पाकिस्तान के अलग होकर बदली बांग्लादेश की किस्मत
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अरुण चन्द्र
रॉय
बांग्लादेश अपनी आजादी की गोल्डेन जुबली साल मना रहा है । 26
मार्च 1971 को को पाकिस्तान से अलग होने के 50
साल का जश्न मनाते हुये बांग्लादेश अपनी
बदली हुई किस्मत पर नाज भी कर रहा है ।
यह
अवसर इस बात पर विचार करने का भी है
कि एक देश - जिसे 1972 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड
निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ हेनरी किसिंजर ने 'बास्केट विथ ए होल” कहा था, वह देश आज आर्थिक विकास,
निर्यात, रोजगार, कुटीर उद्योग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सफलता
की कहानी लिख रहा है और लगभग सभी मानों में
पाकिस्तान से बेहतर राष्ट्र
में गिना जा रहा है। यह
बांग्लादेश के राजनीतिज्ञों, रणनीतिकारों और अंततः जनता की सफलता है ।
पाकिस्तान
देश के भूभाग का वह हिस्सा जिसे बाढ़ की तबाही के लिए जाना जाता था,
जिसे राजनीतिक हिंसा और अस्थिरता के लिए जाना जाता था,
जिसे “इंटेरनेशनल बेगर” के रूप में टैग कर दिया गया था,
वह आज स्वतंत्र और संप्रभु देश होने के साथ
साथ खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर है और अपने संपदाओं और संसाधनों का बेहतर
प्रबंधन कर रहा है । आज जब पाकिस्तान आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले राष्ट्र के रूप
में बदनाम है वहीं बांग्लादेश शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में भी लगातार आगे बढ़ रहा
है ।
पिछले पाँच दशक के दौरान बांग्लादेश के उल्लेखनीय प्रदर्शन
का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज वह
सबसे कम विकासशील देशों में नहीं शामिल नहीं
किया जाता है। बांग्लादेशी निर्यात की मात्रा पाकिस्तान की तुलना में दोगुनी है
और इसकी मुद्रा, टका के मामले में भी ऐसा ही है, जिसका
मूल्य पाकिस्तान के रुपये से लगभग दोगुना हो गया है।
जहां
तक जीडीपी विकास दर का प्रश्न है बांग्लादेश की जीडीपी विकास दर
पाकिस्तान की 1.5% की तुलना
में 7.9% है, जबकि भारत का जीडीपी विकास दर भी बांगलादेश से कम ही
है । विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी
देश के आर्थिक और वित्तीय स्थायित्व का द्योतक होता है । इस मामले में भी बांगलादेश
पाकिस्तान की तुलना में बेहतर है । वर्ष 2020 में बांग्लादेश के
पास 41 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था जबकि पाकिस्तान का केवल 20 अरब डॉलर है। पासपोर्ट इंडेक्स,
साक्षरता
अनुपात, माइक्रो-क्रेडिट फाइनेंसिंग और महिला सशक्तिकरण के मामले में
बांग्लादेश पाकिस्तान से कहीं आगे
है।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कि कभी बांग्लादेश को "अंतर्राष्ट्रीय
भिखारी" कहा जाता था वह आज "आर्थिक रूप से जीवंत देश" के रूप में गिना जाता है और इस परिवर्तन में
योगदान देने वाले चार कारक हैं: नेतृत्व, नवाचार, योजना और
स्वामित्व।
चूंकि बांग्लादेश भारत को दुश्मन देश
नहीं मानता है, इसलिए उसका रक्षा व्यय पाकिस्तान के सकल घरेलू
उत्पाद का 4% की तुलना में केवल
1.9% ही है। रक्षा व्यय में इस बचत का उपयोग बांगलादेश शिक्षा और
तकनीकी विकास के लिए कर रहा है । प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में बांग्लादेश ने बहुत
मेहनत की है । आज बांग्लादेश में प्रति हजार बच्चों में केवल 5 बच्चे ही स्कूल से बाहर
हैं जबकि पाकिस्तान में हजार में से लगभग 30 बच्चे स्कूल नहीं जाते । पाकिस्तान का
साक्षारता दर केवल 61% है और बांग्लादेश का 65% है ।
बांग्लादेश की जनता का रचनात्मक कौशल जो कपड़ों के निर्यात
में वृद्धि, जनसंख्या नियंत्रण, बेहतर साक्षरता
अनुपात, गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण के रूप में परिलक्षित होता है। आज बांग्लादेश थोड़ी मात्र में कपास
का आयात करके अपने वस्त्र कारखानों से 35 बिलियन डॉलर के रेडीमेड कपड़ों का निर्यात कर रहा है । इसके विपरीत, पाकिस्तान -
कपास उगाने वाला देश होने के बावजूद - अपने कपड़ों और कपड़ा उत्पादों के निर्यात
को $ 10 बिलियन से अधिक बढ़ाने में विफल रहा है।
राजनीतिक ध्रुवीकरण के संकट के बावजूद बांग्लादेशी सरकार का ध्यान
अर्थव्यवस्था, शासन और सामाजिक और मानव विकास पर है। कुछ साल
पहले प्रधान मंत्री शेख हसीना ने आत्मविश्वास से कहा था कि बांग्लादेश की
स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ अवामी लीग की सरकार के तहत मनाई
जाएगी। उन्होंने यह भी संकल्प लिया कि बांग्लादेश आंदोलन का नेतृत्व करने वाली लीग
यह सुनिश्चित करेगी कि देश सभी आर्थिक, मानव और सामाजिक विकास संकेतकों के
मामले में पाकिस्तान को हरा दे। कई साल पहले की शेख हसीना की भविष्यवाणी अब मुख्य
रूप से पाकिस्तान में राजनीति, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के
अपराधीकरण के कारण सच हो गई है।
आज
बांग्लादेश, अपने पड़ोसी बड़े राष्ट्रों चीन और भारत के साथ बेहतर
राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध स्थापित करके देश में शांति,
औद्योगिक एवं आर्थिक विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है ।
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