बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

युद्ध

      

1. 
आसमान में जब 
गुर्रा रहे होते हैं 
तरह तरह के 
लड़ाकू जहाज 
तोप के बरसते गोलों से
जब दहलते हैं पहाड़ 
इस बीच जब मां के स्तनों से मूंह लगाये बच्चा 
जब मुस्कुरा उठता है 
झुक जाता है शीश 
दुनिया भर के राज्याधीशों का. 


2. 

अभी अभी 
इधर से ताबड़ तोड़ गोलियां चलीं 
उस से पहले उस ओर से 
बरस रही थी गोलियां 
दूसरे पक्ष के जवानों को मार गिराने के 
परस्पर दावों के बीच 
एक छोटा बच्चा जिद्द किये बैठा है 
पाठशाला जाने की 
इस जिद्द के आगे 
बौने प्रतीत होते हैं  
दुनियां भर की सत्ताओं की जिद्द . 


3. 

झुलस गए हैं 
गेंहूं के खेत 
बारूद के गिरने से 
एक पेड़ पर गिरे थे जो 
गोले के छर्रे 
जल गए हैं पत्ते 
जो बच गए हैं 
सहमे हुए हैं 
राख के बीच 
मुस्कुरा रहा है 
फुलाया हुआ सरसों का नन्हा पौधा 
निर्भीक, निर्भय 
जैसे बुद्ध मुस्कुराते हैं 
वार रूम की दीवार पर टंगे टंगे . 


8 टिप्‍पणियां:

  1. राजकाज के लिये जरूरी हैं एक नहीं कई युद्ध। सुन्दर भाव।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

    जवाब देंहटाएं
  3. युद्ध की विभीषिका के मध्य जीवन के कुछ अनमोल पल...युद्ध भी तो शांति के लिए ही लड़ा जाता है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यही तो विडंबना है.
      पर दुष्टता बस से बाहर हो जाए,
      तो शस्त्र उठाना पड़ता है.

      हटाएं
  4. युद्ध सिर्फ आखिरी विकल्प होता है लेकिन ये विकल्प एक समय पर किसी भी राष्ट्र को चुनना ही पड़ता है। बहुत सुंदर कविता।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर स्रजन, ख़ूबसूरत भाव, शुभकामनाएं .

    जवाब देंहटाएं
  6. सच लिखा है ... शायद कडुआ सच पर इस युद्ध स्वीकार करना जरूरी है उतना ही जितना सांस लेना ...

    जवाब देंहटाएं