tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post6368217762056531155..comments2024-03-26T07:35:57.615-04:00Comments on सरोकार: पृथ्वी के गर्भ मेंअरुण चन्द्र रॉयhttp://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-16344762281112461232010-10-25T07:48:27.276-04:002010-10-25T07:48:27.276-04:00एक गम्भीर रचना, मन प्रसन्न हुआ आपके लेखन की इस गम्...एक गम्भीर रचना, मन प्रसन्न हुआ आपके लेखन की इस गम्भीरता पर...बधाई!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-84764412185218628192010-10-25T07:28:38.443-04:002010-10-25T07:28:38.443-04:00आपके काव्य में गाम्भीर्य का दर्शन करके आज तो जा रह...आपके काव्य में गाम्भीर्य का दर्शन करके आज तो जा रहा हूँ। अब फुर्सत में फिर आऊँगा...वादा, मेरे भाई!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-28387106420221481822010-10-25T07:09:50.206-04:002010-10-25T07:09:50.206-04:00गंभीर चिंतन....सुन्दर काव्य....
वाह !!!!गंभीर चिंतन....सुन्दर काव्य....<br /><br />वाह !!!!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-84674347572193350202010-10-25T07:04:10.402-04:002010-10-25T07:04:10.402-04:00अरुण जी बहुत गंभीर विषय और गंभीर बातें कह गए आप सम...अरुण जी बहुत गंभीर विषय और गंभीर बातें कह गए आप समझने में समय लगेगारचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-13254993271558622112010-10-24T13:05:47.314-04:002010-10-24T13:05:47.314-04:00बहुत गंभीर विषय की सरल प्रस्तुति। आनंद आ गया।बहुत गंभीर विषय की सरल प्रस्तुति। आनंद आ गया।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-26799790764649812912010-10-24T08:55:08.513-04:002010-10-24T08:55:08.513-04:00बहुत ही प्रभावशाली रचना,
लाजवाब...प्रशंशा के लिए उ...बहुत ही प्रभावशाली रचना,<br />लाजवाब...प्रशंशा के लिए उपयुक्त कद्दावर शब्द कहीं से मिल गए तो दुबारा आता हूँ...अभी मेरी डिक्शनरी के सारे शब्द तो बौने लग रहे हैं...संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-8486291474910024942010-10-24T08:34:19.550-04:002010-10-24T08:34:19.550-04:00अपने भीतर के
मैं की जीत के लिए
बहुत ही प्रभावशाली...अपने भीतर के<br />मैं की जीत के लिए<br /><br />बहुत ही प्रभावशाली रचना,<br />विज्ञान के तथ्यों का प्रतीकों के रूप में बढ़िया प्रयोग।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-56516613947723498612010-10-24T07:27:09.845-04:002010-10-24T07:27:09.845-04:00मनु के माध्यम से आपने हर इंसान के भीतर छुपे द्वंद ...मनु के माध्यम से आपने हर इंसान के भीतर छुपे द्वंद का चित्रण किया है…………न जाने किस खोज मे भटक रहा है मगर अन्तर्द्वंद उसे सावधान भी करता है और एक अन्दर की खोज के लिये प्रेरित भी और जब तक इस "मै" की खोज पूरी नही हो जाती भट्काव उसे और उसके जीवन को बोझिल करता रहेगा……………बेहतरीन प्रस्तुति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-16037323230633720942010-10-24T06:17:01.287-04:002010-10-24T06:17:01.287-04:00आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (25/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा।<br />http://charchamanch.blogspot.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-20823716357928061682010-10-24T04:04:08.898-04:002010-10-24T04:04:08.898-04:00नहीं हो रहा कोई
विस्फोट
ना ही कोई ज्वालामुखी
फूट...नहीं हो रहा कोई <br />विस्फोट<br />ना ही कोई ज्वालामुखी <br />फूट रहा है भीतर से<br />न ही हो रहा कोई सृजन<br />समस्त उथल पुथल <br />भीतर ही भीतर <br />हो रहे हैं <br />मनु के<br />** <br />अभी तक ठहरा नहीं है ये उथल-पुथल<br />जब तब शह या मात ना हो<br />तब तक मनु टूट कर बिखरे<br />मनुत्व के अवयवों को<br />स्वयं में ही खोजता रहेगा...<br />बहुत ही सुन्दर और यथार्थवादी काव्य का परिचय अरुण जी की लेखनी से हम तक पहुंचा जिसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं अरुण जी..आभार !!Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-7318950523179213132010-10-24T03:36:33.519-04:002010-10-24T03:36:33.519-04:00अरुण जी... आज तो हर कोई स्वयम को इन परिस्थितियों स...अरुण जी... आज तो हर कोई स्वयम को इन परिस्थितियों से घिरा पाता है.. बहुत सुंदर!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-58171272704697968712010-10-24T01:14:41.930-04:002010-10-24T01:14:41.930-04:00आजकल की मनःस्थिति का सही आकलन!आजकल की मनःस्थिति का सही आकलन!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-88196561207513598902010-10-23T23:44:43.200-04:002010-10-23T23:44:43.200-04:00पृथ्वी के गर्भ में
संघर्षरत मनु
नहीं कर रहा कोई
प्...पृथ्वी के गर्भ में<br />संघर्षरत मनु<br />नहीं कर रहा कोई<br />प्रार्थना, <br />याचना , <br />कामना; <br />किन्तु<br />'हे मनु !<br />लौट आओ मेरे पास '<br />सुनना चाहता है <br />श्रद्धा के मुख से <br />लौटने के लिए नहीं<br />बल्कि <br />अपने भीतर के <br />"मैं" की जीत के लिए.... srishti ke garbh se uthte sashakt vichaar aur unki pukaarरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-32712710157255057222010-10-23T22:43:52.663-04:002010-10-23T22:43:52.663-04:00कितनों के पाप और कितनी इच्छायें लावा बन पृथ्वी के ...कितनों के पाप और कितनी इच्छायें लावा बन पृथ्वी के गर्भ में बह रही हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-9691921402056976002010-10-23T22:15:08.514-04:002010-10-23T22:15:08.514-04:00बहुत अर्थपूर्ण रचना... विज्ञान के कई सारे शब्द भी ...बहुत अर्थपूर्ण रचना... विज्ञान के कई सारे शब्द भी आपने शामिल किये है.....<br />सन्देश भी सुंदर है.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8519507250460617939.post-34071036519528790382010-10-23T22:14:13.963-04:002010-10-23T22:14:13.963-04:00पृथ्वी के गर्भ में
युद्धरत है मनु
स्वयं से
जो स्व...पृथ्वी के गर्भ में<br />युद्धरत है मनु<br />स्वयं से <br />जो स्वयं से युद्धरत है वही तो 'मनु' हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com