गुरुवार, 13 नवंबर 2025

विनती

1.

वृक्ष ने विनती की है

उसके तने को मत काटो

उसके शाखाओं पर अभी 

कई चिड़ियों के घोंसले हैं। 

लेकिन कब सुनी गई है 

विनती वृक्षों की ! 


2.

बच्चों ने की है विनती

उन्हें रहने दो बच्चा ही

भेदभाव से परे

अपेक्षाओं और आकांक्षाओं से परे

लेकिन कब सुनी गई है 

विनती बच्चों की ! 


3.

कुओं ने की है विनती

उनकी गहराई को

मत पाटो 

खोल दो उनके सोते

रिसने दो पानी उनके भीतर

लेकिन कब सुनी गई है

विनती कुओं की ! 


4.

मैंने की एक विनती

मत छुड़ा कर जाओ मेरा हाथ

रुक जाओ चौखट पर

लेकिन तुमने कहा 

नदी कब रुकी है किनारों के लिए

कब सुनी गई है 

विनती किनारों की ! 


गुरुवार, 6 नवंबर 2025

प्रेम



1.
हवा
कब जाहिर करता है
अपना प्रेम! 

2.
पानी का प्रेम
तो  होता है 
रंगहीन स्वादहीन

3.
आकाश के प्रेम को
कब समेटा जा सकता है
बाहों में

4.
आग का प्रेम
जलाता नहीं 
पकाता है  ! 

5.
धरती का प्रेम
धैर्य में है
जो बंजर होने के बाद भी
अंकुरित होने की आशा
नहीं छोड़ती !