सोमवार, 13 जनवरी 2025

कम समझने वाले लोग

 कम समझ वाले लोग 

अक्सर किए जाते हैं 

इस्तेमाल 

घरों में 

परिवार में 

रिश्ते-नातों में

मोहल्ले में 

समाज में 

और देश दुनियाँ में भी । 


कम समझ वाले लोग 

कम ही करते हैं 

अपने दिमाग का इस्तेमाल 

वे सोचते हैं दिल से 

वे नहीं करते हैं जुगत-जुगाड़ 

बनाने के लिए अपना काम 

उनमें लालच भी होता है कम ही 

वे अपने हिस्से की रोटी भी दे आते हैं 

किसी भूखे को और खुद पानी पीकर जाते हैं सो । 


कम समझ वाले लोग 

जीते हैं वर्तमान में 

कल के लिए नहीं जीते हैं वे 

न ही कल के लिए बचाते हैं 

वे बेलौस हँसते हैं 

और कभी नहीं सोचते कि

हँसते हुये कैसे लगते हैं उनके दाँत । 


वे किसी के लिए भी, कभी भी, कहीं भी 

मौजूद हो जाते हैं हवा के झोंके की तरह 

नहीं सोचते कि कौन खड़ा हुआ था या नहीं हुआ था उनके साथ 

जब कभी जरूरत में थे वे  

और उनकी समझ में कम ही आता है 

रिश्तों का गणित   । 


ऐसे कम समझ वाले लोग 

 बुलाये जाते हैं 

जरूरत पर नजदीकी परिवारों में, 

दूर दराज के रिशतेदारों में भी 

और अवसर के बाद अक्सर दिये जाते हैं भुला 

अगले अवसर तक के लिए । 


आपने भी देखे होंगे 

ऐसे कम समझ वाले लोग 

अपने आसपास 

 इन्हें पहचानना नहीं होता का 

बहुत मुश्किल 

इनके चेहरे पर निजी परेशानियों की लकीरें 

नहीं होती हैं 

होती हैं एक बेफिक्र हंसी 

तेज चाल क्योंकि ये लोग अक्सर जल्दीबाजी में होते हैं 

कहीं किसी के पास पहुँचने के लिए । 


दुनियाँ को खूबसूरत बनाने के लिए 

दुनियाँ को खूबसूरत बनाए रखने के लिए 

बेहद जरूरी हैं ये कम समझ वाले लोग 

क्योंकि आपने भी देखा होगा 

अधिक समझ वाले लोगों ने 

हथिया रखीं हैं औरों की जमीनें 

दखल कर रखा है औरों के खेत 

कब्जा कर रखा है किसी और के घर 

दो देशों के बीच युद्ध के कारण भी यही हैं 

अधिक समझ रखने वाले लोग ! 


काश इस दुनियाँ में इन कम समझ वाले लोग होते 

बहुसंख्यक ! 




3 टिप्‍पणियां:

  1. हमारी समझ भी कम समझ हो सकती है क्योंकि हमें लगता है भारत में कम समझ वाले लोग बहुसंख्यक हैं |

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  2. हम भी सुशील सर की बातों से सहमत हैं। कमसमझ बहुसंख्यक ही है।
    बहुत बढ़िया रचना सर।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १४ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. दिल और दिमाग़ में दिल जीत जाए तो अभी चाहे दुख हो अंत में ख़ुशी मिलना तय है, दिमाग़ जीत जाए तो एक न एक दिन दुख मिलने ही वाला है, पर ज्ञानी इन दोनों के पार चला जाता है, या संतुलन बना लेता है

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