शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

अस्तित्व बचाता बूढ़ा छायाकार

कल ही लौटा हूँ मैं एक संगीत सम्मेलन से 

जहां मिला था मुझे एक बूढ़ा छायाकार 

उसके पास था एक भारी भरकम बैग 

जिसमें रहे होंगे तरह तरह के लैंस। 


उसकी पहुँच मंच  तक थी 

वह मंच के नीचे बेहद करीब से 

कभी आधा झुक कर तो कभी लगभग लेट कर 

कोशिश कर रहा था पकड़ने की 

उस एक क्षण को जब कलाकार होता है 

अपने आनंद के उत्कर्ष पर 

जब कला की आत्मा तृप्त हो रही होती है 

कलाकार के सानिध्य में 

और उस एक क्षण को कैमरे में कैद करने के लिए 

वह नहीं लग रहा था 

किसी कलाकार से कम 

तपस्या या साधना में लीन । 


जब लोग भाग रहे थे कलाकार के पीछे 

छू लेना चाहते थे उन्हें एक बार 

लेना चाहते थे उनके साथ एक तस्वीर 

लगभग धकिया ही दिया गया था 

वह बूढ़ा छायाकार 

गिरते गिरते बचा था वह । 


इस युग में जब तस्वीरों से पटी पड़ी है दुनियाँ 

छायाचित्रों के सैलाब में डूब रहा है विश्व 

अपने अस्तित्व को बचाने में 

बेहद थका और निराश सा लग रहा था 

वह बूढ़ा छायाकार । 


जब मचा हुआ है चारों ओर रंगों का आतंक 

उसके गैलरी में बड़े बड़े कलाकारों के 

वे अनमोल क्षण फांक रहें हैं धूल

श्वेत-श्याम में  ! 

गुरुवार, 16 जनवरी 2025

कुछ पागल लोग

 कुछ लोग वाकई पागल होते हैं 

जिन्हें कुछ भी कह दीजिये आप 

और वे बुरा नहीं मानते । 


वे आपके संग ठठा के हँसते हैं 

आपको हँसाएँ रखते हैं 

जबकि उनके भीतर बह रही होती है 

दुखों की नदी लहराती हुई 

वे दुख और पीड़ाओं की तरंगों को 

किनारों से बाहर नहीं आने देते । 


इन पागल लोगों के कारण ही 

कई बार महफिलों की रौनक बढ़ती है

जब ये किसी भी मौके पर  नाच लेते हैं 

कर देते हैं सबका मनोरंजन 

और लौट आते हैं अपने अंधेरी गुफा में 

सुबकते हुये 


पागल लोग अपने दुखों का 

नहीं करते हैं महिमामंडन 

वे अपनी रीढ़ तान कर रखते हैं 

और खड़े रहते हैं अपनी बात और जबान पर 

वे नहीं ओढ़े रहते हैं मुखौटे 

उनके नहीं होते हैं 

कई कई चेहरे 

इस दुनियादारी से भरे जीवन में । 


ऐसे पागल लोग 

बेहद खूबसूरत होते हैं 

स्थापित सौंदर्य के मानकों के विपरीत ! 

बुधवार, 15 जनवरी 2025

अस्तित्व

 रोशनी का अस्तित्व है 

अंधेरे से 

सुख का 

दुख से 

प्रेम का 

घृणा से 

बसंत का 

पतझड़ से । 


कितना जरूरी है न 

जीवन के किसी कोने में 

अंधेरे का होना । 

सोमवार, 13 जनवरी 2025

कम समझ वाले लोग

 कम समझ वाले लोग 

अक्सर किए जाते हैं 

इस्तेमाल 

घरों में 

परिवार में 

रिश्ते-नातों में

मोहल्ले में 

समाज में 

और देश दुनियाँ में भी । 


कम समझ वाले लोग 

कम ही करते हैं 

अपने दिमाग का इस्तेमाल 

वे सोचते हैं दिल से 

वे नहीं करते हैं जुगत-जुगाड़ 

बनाने के लिए अपना काम 

उनमें लालच भी होता है कम ही 

वे अपने हिस्से की रोटी भी दे आते हैं 

किसी भूखे को और खुद पानी पीकर जाते हैं सो । 


कम समझ वाले लोग 

जीते हैं वर्तमान में 

कल के लिए नहीं जीते हैं वे 

न ही कल के लिए बचाते हैं 

वे बेलौस हँसते हैं 

और कभी नहीं सोचते कि

हँसते हुये कैसे लगते हैं उनके दाँत । 


वे किसी के लिए भी, कभी भी, कहीं भी 

मौजूद हो जाते हैं हवा के झोंके की तरह 

नहीं सोचते कि कौन खड़ा हुआ था या नहीं हुआ था उनके साथ 

जब कभी जरूरत में थे वे  

और उनकी समझ में कम ही आता है 

रिश्तों का गणित   । 


ऐसे कम समझ वाले लोग 

 बुलाये जाते हैं 

जरूरत पर नजदीकी परिवारों में, 

दूर दराज के रिशतेदारों में भी 

और अवसर के बाद अक्सर दिये जाते हैं भुला 

अगले अवसर तक के लिए । 


आपने भी देखे होंगे 

ऐसे कम समझ वाले लोग 

अपने आसपास 

 इन्हें पहचानना नहीं होता का 

बहुत मुश्किल 

इनके चेहरे पर निजी परेशानियों की लकीरें 

नहीं होती हैं 

होती हैं एक बेफिक्र हंसी 

तेज चाल क्योंकि ये लोग अक्सर जल्दीबाजी में होते हैं 

कहीं किसी के पास पहुँचने के लिए । 


दुनियाँ को खूबसूरत बनाने के लिए 

दुनियाँ को खूबसूरत बनाए रखने के लिए 

बेहद जरूरी हैं ये कम समझ वाले लोग 

क्योंकि आपने भी देखा होगा 

अधिक समझ वाले लोगों ने 

हथिया रखीं हैं औरों की जमीनें 

दखल कर रखा है औरों के खेत 

कब्जा कर रखा है किसी और के घर 

दो देशों के बीच युद्ध के कारण भी यही हैं 

अधिक समझ रखने वाले लोग ! 


काश इस दुनियाँ में इन कम समझ वाले लोग होते 

बहुसंख्यक ! 




शनिवार, 11 जनवरी 2025

चूल्हे का सौंदर्य

 चूल्हे का सौंदर्य 

आग से है

इसकी उपयोगिता भी। 


बुझा हुआ चूल्हा

होता है उदास । 


चूल्हा जो पकाता है 

अक्सर अकेला रह जाता है

भूख के मिटने के बाद ।