शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

महानगर में बसंत

महानगर में बसंत 

सड़कों के किनारे लगे

बबूर, कीकर के वृक्षों  के काले पत्तों के बीच 

अपुष्ट खिले बेगनबेलिया से 

झाँकता है और 

घुल जाता है झूलते अमलताश की यादों से जुड़ी 

गांवों की स्मृतियों में ।  


महानगर में बसंत 

दस इंच के गमलों में माली द्वारा लगाए गए 

अकेली गुलदाउदी के अलग अलग कोणोंसे 

खींचे गए फोटो और सेलफियों को सोशल मीडिया के 

विभिन्न प्लेटफॉर्मों  पर किए गए अपडेट से 

झाँकता है और 

घुल जाता है आमों की नई मंजरियों की गंध से जुड़ी 

गांवों की स्मृतियों में । 


महानगर में बसंत 

वास्तव में उन्हीं के हिस्से आता है 

जो सुबह होने से पहले पार्कों की सफाई करते हुये 

गिरे हुये फूलों को देख हिलस उठते हैं 

जो शहर की नर्सरियों में भांति भांति के नन्हें नन्हें पौधों  को

नहाते हैं, धुलाते और सजाते हैं 


महानगर में बसंत 

पौधे बेचने वालों के ठेले पर रखे गमलों के समूह में 

होता है अपने उन्मान पर ।