जो नहीं कहा गया है
उसे सुनने के लिए
ईश्वर ने नहीं बनाए कोई कान
सुना जाता है उसे तो
हृदय के स्पंदनों से
जो कहा नहीं गया
वह तो संगीत है
जैसे बिना कहे बहने वाली पहाड़ी नदी का संगीत
इस संगीत को कब सुना है कान वालों ने
इसे तो सुनती है तलछटी में रहने वाली चंचल मछलियां
अपनी सांसों के जरिए।
वह जो नहीं कहा है आपने
उसे तो सुना जा सकता है
फूलों की पंखुड़ियों को छू कर
गेंहू की बालियों को अपने बालों में खोंस कर
आसमान के बादलों को
अपनी बाहों में भरने जैसा महसूस कर
और इनके लिए तो चाहिए
बस कोमल सा हृदय
कान वाले कहां सुन पाएं है
अनकहा !