गुरुवार, 4 मार्च 2021

विवाह के इक्कीसवीं वर्षगाँठ पर

इक्कीस साल पूरे हो गए 

अपने विवाह को 

बच्चे  भी हो रहे हैं बड़े 

लेकिन एक तुम हो कि हर दिन 

ऐसे पेश आती हो कि 

लगता है आज पहला दिन हो 

अपने साथ का । 


तुम और मैं 

दोनों ही हो गए हैं 

धीरे धीरे मोटे 

और हमे पता ही नहीं चला 

लेकिन हमारी मोटाई का 

कहाँ कोई असर पड़ा 

अपने प्रेम पर 

अपने खानपान पर  . 


डॉक्टर कहते रहते हैं कि 

कम खाओ चीनी 

जिसे मैं याद भर करता हूँ 

बनाते हुये सुबह की चाय 

डॉक्टर की सलाह कि 

कम खाओ नमक 

तुम अनदेखी करते हुये 

देती हो  जरूरत और स्वाद भर नमक 

दाल, सब्जी, भरता , पकोड़े आदि में 

हंस कर कहती हो - जीवन में स्वाद न हो तो क्या जीवन ! 


डॉक्टरों ने चेताया है कि 

आने वाले समय में कमी हो जाएगी कैल्सियम की 

तुम्हारी हड्डियों में 

लेकिन सुबह से शाम तक 

घिरनी की तरह नाचते देख तुम्हें 

झूठा लगता है डॉक्टर 

मुझे भी तो कहा है कि ध्यान रखूँ अपना 

चढ़ते उतरते सीढ़ियाँ 

मापते रहूँ अपना रक्तचाप नियमित रूप से 

लेकिन ये सब कोरी बातें रह जाती हैं 

जिंदगी के चक्रव्यूह में । 


बढ़ गया है तुम्हारी एड़ियों का खुरदुरापन 

तुम्हारे नाखून अब बढ्ने से पहले टूट जाते हैं 

और जिस दिन धो लेती हो चद्दरें, पर्दे 

बढ़ जाता है तुम्हारे हाथों का दर्द 

लेकिन दबाते हुये तुम्हारे हाथ

सहलाते हुये तुम्हारी एड़ियाँ 

प्यार के उन पलों से अधिक कोमल होते हैं 

उसी तरह जिस तरह मेरे झड़ते बालों पर भी 

रीझी रहने लगी तो तुम । 


अचानक हम सोचने लगे हैं 

बच्चों के दूर रहने पर होने वाले अकेलेपन के बारे में 

उनके साथ सहजता से रहने के बारे में 

उन आदतों को छोडने के बारे में 

जो हमारे माता-पिता में थे और जिनसे असहज हुआ करते थे हम 

हम सोचने लगे हैं 

नई पीढ़ी से तारतम्य बिठाने के बारे में । 


जबकि बहुत समय है अभी हम दोनों के पास 

फिर भी अब बातें करने लगे हैं 

कौन छोड़ जायेगा दुनिया को पहले 

कई बार योजना भी बनाते हैं कि क्यों न साथ कूच करने हम 

इस दुनिया से 

भगवान् को याद किये बिना भी 

हम कई बार आध्यात्मिक हो जाते हैं . 


न जाने क्यों तुम 

अब मेरी सब गलतियों को माफ़ करना शुरू कर दिया 

और मैं तो कभी गलती निकाल ही नहीं पाता तुममे .


हाँ तुम से बातें करते हुए 

कभी समय का अंदाजा ही लगता 

इसी लिए तो इक्कीस साल कैसे बीत गए 

इसका भान तक नहीं हुआ 

और कब ये साथ पच्चीस का या तीस का 

या फिर पचास का होगा 

हमें पता भी नहीं चलेगा 

हाँ एक बात कहे देता हूँ कि 

झुर्रियों भरे तुम्हारे हाथ 

पहले से अधिक कोमल लगेंगे मुझे 


स्पर्श की भाषा 

शब्दों से कहीं अधिक प्रभावी होती हैं 

तुम्ही कहा करती हो पढ़ती हुई मेरी कविता. 

6 टिप्‍पणियां:

  1. विवाह की 21वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति

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  2. देर से ही सही , विवाह कि वर्षगांठ पर बहुत बहुत शुभकामनाएं . मन के भाव किस तरह उभर कर आये हैं देखते ही बनता है . इक्कीस वर्षों के साथ का निचोड़ है यह कविता . बहुत सुन्दर .

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  3. देर से ही सही 21वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं !!

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