tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post7421856808826568369..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: चिड़िया, आकाश और प्रायश्चितअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-30037554809267400482010-09-11T00:48:43.900-04:002010-09-11T00:48:43.900-04:00shbdon ki bhawnatmak udaan!shbdon ki bhawnatmak udaan!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-10522073853737331852010-09-10T13:57:07.874-04:002010-09-10T13:57:07.874-04:00भावुक पंक्तियाँ, चिड़िया के माध्यम से।भावुक पंक्तियाँ, चिड़िया के माध्यम से।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-83249219775258906072010-09-10T12:49:21.819-04:002010-09-10T12:49:21.819-04:00अच्छी रचना ...उड़ने दो चिड़िया को ....जहाँ तक उसकी...अच्छी रचना ...उड़ने दो चिड़िया को ....जहाँ तक उसकी उड़ान हो ...बहुत संवेदनशील रचनासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-16230122842583128382010-09-10T07:28:41.149-04:002010-09-10T07:28:41.149-04:00अच्छा शब्द जाल बुना है हम भी वहीँ फंस गएअच्छा शब्द जाल बुना है हम भी वहीँ फंस गएरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-20466819497030345402010-09-10T07:19:38.954-04:002010-09-10T07:19:38.954-04:00चिड़िया
ऊब गयी थी अब
भूलती जा रही थी उड़ना
चिड़िया ने...चिड़िया<br />ऊब गयी थी अब<br />भूलती जा रही थी उड़ना<br />चिड़िया ने कहा<br />मुझे उड़ने दो<br />मुझे फ़ैलाने दो अपने पंख<br />मुझे दो मेरा आकाश<br />जीवन के प्रति एक ललक और समर्पण का भाव लेकर आगे बढती कविता.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-20405358900420460412010-09-10T05:52:13.646-04:002010-09-10T05:52:13.646-04:00रचना बहुत भा गई. ये नया विचार नहीं बहुत पुराना है....रचना बहुत भा गई. ये नया विचार नहीं बहुत पुराना है. एक नवीन रूप से लिखी और अभिधा में कही ये कविता बहुत भाई.बधाई नहीं बस लगातार ऐसे ही लिखते रहने की तरफ ईशारा .सम्पादक, अपनी माटीhttps://www.blogger.com/profile/07960007382121871199noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-17278726687816808962010-09-10T04:16:18.618-04:002010-09-10T04:16:18.618-04:00यह कविता एक संवेदनशील मन की निश्छल अभिव्यक्तियों...यह कविता एक संवेदनशील मन की निश्छल अभिव्यक्तियों से भरी-पूरी है ।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-32922842880914891532010-09-10T03:58:57.314-04:002010-09-10T03:58:57.314-04:00चिड़िया उड़ना
थक जाने तक
लेकिन
जरुर आना ए़क बार
मे...चिड़िया उड़ना<br />थक जाने तक<br />लेकिन<br />जरुर आना ए़क बार<br />मेरे ह्रदय में<br />तुम्हारा घोंसला<br />खाली रहेगा<br />चिरंतन तक<br />ताकि कर सकू मैं<br />शब्दों के जाल बुनने का<br />प्रायश्चित<br />marmik rachna ... per ek taraf hausla bhi hai , aasmani khwaab bhi hainरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-36676934398690258702010-09-10T03:20:33.573-04:002010-09-10T03:20:33.573-04:00"ए़क चिड़िया को
आकाश में उड़ते देखा
सूरज की..."ए़क चिड़िया को <br /><br />आकाश में उड़ते देखा <br />सूरज की ढलती नारंगी में <br />आसमान को चुनौती देते उसके पंख <br />सुनहरे लग रहे थे"<br />बेहद सुंदर चित्रण ,सुंदर भाव के ताने-बने में बुनी गयी कविता.चिड़िया की उन्मुक्त उडान के माध्यम से उसकी महत्ता बतलाती रचना. नैसर्गिक जीवन के प्रति एक ललक और समर्पण का भाव लेकर आगे बढती कविता.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-81774699062514963332010-09-10T02:52:00.489-04:002010-09-10T02:52:00.489-04:00तोड़ दिया उसने
शब्दों का जाल
चिड़िया खुश थी
चिड़िया उ...तोड़ दिया उसने<br />शब्दों का जाल<br />चिड़िया खुश थी<br />चिड़िया उड़ रही थी <br /><br />optimism/will power/strength/persistence<br /><br />Life is a never ending journey and the person with above qualities enjoys it..<br /><br />well written poem on life journey..Rajat Narulahttps://www.blogger.com/profile/18074987075863492261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-9688949448793958202010-09-10T02:39:01.236-04:002010-09-10T02:39:01.236-04:00अरुण --तारीफ के लिए शब्द कहाँ से लाऊं .शब्दजाल तो ...अरुण --तारीफ के लिए शब्द कहाँ से लाऊं .शब्दजाल तो तुमने तोड़ ही डाला .निर्मल गुप्त https://www.blogger.com/profile/14476315180256137151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-54949602309176772952010-09-10T02:34:06.773-04:002010-09-10T02:34:06.773-04:00चिड़िया
उब गयी थी अब
भूलती जा रही थी उड़ना
चिड़िया ने...चिड़िया<br />उब गयी थी अब<br />भूलती जा रही थी उड़ना<br />चिड़िया ने कहा<br />मुझे उड़ने दो<br />मुझे फ़ैलाने दो अपने पंख<br />मुझे दो मेरा आकाश <br /><br /><br />चिडिया को प्रतीक बना जो आप कहना चाह्ते हैं वो तो आज हर स्त्री की कहानी है।ये शब्द जाल ही तो वो कैद है जिससे आज़ाद नही हो पाती ताउम्र मगर जो आज़ाद हो जाती हैं वो उसी तरह उडान भरती हैं और एक मुकाम हासिल करती हैं।<br /><br /><br />टूटे हुए शब्द<br />अब कांटे से लग रहे थे<br />लग रहा था मुझे भी<br />देना था मुझे आकाश<br />फिर क्यों दिया<br />मैंने जाल शब्दों का<br />होने को कैद<br /><br />जो इतना समझ ले तभी ज़िन्दगी सार्थक है जब इंसान खुद भ्रमजाल तोडता है तब एक नया आकाश बनाता है फिर चाहे अपनी ज़िन्दगी का हो या समाज का।<br />जरुर आना ए़क बार<br />मेरे ह्रदय में<br />तुम्हारा घोंसला<br />खाली रहेगा<br />चिरंतन तक<br />ताकि कर सकू मैं<br />शब्दों के जाल बुनने का<br />प्रायश्चित<br /><br />बस इसी खोखलेपन से तो आज़ाद करना है आज इंसान को , उसकी सोच को ……………जैसे ही आज़ाद हुआ समझिये उसका प्रायश्चित हो गया।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com