रुपया
जो कागज़ हो गया
कागज़ हो गया
जीवन
गीला हो रहा है
जो गीले हो रहे हैं
नयन।
सुना है
रुपया होता है
कुछ सफ़ेद
और कुछ काला
काला रुपया होता है
गोरे चमचमाते लोगों के पास
फैक्ट्री की चिमनियों
बड़ी बड़ी गाड़ियों में
और सफ़ेद रुपया
बंधा होता है
मैली पसीने से गंधाती
धोती, साडी की अँटियों में।
उम्मीद और जोश
भरा है आँखों में
जब सारा काला रुपया
सफ़ेद होकर रहेगा
मैली पसीने से गंधाती
धोती और साड़ियों की अँटियों में
अन्यथा विमुद्रीकरण भी
सरकार की तमाम अन्य नीतियों की भांति
बनकर रह जायेगा
एक छद्म।
शायद इस बार उमीदें कुछ ज्यादा हैं तो ऐसा न हो ...
जवाब देंहटाएंThanks for sharing such a nice article ..... Really amazing article!! :) :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया ।
जवाब देंहटाएंएक और विश्वास जो दुखद स्वप्न बन कर रह गया...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
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