मैं कभी भी
मारा जा सकता हूँ
कभी भी कोई आकर
भोंक सकता है मुझे
त्रिशूल
कोई खदेड़ कर मुझे
कर सकता है
तलवार आर पार
कोई मुझे
शूली पर चढ़ा सकता है
कभी भी
या फिर
गाडी में बंद कर
फूंक सकता है
भीड़ के साथ
मैं नागरिक हूँ
एक सहिष्णु देश का
मेरे गाँव को
साफ़ किया जा सकता है
गोमूत्र से
शुद्धि की जा सकती है
गंगाजल से
और इस विधान से शुद्ध गाँव में
दी जा सकती है किसी की भी बलि
सामूहिक रूप से उत्सव के तौर पर
एक बार मैं
लटक गया था खेतों के मेढ पर लगे पीपल से
जब खड़ी फसल में लग गया था फुफूंद
एक बार मैं
रेल की पटरी पर सो गया था
जब बाढ़ बहा ले गई थी फसल
एक बार रेत दिया गया था मेरा गला
सूदखोर महाजन के हाथों
इसी सहिष्णु देश में
मैं दब जाता हूँ पहियों के नीचे
फुथपाथ पर सोते हुए
जबकि वह पहिया कभी चला ही नहीं होता है
या फिर कोई चला ही नहीं रहा होता है
उस पहिये को
मेरे बच्चे खदेड़ दिए जाते हैं न्यायलय से
और न्याय की देवी मुस्कुरा रही होती हैं
मूंदे आँखे इसी सहिष्णु देश में
मेरी ही हड्डियां मिली हैं हर बार खुदाई में
मंदिरों के प्रस्तर में /मंडियों की सीढ़ियों में
राजदरबारों के प्रेक्षागृह में
मैं ही हारा हूँ बार बार
इस सभ्यता की यात्रा में सदियों से
मैं नागरिक हूँ
एक सहिष्णु देश का।
अरुण जी, अच्छी सोच है। बधाई। काव्य संकलन कब आ रहा है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (12-12-2015) को "सहिष्णु देश का नागरिक" (चर्चा अंक-2188) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेहद अच्छी और सामयिक रचना। सटीक लेखन के लिए बधाई ...
जवाब देंहटाएंबेहद अच्छी और सामयिक रचना। सटीक लेखन के लिए बधाई ...
जवाब देंहटाएंमैं नागरिक हूँ
जवाब देंहटाएंएक सहिष्णु देश का।
गंभीर प्रस्तुति
अच्छा बुरा सब कुछ है इस देश में.
सहिषुणता व्यक्ति व्यक्ति पर निर्भर है.
झकझोर दिया ।
जवाब देंहटाएंएक आम नागरिक सब कुछ सहता है फिर भी उसे देश असहिष्णु नहीं लगता . काफी कुछ समेटा है इस कविता में .
जवाब देंहटाएंgood !You have express your feeling in poem very inteligently ,I like it .
जवाब देंहटाएंLajawab...bahut achha likhe hain bhai .
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