पत्तों का रंग
अचानक हो गया है
भगवा
हो गए हैं
अन्न के दाने
भगवा
यों तो
नहीं होता रंग कोई
पानी का
फिर भी आभास हो रहा है
पानी का रंग
भगवे सा
सूर्योदय और सूर्यास्त के रंग से
भिन्न है यह रंग
और राष्ट्रीय ध्वज में जो है रंग
उसकी भावना से मेल नहीं खाता यह
इस रंग से बू आती है
जलते हुए मांस की और
रक्त के खदकने का स्वर भी !
इस भगवे रंग को पवित्र होना होगा ... और रंग भी भगवा रखना होगा ... आप हम सब की जिम्मेवारी भी यही है ... भगवा अपना रंग है ...
जवाब देंहटाएंजो जैसा देखे, उसे वैसा दिखे ये रंग.. सबके मन के अलग अलग ढंग..
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंहैल्थ से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए यहां पर Click करें...इसे अपने दोस्तों के पास भी Share करें...
जवाब देंहटाएंHerbal remedies
काहे इतना जहर घोलते, अपने घर के आँगन में !
जवाब देंहटाएंसोये बच्चे ही भुगतेंगे , जहर गिरे शाखाओं से !
पैदा हुए तो सच्चे थे,पर धर्म सिखाया दुनियां ने,
आज यह कैसे खून की बूँदें,टपक रहीं शाखाओं से !
सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवाह ।
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