शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

भगवा रंग

पत्तों का रंग 
अचानक हो गया है 
भगवा 

हो गए हैं 
अन्न के दाने 
भगवा 

यों तो 
नहीं होता रंग कोई 
पानी का 
फिर भी आभास हो रहा है 
पानी का रंग 
भगवे सा 

सूर्योदय और सूर्यास्त के रंग से 
भिन्न है यह रंग 
और राष्ट्रीय ध्वज में जो है रंग 
उसकी भावना से मेल नहीं खाता यह 

इस रंग से बू आती है 
जलते हुए मांस की और 
रक्त के खदकने का स्वर भी  !