खुरदुरे हाथों से किसान
ढीली करता है समय समय पर
फसलों की जड़ें
ताकि पहुँच सके वहाँ तक नमी ।
खुरदुरे हाथों से माली
फूलों की जड़ों को बेफिक्री से
सींचता है, कमाता है ।
कुम्हार जो गूँथता है मिट्टी
बनाने के लिए घड़ा, दीया, खिलौने
उसके हाथ भी होते हैं खुरदुरे ।
जो बनाता है सड़कें
निकालता है कोयला
चलाता है मशीनें
सबके हाथ होते हैं खुरदुरे ।
नरम नरम रेशमी कपड़ों के बुनकरों के हाथ
कभी नरम और मुयलयम नहीं होते
होते हैं खुरदुरे ही ।
घर और बाहर के
दुगुने बोझ से लदी कामगार स्त्रियॉं के हाथ
होते हैं कुछ अधिक ही खुरदुरे ।
खुरदुरे हाथों वाले लोग
भरे होते हैं प्रेम से , जिजीविषा से
जब कभी अनायास ही
खुरदुरे हाथों को कोई छूता है प्रेम से
मोम से पिघल जाते हैं हाथ
रेशमी एहसास से भर जाता है हाथों का खुरदरापन ।
बेहद भावपूर्ण ,उत्कृष्ट रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
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खुरदुरे हाथों का स्पर्श
जीवन की बेतरतीब दरारों को
रगड़कर चिकना कर देती है
जिसपर सहूलियत से फिसलती है
मुस्कुराहट और खुशियाँ।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
नववर्ष २०२५ मंगलमय हो।
नव वर्ष शुभ हो |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना !
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