मंगलवार, 23 मई 2023

घुटने का दर्द


ऐसा कौन है 

जिसके घुटने में नहीं है दर्द 

जिसे नहीं हो रही कठिनाई 

सीढ़ियाँ चढ़ने या उतरने में 

फिर भी क्या कभी सुना कि

किसी ने पूछा हो 

आपके घुटने का हाल 

या बताया हो 

अपने ही घुटने का हाल । 


दरअसल जो जरूरी है 

वह हो नहीं रहा दुनियाँ में 

और गैर जरूरी संवादों से भरी दुनिया 

होती जा रही है संवाद और संवेदना हीन । 


घंटों मोबाइल या लैपटॉप या कंप्यूटर की सकीं से 

बुझी आँखों के पीछे जो दर्द होता है 

घुटनों का , रीढ़ की हड्डी का या ढीली पड़ती पकड़ का 

उसका जिक्र कहाँ करना चाहता है कोई 

और करे भी कैसे जब कोई सुनना ही नहीं चाहता ।  


थक रहे कदमों, बुझ रही आँखों 

और आँगन के सूनेपन की अभिव्यक्ति के लिए 

नहीं बन सकता पंद्रह बीस सेकेंड का कोई रील । 

5 टिप्‍पणियां:

  1. आज हर बन्दे को यह दर्द है तो कौन किसका हाल पूछे ।संवेदनशील रचना

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  2. दर्द मंजूर है लेकिन दर्द की जड़ मोबाइल टीवी कम्प्यूटर को खबरदार जो कुछ कहा....इके बिना साँसें भी दूभर...
    लाजवाब सृजन ।

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  3. ये तो बहुत जरूरी कविता है। बहुत बढ़िया।

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