गुरुवार, 4 सितंबर 2025

मृत्यु

स्पर्श

गन्ध

दृष्टि

रस 

चेतना  की समाप्ति

यदि मृत्यु है 

तो कितने ही लोग समझे जाएंगे 

मृत 

जबकि उनकी चल रही होती है 

उनकी श्वसन क्रिया ! 


7 टिप्‍पणियां:

  1. हा सही लिखा आपने जीवित अवस्था में ही अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए लोग एक-दूसरे को मारकर मृत कर देते हैं

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  2. वाह्ह लाज़वाब कहा आपने... साँसें चलना ही जीवित होना नहीं होता...।
    सादर।
    मृत्यु मात्र देह और आत्मा का सांसारिक बंधनों से मुक्त होना नहीं होता ...
    मृत्यु सीरीज में लिख जा रही आपके विविधता दार्शनिक विचार नये दृष्टिकोण से सोचने पर विवश कर रहे।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. उत्तर
    1. पता नही क्यो यह बेनामी के रूप में आया शायद लोगिन नहीं हू. M Verma

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