शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

जियो - अंततः उपभोक्ता ही ठगा जाना है


संयोग कहिये कि रिलायंस सीडीएमए जब लांच हुआ हुआ था तब भी एनडीए की ही सरकार थी। अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी। आज जब जियो लांच हो रहा है तब भी एनडीए की ही सरकार है।
मोबाइल जानकारों को मालूम होगा कि भारत में दो तरह की मोबाइल टेक्नोलॉजी लांच हुई थी - एक जीएसएम और दूसरा सीडीएमए। सीडीएमए का लाइसेंस बहुत ही कम फीस पर ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क देने के लिए दिया गया था। उसे WLL यानी वायरलेस इन लोकल लूप कहा जाता था। रिलायंस ने देश के लगभग सभी टेलकम सर्किल के लिए सीडीएमए लाइसेंस हासिल किया था बहुत ही कम कीमत पर।सीडीएमए में ढेर सारी सुविधाएँ प्रतिबंधित थी जैसे रोमिंग, कॉलर आइडेंटिफिकेशन। लूप से लूप जोड़ कर एक सर्किल से दुसरे सर्किल तक रोमिंग देकर रिलायंस ने सीडीएमए से जीएसएम नेटवर्क को चुनौती दी थी फ्री इनकमिंग देकर। जबकि सीडीएमए में इनकमिंग फ्री देना लाइसेंस की शर्त थी। बाद में जीएसएम मोबाइल प्रोवाइडर्स को भी इनकमिंग मुफ्त देनी पड़ी। यह एक बेईमानी से भरा किन्तु बड़ा कदम था देश में मोबाइल डेनसिटी बढ़ाने के लिए। तब भी रिलायंस ने कुछ नया नहीं किया था बल्कि आम भाषा में कहिये तो जुगाड़ किया था। अन्य नेटवर्क प्रोवाइडर जैसे एयरटेल, वोडाफोन आदि ने शिकायत क्यों नहीं की , ये आश्चर्य का विषय था।
आज जो काम जियो कर रही है वह बीएसएनएल और एमटीएनएल पहले से कर रहे हैं सीमित रूप से। जैसे बीएसएनएल रात को निःशुल्क काल देता है किसी भी नेटवर्क पर। देश भर में रोमिंग भी फ्री दे रहा है। डाटा पर रोमिंग चार्ज नहीं लेता है। एमटीएनएल जो दिल्ली और मुम्बई में काम करती है आपस में निशुल्क कॉलिंग सेवा देती है चाहे लैंडलाइन हो या मोबाइल। सरकारी कंपनियों के पास विज्ञापन में इन्वेस्ट करने के लिए पैसा नहीं होता है। यह बीएसएनएल ने जन्म के समय से देख रहा हूँ। कुछ फंड की कमी, कुछ अफसरों की कमी तो कुछ अन्य प्रकार के दवाब।
और जियो की स्ट्रेटेजी समझिये। वह कुछ नहीं दे रहा है आपको। इधर दो तीन वर्षों से मोबाइल कंपनियों के रेवेन्यू पैटर्न में बदलाव आया है। काल से ARPU यानी एवरेज रेवेन्यू पर यूज़र बहुत कम रह गया है। VAS यानि वैल्यू एडिड सर्विसेस जैसे एसएमएस , इंफोटेनमेंट आदि आदि का मार्किट ख़त्म हो गया है। बच गया है तो डाटा। आने वाला समय केवल और केवल डाटा का है। और डाटा के पैसे ले ही रहा है जियो। हाँ मोबाइल कंपनियों के डाटा मेज़रमेंट का पैमाने में कितना खोट है यह हम सब जानते ही हैं। डाउनलोड स्पीड जितनी अधिक होगी डाटा का उपयोग उतना ही अधिक होगा। एक आम उपभोक्ता का डाटा उपयोग जियो में दुगुना तिगुना होने की सम्भावना है। अर्थात आपके जेब से वही तीन चार सौ रूपये निकलने हैं। साथ में जियो अपना हैंडसेट बेच ही रहा है।
इसलिए आने वाले समय में सभी नेटवर्क प्रोवाइडर को अपना डाटा चार्ज कम करेंगे, डाटा मेज़रमेंट में बेईमानी करेंगे। अंततः उपभोक्ता ठगा जाना है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा अध्यन है आपका इस विषय पर ... अच्छी जानकारी ... आखिर मिएँ तो सब उपभोक्ता को ही चूसने वाले हैं ...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-09-2016) को "आदमी बना रहा है मिसाइल" (चर्चा अंक-2455) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "प्रेम से पूर्वाग्रह तक “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. ठगा जाने के लिये तैयार रहे कोई तो ठगने वाला क्या करे?
    बहुत सुन्दर ।

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  5. सच है जब लोग ठगेंगे तभी तो तभी तो ये कंपनियां चलेगें
    बहुत सुन्दर जागरूक कराती प्रस्तुति

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  6. पोस्ट जागरूक कराती है पर हम सब ठगे जाने के तैयार रहते है जो ठग जाना तय है

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  7. और तो जो है, सो है ही, पर माननीय के भाषण के क्लिपिंग का यूज करना क्या सही है ?

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  8. SAHI HAI PLEASE READ MY BLOGPOST RELATED TO THIS TOPIC

    http://kucugrabaatein.blogspot.in/2016/09/blog-post.html

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  9. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "भूली-बिसरी सी गलियाँ - 8 “ , मे आप के ब्लॉग को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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