इसमें कहीं कोई जार्गन नहीं है।<br />और लाल-नीली बत्तियों का शोर <br />भारी पड़ जाता है<br />दूसरे सभी शोरों, नारों<br />सरोकारों पर <br />और जब मैं यह पढ़ता हूं तो यह कहने को विवश हो जाता हूं कि आपमें विचारधारात्मक प्रतिबद्धता होने के बावजूद आपकी कविता में कहीं भी विचारधारा हावी होती हुई नजर नहीं आती है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-28138924527458621432011-07-13T11:43:12.545-04:002011-07-13T11:43:12.545-04:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com