tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post1956868460315236455..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: माँ रखती है देवउठनी एकादशी का व्रतअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-49440436424695894292010-11-20T04:40:36.661-05:002010-11-20T04:40:36.661-05:00बहुत खूब .. माँ के सपनों में भी तो हम ही होते हैं ...बहुत खूब .. माँ के सपनों में भी तो हम ही होते हैं ... उसकी अल्पनाओं में कल्पनाओं में उसके अनेक रंगों को उकेर दिया है आपने इस रचना में ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-63760585188036927232010-11-19T22:41:11.754-05:002010-11-19T22:41:11.754-05:00देवउठनी एकादशी
की रात
माँ बनाती है अल्पनायें ,
ज...देवउठनी एकादशी <br />की रात<br />माँ बनाती है अल्पनायें , <br />जिन्हें देख कर लगता है<br />उसके हैं <br />कुछ सपने<br />मेरे लिए<br />हमारे लिए <br />हम सबके लिए <br />वरना माँ को नहीं देखा <br />मांगते कभी कुछ <br />किसी से भी <br />maa khud ke liye hoti kaha haiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-43819749312703478362010-11-19T13:46:55.733-05:002010-11-19T13:46:55.733-05:00माँ ऐसी ही होती है अरुण जी..माँ की आस्थाएँ और उनकी...माँ ऐसी ही होती है अरुण जी..माँ की आस्थाएँ और उनकी परिवार के लिए प्रेम दोनों के दूसरे के पूरक होते है जो कभी कम नही हो सकते और हर व्रत और त्योहार में सामने आते रहते है...बहुत बढ़िया पोस्ट..बधाईविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-89711763659797569072010-11-19T06:08:59.057-05:002010-11-19T06:08:59.057-05:00बनाई है
एक सुन्दर पृथ्वी
गोल गोल और
रोप दिए हैं...बनाई है <br />एक सुन्दर पृथ्वी <br />गोल गोल और <br />रोप दिए हैं उस पर <br />अनगिनत पेड़. <br /><br />sundar panktiyan!<br />saargarbhit rachna!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-10654621601701451272010-11-19T04:11:02.355-05:002010-11-19T04:11:02.355-05:00अति सुन्दर, सार्थक कविता---आस्था के साथ सादगी, जिम...अति सुन्दर, सार्थक कविता---आस्था के साथ सादगी, जिम्मेदारी, लोक कला का सुन्दर वर्णन...बधाई... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-53994838603573478182010-11-19T03:44:51.958-05:002010-11-19T03:44:51.958-05:00lok pramprao ko jivnt karti sundar kavita .lok pramprao ko jivnt karti sundar kavita .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-91761787249041000222010-11-19T02:48:16.926-05:002010-11-19T02:48:16.926-05:00आप समय की ज़रूरत समझने वाले रचनाकार हैं। आप पाठक औ...आप समय की ज़रूरत समझने वाले रचनाकार हैं। आप पाठक और रचनाकार के रिश्ते के लगाव को समझते हैं। इस रिश्ते से कुछ पा लेने की चाहत नहीं बल्कि आपके शिल्प में वह आस्वाद है जो पाठक को आपकी रचना के प्रति आत्मीय बना देता है।<br />सिर्फ़ घर के गोबर से लिपे आंगन में ही नहीं हमारे हृदय के आंगन में भी अरिपन की चित्रकारी खिच/रच गई है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-20756679126136574882010-11-18T23:10:56.334-05:002010-11-18T23:10:56.334-05:00बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति !!बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति !!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-73172365028269657042010-11-18T22:23:57.738-05:002010-11-18T22:23:57.738-05:00धार्मिक संदर्भ के साथ आधुनिक युग की समस्याओं का सु...धार्मिक संदर्भ के साथ आधुनिक युग की समस्याओं का सुंदर तालमेल। माँ की यह उदात्तता है कि वह पड़ोस के बच्चों तक की खैर माँगती है।<br /><br />बहुत सुंदर।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-62989968127996337172010-11-18T13:31:07.063-05:002010-11-18T13:31:07.063-05:00भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति ....भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-45809325176350082472010-11-18T12:33:50.732-05:002010-11-18T12:33:50.732-05:00माता, धरती माता की तरह सब कुछ सहन और वहन करती अपनी...माता, धरती माता की तरह सब कुछ सहन और वहन करती अपनी निश्चित चाल से चलती रहती है, प्रकृति माता की तरह अपनी संतान का लालन पालन करती है… या फिर मिथिलांचल या किसी भी अन्चल की माता जो चित्रों के माध्यम से नींद से जगे देव से सम्पूर्ण समाज के लिए याचना करती है… अरुण जी आपकी लेखनी भी माता सरस्वती का वरदान है... मेरा नमन है उस माता को!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-75234670884322913982010-11-18T12:31:33.961-05:002010-11-18T12:31:33.961-05:00बस इस एक रात
माँ खोलती है
अपने सपनों की पोटली
अप...बस इस एक रात <br />माँ खोलती है<br />अपने सपनों की पोटली <br />अपने भीतर बसी इच्छाएं <br /><br />बहुत खूबसूरत भाव ....आस्था की बात है ...पर्यावरण से जोड़ कर एक सार्थक सन्देश दिया है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-1464080914411172782010-11-18T11:17:18.353-05:002010-11-18T11:17:18.353-05:00अति सुन्दर रचना.अति सुन्दर रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-84957231125225152442010-11-18T11:14:16.368-05:002010-11-18T11:14:16.368-05:00जो सुन लिया है उसने ‘ग्लोबल वार्मिंग‘ के बारे में
...जो सुन लिया है उसने ‘ग्लोबल वार्मिंग‘ के बारे में<br />बनाई है <br />एक सुन्दर पृथ्वी <br />गोल गोल और <br />रोप दिए हैं उस पर <br />अनगिनत पेड़,<br /><br />राय जी, मां के प्रेरक चितन को आपने कोमलता के साथ कविता में रूपायित किया है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-76290941408659138782010-11-18T10:34:06.521-05:002010-11-18T10:34:06.521-05:00बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-8399205740601705392010-11-18T09:06:55.142-05:002010-11-18T09:06:55.142-05:00देव उठनी एकादशी तो धार्मिक संदर्भ हो गया, मुझे छू ...देव उठनी एकादशी तो धार्मिक संदर्भ हो गया, मुझे छू गया इस कविता की मॉं का रूप। मॉं जिसकी कल्पना में जो होता है, शुभ ही शुभ होता है। <br />मेरे ऐ परिचित जो अब 90 वर्ष से अधिक आयु के ही होंगे, अपनी मॉं का स्मरण करते हुए बताते हैं कि किस प्रकार वो सुब्ह की प्रार्थना में 'चिड़़ी-चिरौंटे' की खैर से प्रारंभ होकर समस्त जैव जगत की खैर मॉंगते हुए पास पड़़ोस के बच्चों की खैर मॉंगकर अंत में अपने बच्चों की खैर ईश्वर से मॉंगती थीं। अद्वितीय उदाहरण है मॉं की सार्वभैमिक सोच का। आज आपकी कविता पढ़कर उसी सोच का स्मरण कर रहा हूँ।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-48840322662571467032010-11-18T08:56:54.229-05:002010-11-18T08:56:54.229-05:00माँ का व्रत पर्यावरण के लिये, वाह, सुन्दर भाव।माँ का व्रत पर्यावरण के लिये, वाह, सुन्दर भाव।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-27319804116602766512010-11-18T08:55:33.610-05:002010-11-18T08:55:33.610-05:00बहुत अच्छी रचना है.बहुत अच्छी रचना है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-23282915809802427582010-11-18T08:43:29.840-05:002010-11-18T08:43:29.840-05:00.
माँ की आस्था और सादगी मन को छू गयी। नहीं बदलन....<br /><br />माँ की आस्था और सादगी मन को छू गयी। नहीं बदलना चाहती हैं वे अपनी आस्था को। अरुण जी , आस्था और विश्वास ही तो फलता है। अब माँ ने ठान ही लिया तो निश्चित ही ग्लोबल वार्मिंग से हमारी रक्षा हो सकेगी। क्यूँकी वो माँ हैं और माँ की आस्था में ही मेरी आस्था है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-66599713553189355962010-11-18T08:12:30.489-05:002010-11-18T08:12:30.489-05:00कविता तो बेहद दिल के करीब हैं. मैं भी बनाती हूँ अल...कविता तो बेहद दिल के करीब हैं. मैं भी बनाती हूँ अल्पनायें पर एक बात से नाराज़ हूँ. माँ ने ग्लोबल वार्मिंग को ध्यान में रख कर पेड़ तो लगाये पर मेरे जल संचयन को अल्पना में जगह नहीं दी पर माँ तो माँ है उससे कौन नाराज़ हो सकता हैरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-8914747315038470442010-11-18T07:14:04.072-05:002010-11-18T07:14:04.072-05:00ओह ...लाजवाब !!!
मुग्ध कर लिया आपकी इस भावुक प्रेर...ओह ...लाजवाब !!!<br />मुग्ध कर लिया आपकी इस भावुक प्रेरणादायी रचना ने.. <br />बहुत बहुत सुन्दर....आनंद आ गया पढ़कर !!!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-88993269416419546672010-11-18T07:13:24.669-05:002010-11-18T07:13:24.669-05:00... sundar va prasanshaneey rachanaa !!!... sundar va prasanshaneey rachanaa !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-82633505759469630802010-11-18T07:04:11.267-05:002010-11-18T07:04:11.267-05:00बहुत सुन्दर दिल को छू गयी...बधाई|बहुत सुन्दर दिल को छू गयी...बधाई|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-89345630114191194782010-11-18T05:44:40.095-05:002010-11-18T05:44:40.095-05:00asal zindagi ko bayaan karate parw ke zarie bahut ...asal zindagi ko bayaan karate parw ke zarie bahut sateek kavitaa.''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडलhttps://www.blogger.com/profile/16471251362095496908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-19734386009901437342010-11-18T05:42:56.308-05:002010-11-18T05:42:56.308-05:00itne gahre vichar ........:) kya kahun, sabd hi na...itne gahre vichar ........:) kya kahun, sabd hi nahi hote, vyakt karne layak!! lajabab!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.com