बुधवार, 6 जनवरी 2021

राजा के लिए एक कविता

अरुण चन्द्र रॉय की कविता - राजा के लिए
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यदि राजा को 
सैकड़ों सैनिकों के पहरे में 
नींद नहीं आये तो 
उसे आ जाना चाहिए फुटपाथ पर 
सो जाना चाहिए किसी बेघर के पास 
यकीन मानिये 
वर्षों बाद आएगी राजा को ऐसी नींद  

यदि राजा को 
नहीं पचता हो खाना 
बनता हो पेट में गैस 
आती हो खट्टी डकारें 
उसे पैदल बाजार में निकल जाना चाहिए 
बिना किसी तामझाम के 
देख आना चाहिए कैसे मशक्क्रकत करती है 
उसकी जनता 
यकीन मानिये 
राजा को पचेगा खाना . 

यदि राजा को लगता हो कभी 
अकेलापन 
उसे बिना किसी झिझक के 
बैठ जाना चाहिए किसी रेल डिब्बे में 
बिना किसी आरक्षण के 
कर लेनी चाहिए अपने दिल की बात 
किसी अनजान से 
जो उससे पहले कभी नहीं मिला 
जो उससे बाद में शायद ही कभी मिले 
यकीन मानिये 
राजा फिर कभी महसूस नहीं करेगा 
अकेलापन . 

राजा 
बेहतर राजा बन सकता है 
यदि बन जाए वह
हाड-मांस का आम आदमी 
जैसा था कभी वह राजा बनने से पहले . 

5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...
    सही सुझाव दिया है आपने अपनी रचना में।

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  2. राजा
    बेहतर राजा बन सकता है
    यदि बन जाए वह
    हाड-मांस का आम आदमी
    जैसा था कभी वह राजा बनने से पहले .
    -- सच हाड-मांस का आम आदमी ही जिंदगी क्या होती है, अच्छे से समझता है, जीता है

    बहुत अच्छी चिंतनशील रचना
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!

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