मंगलवार, 14 जून 2022

उसे सुनना जो नहीं कहा गया है

 जो नहीं कहा गया है

उसे सुनने के लिए

 ईश्वर ने नहीं बनाए कोई कान

सुना जाता है उसे तो

हृदय के स्पंदनों से 


जो कहा नहीं गया 

वह तो संगीत है

जैसे बिना कहे बहने वाली पहाड़ी नदी का संगीत

इस संगीत को कब सुना है कान वालों ने 

इसे तो सुनती है तलछटी में रहने वाली चंचल मछलियां

अपनी सांसों के जरिए। 


वह जो नहीं कहा है आपने 

उसे तो सुना जा सकता है 

फूलों की पंखुड़ियों को छू कर

गेंहू की बालियों को अपने बालों में खोंस कर  

आसमान के बादलों को 

अपनी बाहों में भरने जैसा महसूस कर

और इनके लिए तो चाहिए

बस कोमल सा हृदय


कान वाले कहां सुन पाएं है

अनकहा !

शुक्रवार, 3 जून 2022

संकट

 संकट में हैं नदियां 

संकट में इनकी अटखेलियां 

संकट में हैं पहाड़ 

संकट में है हमारा प्यार 


संकट में हैं तितलियां 

संकट में हैं मंजरियां 

संकट में हैं तालाब 

संकट में है इनका आब 


संकट में हैं पेड़ की छांव 

उखड़ रहे हैं इनके पांव 

संकट में भालू शेर 

हो रहे ये नित दिन ढेर 


संकट में नहीं है पूंजी 

संकट में नहीं है बाजार 

तरह तरह की तरकीबें अपनाकर 

रहता यह हरदम गुलजार।