शुक्रवार, 2 मई 2025

चिड़ियाँ

चिड़ियाँ को पता है 
वे कम हो रहे हैं 
धीरे धीरे वे समाप्त हो जाएंगे 

समाप्त होने से पहले 
वे विलुप्त होंगे 
विलुप्त होने के दौरान 
उनके लिए बनाई जाएंगी 
नीतियाँ 
उनके लिए मनाया जाएगा 
कोई एक दिवस 
उस दिन बड़े अधिकारी, मंत्री आदि 
देंगे बड़े बड़े भाषण 
और फिर फुर्र हो जाएंगे !

फुर्र होने की कला समाप्त नहीं होगी 
चिड़ियों के विलुप्त होने 
या समाप्त होने के बाद भी ! 

मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

तुम जाओ

अब मेरी जरूरत क्या 
हो आज़ाद, तुम जाओ 

मैं बरबस राह का कांटा 
इसे निकाल, तुम जाओ 

झूठी तारीफ़ें मिलेंगी अभी 
ठुकरा के सच, तुम जाओ 

की थी फिक्र उसने तो क्या 
झुठला के सब,  तुम जाओ 

बेहिसाब रोशनी चाहिए तुम्हें 
देकर मुझे अंधेरा, तुम जाओ 




गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

बर्फ

 

बर्फ बोलते नहीं 
पत्थरों की तरह 
वे पिघलते भी नहीं 
इतनी आसानी से 
वे फिर से जम जाते हैं 
जिद्द की तरह।  


बर्फ का रंग 
हमेशा सफ़ेद नहीं होता 
जैसा कि दिखता है नंगी आँखों से 
वह रोटी की तरह मटमैला होता है 
बीच बीच में जला हुआ सा 
गुलमर्ग के खच्चर वाले के लिए 
तो सोनमार्ग के पहड़ी घोड़े के लिए 
यह हरा होता है घास की तरह 


बर्फ हटाने के काम पर लगे 
बिहारी मजदूर देखता है 
अपनी माँ का चेहरा 
जमे हुए हाथों से 
बर्फ की चट्टानों को हटाते हुए 

बर्फ 
प्रदर्शनी पर लगे हैं 
इनदिनों 
जिसका सीना छलनी है 
गोलियों के बौछार से 
तो इसका मस्तक लहूलुहान है 
पत्थरबाज़ी से।  

5. 
बर्फ का कभी 
नहीं हुआ करता था धर्म 
नहीं हुआ करती थी जाति
नहीं हुआ करता था रंगों का भेद 
लेकिन अब बर्फ की हत्या हो रही है 
पूछ कर धर्म ! 

मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

ठीक है

 मैंने कहा 

जा रहा हूँ 

फिर कभी नहीं दिखाऊँगा 

अपना चेहरा तुम्हें, 

तुमने कहा - ठीक है  ! 


तुमने कहा

जा रही हूँ 

नहीं दिखाऊँगी फिर कभी 

अपना चेहरा तुम्हें, 

मैंने पकड़ ली कलाई तुम्हारी 

और बैठ गया तुम्हारे कदमों में ! 


बस इतना सा फर्क है 

मेरे और तुम्हारे प्रेम में 

बाकी सब ठीक है  ! 

मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

प्रेम

 

1.

हवा
कब जाहिर करता है
अपना प्रेम! 

2.
पानी का प्रेम
तो  होता है 
रंगहीन, स्वादहीन! 

3.
आकाश के प्रेम को
कब समेटा जा सका है
बाहों में !

4.
आग का प्रेम
क्या केवल जलाता है ! 

5.
धरती का प्रेम
तो है धैर्य में।