मेरे गाँव के बच्चे
जो कभी कभी ही
जाते हैं स्कूल
आज
घूम रहे हैं लेकर तिरंगा
लगा रहे हैं नारे
भारत माता की जय
भारत माता
उनकी अपनी माता सी ही है
जो नहीं पिला पाती है
अपनी छाती का दूध
क्योंकि वह बनता ही नहीं
मुझे वे कोरबा के आदिवासियों से लगते हैं तब
जिनकी जमीन पर बनता है
विश्व का अत्याधुनिक विद्युत् उत्पादन संयत्र
करके उन्हें बेदखल
अपनी ही मिटटी से , माँ से
मेरे गाँव के बच्चे का तिरंगा
बना है रद्दी अखबार पर
जिसपर छपा है
देश के बड़े सुपरस्टार का विज्ञापन
जो अपील कर रहा है
कुपोषण को भागने के लिए
विटामिन, प्रोटीन युक्त खाना खिलाने के लिए
सोचता हूँ कई बार कि
क्या सुपरस्टार को मालूम है
कैसे पकाई जाती है खाली हांडी और भरा जाता है पेट
जीने के लिए, पोषण के लिए नहीं
और कुपोषितों तक नहीं है पहुच
अखबारों की
हाँ ! मेरे गाँव के बच्चों का तिरंगा
बना है रद्दी अखबार से
ऊपर केसरिया की जगह
लाल रंग है
जो उसने चुरा लिया है
माँ के आलता से
उसे मालूम नहीं कि
केसरिया और लाल रंग में
क्या है फर्क
फिर भी रंग दिया है
अखबार को आधे लाल रंग से
और स्याही से रंग दिया है
आधे अखबार को
हरियाली की जगह
मेरे गाँव के बच्चे को
नहीं मालूम कि
हरियाली कम हो रही है देश में , गाँव में
और कार्पोरेटों का सबसे प्रिय रंग है नीला
नीला क्योंकि आसमान है नीला
नीला क्योंकि समंदर है नीला
कार्पोरेट को चाहिए
आसमान और समंदर सा नीला विस्तार
किसी भी कीमत पर
ऐसा कहा जाता है
उनके कार्पोरेट आइडेनटिटी मैनुअल और विज़न स्टेटमेंट में
और हाँ
बीच में श्वेत रंग की जगह
अखबार के छोटे छोटे अक्षर झांक रहे हैं
अब बच्चे को क्या मालूम कि
अखबार के छपे के कई निहितार्थ होते हैं
और श्वेत शांति का नहीं रहा प्रतीक
मेरे गाँव के बच्चे
आज फहरा रहे हैं तिरंगा
जिसमे नहीं है
केसरिया, हरियाली या सफेदी ही
ये रंग रंगहीन हैं जब तक इनका असली रंग हर किसी को सार्थक रूप से न मिल पाए ... इनके चेहरे पे ये रंग न खिले ... गहरी रचना हमेशा की तरह ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया article लिखा है आपने। ........Share करने के लिए धन्यवाद। :) :)
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-01-2017) को "लोग लावारिस हो रहे हैं" (चर्चा अंक-2586) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
वाह अति सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंगहरी रचना ।
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