tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post8660528737928602038..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: कालेज की कैंटीन और ब्लैकबेरी पर इन्टरनेट सर्चअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-1350065658076733612011-08-16T13:32:48.906-04:002011-08-16T13:32:48.906-04:00हमारे सिद्धांत बदले
समय के साथ, समय की सुविधा से
इ...हमारे सिद्धांत बदले<br />समय के साथ, समय की सुविधा से<br />इस बीच नदी संकरी हो गई<br />शहर के भीतर से गुजरने वाला सीवर<br />बह गया इसी नदी से होकर<br />behatreen bhav shabd sanyojan aur badalte samay ke na badalne vale badle roop...bahut khoob..kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-72689696458292466142011-08-14T06:11:42.705-04:002011-08-14T06:11:42.705-04:00बार बार पढ़ने को जी करता है .. किसी कोलाज की तरह ....बार बार पढ़ने को जी करता है .. किसी कोलाज की तरह ... शब्दों को अर्थ से परे देखा हो निसे इस लाजवाब रचना में ... अरुण जी ये रचना आपकी विलक्षण प्रतिभा का उदाहरण है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-46687381264805259912011-08-09T07:24:47.419-04:002011-08-09T07:24:47.419-04:00आपकी पोस्ट को ब्लोगर मीट वीकली (३) में इस सोमबार ०...आपकी पोस्ट को ब्लोगर मीट वीकली (३) में इस सोमबार ०८/०८/११ को शामिल किया गया है /आप आइये और हमें अपने विचारों से अवगत कराइये/आप ऐसे ही हिंदी साहित्य की सेवा करतेरहें यही कामना है /सोमवार को <br /> <a href="http://hbfint.blogspot.com/2011/08/3-happy-friendship-day.html" rel="nofollow">ब्लॉगर्स मीट वीकली (3) Happy Friendship Day</a> के मंच पर आप सादर आमंत्रित है /prerna argalhttps://www.blogger.com/profile/11905363361845183539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-81524887485782896192011-08-09T07:14:59.932-04:002011-08-09T07:14:59.932-04:00क्या कहूँ? ऐसे अनूठे शब्द रचना में पिरोये हैं के ब...क्या कहूँ? ऐसे अनूठे शब्द रचना में पिरोये हैं के बस...एक बार क्या बार बार पढने को जी करता है...इतनी गहन बात रचना के माध्यम से कहना आसान नहीं होता लेकिन आपकी कलम की ताकत ही ऐसी विलक्षण रचनाओं का सृजन कर पाती है. बधाई स्वीकारें.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-78201503714875039392011-08-09T04:04:57.745-04:002011-08-09T04:04:57.745-04:00bahut prabhawit karti hui.......kavita likhi hai.bahut prabhawit karti hui.......kavita likhi hai.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-9582853313350109142011-08-09T01:35:44.179-04:002011-08-09T01:35:44.179-04:00मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्य...मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया <br />आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है <br />पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई हैDinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-5624220817618055582011-08-08T12:54:18.894-04:002011-08-08T12:54:18.894-04:00हमारे सिद्धांत बदले
समय के साथ, समय की सुविधा से
इ...हमारे सिद्धांत बदले<br />समय के साथ, समय की सुविधा से<br />इस बीच नदी संकरी हो गई<br />शहर के भीतर से गुजरने वाला सीवर<br />बह गया इसी नदी से होकर<br /><br />बहुत बढ़िया पंक्तियां...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-6156135448474842552011-08-05T10:18:16.888-04:002011-08-05T10:18:16.888-04:00आपकी पोस्ट और उस पर हुई टिप्पणियों को पढकर
एक अलग ...आपकी पोस्ट और उस पर हुई टिप्पणियों को पढकर<br />एक अलग ही आनंद आता है.अरुण भाई आप कमाल <br />का लिखते है,गहन अर्थों को समेटे.<br />मेरी आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.<br />यूँ ही शानदार लेखन को जारी रखें.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-17437641341123193382011-08-05T07:30:58.387-04:002011-08-05T07:30:58.387-04:00अरुण जी,
यह कविता पहली बार पढ़ी थी तभी से सेक्सपि...अरुण जी,<br /><br />यह कविता पहली बार पढ़ी थी तभी से सेक्सपियर की एक कविता की एक पंक्ति याद आयी... तब से लेकर आपकी कविता को पढ़-पढ़कर उस भूली-बिसरी कविता को याद करता रहा. जितना हो पाया वो यह है, <br />"The poet’s eye, in a fine frenzy rolling,<br />Doth glance from heaven to earth, from earth to heaven;<br />And as imagination bodies forth<br />The forms of things unknown, the poet’s pen<br />Turns them to shapes and gives to airy nothing<br />A local habitation and a name."<br /><br />आपने इस कविता में जिस तरह से लौकिक (स्थुल) चरित्रों में अलौकिक (सूक्ष्म)तत्व का निरुपण किया है.... उसके लिये उपर उद्धृत दो पंक्तियों से अधिक मैं शायद कुछ नहीं कह सकता। कविता थोड़ी बौद्धिक जरूर हो गई है किन्तु जीवन के खुरदरे सत्य को व्यक्त करने के लिये मखमली शब्द तो काफ़ी नहीं ही होंगे।<br /><br />इसे मैं एक क्लासिकल कविता कहना चाहूँगा...!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-45523733916497562922011-08-05T01:04:20.712-04:002011-08-05T01:04:20.712-04:00Arun ji , very appealing creation . I'm kinda ...Arun ji , very appealing creation . I'm kinda nostalgic after reading this.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-12806600990677972132011-08-04T11:42:23.998-04:002011-08-04T11:42:23.998-04:00कितना कुछ कह डाला. हमारे कहने को कुछ बचा ही नहीं.ग...कितना कुछ कह डाला. हमारे कहने को कुछ बचा ही नहीं.गज़ब की सोच और अभिव्यक्ति.<br /> लाजवाबरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-24040860689149507182011-08-04T09:03:07.278-04:002011-08-04T09:03:07.278-04:00वाह!! नये जमाने की कविता कहलाई यह तो...एकदम अलग, अ...वाह!! नये जमाने की कविता कहलाई यह तो...एकदम अलग, अनोखी!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-59580713976008432382011-08-04T07:18:46.553-04:002011-08-04T07:18:46.553-04:00उफ्फ्फ....
कहाँ से लाते हैं ये भाव ......
नमन है आ...उफ्फ्फ....<br />कहाँ से लाते हैं ये भाव ......<br />नमन है आपकी लेखनी को .....<br />एक बार नहीं कई बार पढ़ी ....<br />अभी शायद और पढनी पड़े .....<br />अरुण जी .....अंक पहले दे दूँ .....?<br />१० /१०हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-43541908837007738342011-08-04T01:03:55.924-04:002011-08-04T01:03:55.924-04:00कॉलेज के दिनों की याद दिला दी भाई| बाकी सब तो आपने...कॉलेज के दिनों की याद दिला दी भाई| बाकी सब तो आपने लिख ही दिया है:)www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-58334445993341935712011-08-03T23:59:08.628-04:002011-08-03T23:59:08.628-04:00वाह....शानदार प्रस्तुति ....मार्मिकता का पुट लिए.....वाह....शानदार प्रस्तुति ....मार्मिकता का पुट लिए....गहन अभिव्यक्तिसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-2283777791320993962011-08-03T22:49:17.826-04:002011-08-03T22:49:17.826-04:00bahut sunderbahut sunderMinoo Bhagiahttps://www.blogger.com/profile/18351562434440592523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-21100048090923394102011-08-03T05:59:39.587-04:002011-08-03T05:59:39.587-04:00गहन चिंतन , व्याकुल भावों की अनूठी प्रस्तुति .......गहन चिंतन , व्याकुल भावों की अनूठी प्रस्तुति ....<br />नए-पुराने प्रतीकों के माध्यम से यथार्थ तक पहुँचाने की ज़द्दोज़हद ...सफल होती दिखती हैसुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-6694126826823247522011-08-03T04:28:21.258-04:002011-08-03T04:28:21.258-04:00कैंटीन हर छात्र-छात्रा के जीवन का एक अहम् हिस्सा ...कैंटीन हर छात्र-छात्रा के जीवन का एक अहम् हिस्सा होता है...<br />सजीव हो गया सब-कुछ आँखों के समक्षrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-13120041877889225922011-08-03T03:36:29.747-04:002011-08-03T03:36:29.747-04:00निशब्द कर देते हो आप.......निशब्द कर देते हो आप.......Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-29809540361496709502011-08-03T02:37:08.166-04:002011-08-03T02:37:08.166-04:00हाँ एक कैंटीन जरुरी है
जुगाली के लिए...... bahut a...हाँ एक कैंटीन जरुरी है<br />जुगाली के लिए...... bahut achhi rachnaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-86388648576138467532011-08-03T00:35:52.050-04:002011-08-03T00:35:52.050-04:00बड़ी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली कविता है! एकदम मौलिक. भई ...बड़ी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली कविता है! एकदम मौलिक. भई वाह!रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-38840448421087423902011-08-02T22:31:02.318-04:002011-08-02T22:31:02.318-04:00दाना-पानी के साथ भाती कविता.दाना-पानी के साथ भाती कविता.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-32227633627750210622011-08-02T17:57:59.822-04:002011-08-02T17:57:59.822-04:00हमारे सिद्धांत बदले
समय के साथ, समय की सुविधा से
इ...हमारे सिद्धांत बदले<br />समय के साथ, समय की सुविधा से<br />इस बीच नदी संकरी हो गई<br />शहर के भीतर से गुजरने वाला सीवर<br />बह गया इसी नदी से होकर<br /><br />बहुत उम्दा.... निशब्द करते शब्द हैं... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-8580078090420638682011-08-02T13:39:20.423-04:002011-08-02T13:39:20.423-04:00आपकी कविता समय के साथ आंच में तपे कुंदन की तरह निख...आपकी कविता समय के साथ आंच में तपे कुंदन की तरह निखरी है। आपकी काव्यकत्मकता निखार पर है। आपकी लेखनी से जो निकलता है वह दिल और दिमाग के बीच खींचतान पैदा करता है।<br /><br />इसमें कविता में एक दर्शन और जीने के हठ का संकेत है। थोड़ा अमूर्तन, थोड़ी अभिधा, थोड़ी फैंटेसी है, मगर अनूठापन है।<br /><br />अपने समय व परिवेश का नया पाठ बनाने, समकालीन मनुष्य के संकटों को पहचानने तथा संवेदना की बची हुई धरती को तलाशने के कारण यह एक महत्वपूर्ण रचना बन पड़ी है।<br /><br />अरुन्स वन ऑफ द बेस्ट!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-46757560096149962192011-08-02T12:58:27.487-04:002011-08-02T12:58:27.487-04:00जगह वही, सवाल वही, मायने बदल गये हैं।जगह वही, सवाल वही, मायने बदल गये हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com