सोमवार, 23 दिसंबर 2024

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य

सौंदर्य की गढ़ी हुई परिभाषों से इतर 

एक अलग सौंदर्य होता है 

फटी हुई एड़ियों में 

फटी एड़ियों वाली स्त्री में !


वह सौंदर्य साम्राज्ञी नहीं होती 

उसके चेहरे पर नहीं दमकता 

ओढा हुआ ज्ञान 

या लेपी हुई चिकनाहट 

वे अनगढ़ होती हैं 

जंगल के पुटुश के फूल की तरह 

मजबूत है, चमकदार भी

हाँ,  छुईमुई भी । 


फटी एड़ियों वाली स्त्री के हाथ भी 

होते हैं अमूमन खुरदुरे 

नाखून होते हैं घिसे 

जिस पर महीनों पहले चढ़ा नेलपेंट 

उखड़ चुका होता है 

उसकी उँगलियों में भी दिखती है दरारें 

जो सर्दियों में अक्सर बढ़ जाती है 

लेकिन वह इसकी फिक्र ही कहाँ करती 

या फिर कर ही नहीं पातीं 


फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य 

दिखता है

शहर के चमचमाते बिजनेस या दफ्तर परिसर में

सफाई कर रही स्त्रियॉं में 

कहीं दूर गांवों में धान काट रही स्त्रियॉं में 

गेंहूँ बोती हुई गीत गाती स्त्रियॉं में 

शहरी मोहल्लों में सड़क बुहारती स्त्रियॉं में 

या फिर गोद में बच्चे को उठाये बोझ उठाती मजदूर स्त्रियॉं में 

हाँ, सुबह सुबह लगभग दौड़ कर 

फैक्ट्री पहुँचती स्त्रियॉं की एड़ियाँ भी फटी पायी जाती हैं !


फटी हुई एड़ियाँ  नहीं है 

कोई हंसने या अफसोस जताने वाली बात 

यह श्रम का प्रतीक है 

यह स्वबलमबनऔर सम्मान  का प्रतीक है 

 प्रतीक है स्त्रियॉं के सशक्त होने का !


सौंदर्य की परिभाषा से अनिभिज्ञ 

फटी एड़ियों वाली स्त्री  भी 

भीगती है नेह से 

उसकी आँखों के कोर गीले हो जाते हैं जब 

फटी हुई एड़ियों को हृदय से लगा 

चूमता है उनका प्रेमी ! 




सोमवार, 16 दिसंबर 2024

गोल रोटियों का भय

 

रोटियाँ गोल ही क्यों होनी चाहिए 

यह बात मुझे आज तक समझ नहीं आई 

जबकि रोटियों को खाना होता है 

छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ कर 

रोटियों को गोल बेलने में 

शताब्दियों से भय जी रही औरतों ने 

क्यों नहीं उठाई आवाज़ 

यह बात भी मुझे आज तक समझ नहीं आई 

जबकि रोटियों के गोल होने या न होने से 

नहीं बदलता , न ही संवर्धित होता है उसका स्वाद 


रोटियों के गोल बेलने का दवाब

लड़कियों पर होता है शायद बचपन से 

और उतना ही कि 

उंनकी नज़रें नहीं उठें ऊपर 

उनके कदम नहीं उठें इधर उधर 


किताबों के ज्ञान से कहीं अधिक मान 

आज भी दिया गया है 

रोटियों के गोल होने को 

चाहे स्त्रियाँ उड़ा ही रही हो जहाज़, 

दे रही हो नए नए विचार 



यहाँ तक कि कई बार स्वयं स्त्रियाँ भी 

बड़ा गर्व करती हैं अपने रोटी बेलने की कला  पर ! 

जबकि गोल रोटी को देख मुझे 

हर बार लगता है जैसे बेड़ियों में जकड़ी स्त्री खड़ी हो सामने !










बुधवार, 4 दिसंबर 2024

युद्ध में मारे गए सैनिकों के बच्चे

युद्ध में मारे गए सैनिकों के बच्चे 

युद्ध के बारे में क्या सोचते हैं 

क्या आपको पता है ? 

मुझे तो बिलकुल भी नहीं पता ! 


क्या होती है 

भौगोलिक सीमाएं 

इस पार की जमीन 

और उस पार के जमीन 

के बीच क्या फर्क है 

क्या जानना चाहते होंगे 

युद्ध में मारे गए सैनिकों के बच्चे 

क्या आपको पता है ?

मुझे तो बिलकुल भी नहीं पता ! 


ये बच्चे क्या कभी मिलना चाहेंगे 

उस पार के सैनिक से जिसकी गोलियों से 

घायल हुये थे उसके पिता 

या फिर उस पाइलट से 

जिसने अंधेरे में गिराया था दुश्मनों की छावनी पर बम 

इस बारे में क्या आपको कुछ पता है ?

मुझे तो बिलकुल भी नहीं पता !


ये बच्चे क्या कभी अपने राष्ट्रपति से 

प्रधानमंत्री से या फिर रक्षा मंत्री से 

या फिर सेना के सुप्रीम से मिलना चाहेंगे 

जिनकी सुरक्षा में रहते हैं सैकड़ों सिपाही 

जिनके आने जाने से पहले करा दी जाती हैं खाली 

शहर की सड़कें ,

जिनके रास्ते  से हटा दिये जाते हैं लोग 

क्या आपको कुछ पता है इस बारे में ?

मुझे तो बिलकुल भी नहीं पता !