गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

विदा 2020

 साल तुम जाओ अब 

जाते हुए तुम लेते जाओ 

सब उदासियाँ और अँधेरे 


मजदूरों की बेकारी लेकर जाओ

जाओ लेकर किसानों से साथ होने वाला 

विश्वासघात 

मशीनों के पुर्जों की घिसान भी लेकर जाना 

और लेकर जाना अबोलापन और अकेलापन 

आदमी और आदमी के बीच का . 


धर्म भी लेते जाओ तुम साथ अपने 

लेते जाओ तुम घृणा भी 

क्योंकि इनके बिना आदमी लागता है 

अधिक आदमी , अधिक मानवीय 


न जाने कितने पेड़ हमने काटे दुनिया भर में 

लाखों एकड़ जंगल जलने के कारण बने हम 

हो सके तो ले जाओ तुम अपने साथ 

दुनिया भर की वे मशीने जो 

जमीदोज करती हैं पेड़ पहाड़ पर्यावरण .


जाते हुए साल तुम साथ लेजाओ 

सब बीमारियाँ , सब रुदन 

छोड़ जाओ थोडा रंग बच्चों के मन में 

कुछ अच्छे बीज मानवता के जिन्हें उगा 

नए साल को हम बना सकें हरा-भरा . 


विदा 2020. 

अपनी परछाइयों को लौटने नहीं देना नए साल में 

बस इतनी सी प्रार्थना है . 


2 टिप्‍पणियां:

  1. ठठरी बंध जाय सदा-सदा के लिए २०२० की, फिर लौट के न आये किसी रूप में, यही विनय है ईश्वर से

    बहुत अच्छी सामयिक रचना

    नया साल सबके लिए मंगलकारी हो, यही प्रार्थना करते हैं

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