सावन नही रहा भीगा भीगा सा
सावन नही रहा गीला गीला सा
फुहारों को सावन तरस रहा है
सावन बदल गया है
मंद है बादलों का शोर
मोर नहीं नाच रहे चारो ओ़र
कारे बादलों को सावन तरस गया है
सावन बदल गया है
थम गयी है किसानों की थाप
खो गई है मेंढकों का आलाप
पानी के रंग को सावन तरस गया है
सावन बदल गया है
बैठे हैं बच्चे कागज़ की नाव लिए
बैठी है गोरी मन में अरमान लिए
झूलों को सावन तरस गया है
सावन बदल गया है
कैसे बंधेगी कलाई पर राखी
कैसे सजेगी कुमारी के फूलों की टोकरी
सपनों को आँखे तरस गया है
सावन बदल गया है
बुधवार, 22 जुलाई 2009
गुरुवार, 16 जुलाई 2009
क्लाइमेट चेंज और हम
क्लाइमेट चेंज क्लाइमेट चेंज
हल्ला है चंहु ओ़र
क्यों हो रहा कैसे हो रहा
करने वाले ही मचा रहे हैं शोर
मचा रहे हैं शोर
बन रहे हैं बड़े सयाने
प्रति व्यक्ति उर्जा २० गुना हैं खाते
अब हम भी समझते हैं मायने
अब हम भी समझते हैं मायने
विकसित देशों को होगा सोचना
अपने लाइफ इस्टाइल की खातिर
नही चलेगा धरती का दम घोंटना
नही चलेगा धरती का दम घोंटना
अब तीसरी दुनिया है जागी
अपने श्रम व संसाधन की
नही करने देंगे बर्बादी
नही करने देंगे बर्बादी
अपनी आबादी नही है दुनिया पर भार
आने वाला समय बताएगा जब
श्रम मेव जयते होगा विश्व प्रगति का आधार
हल्ला है चंहु ओ़र
क्यों हो रहा कैसे हो रहा
करने वाले ही मचा रहे हैं शोर
मचा रहे हैं शोर
बन रहे हैं बड़े सयाने
प्रति व्यक्ति उर्जा २० गुना हैं खाते
अब हम भी समझते हैं मायने
अब हम भी समझते हैं मायने
विकसित देशों को होगा सोचना
अपने लाइफ इस्टाइल की खातिर
नही चलेगा धरती का दम घोंटना
नही चलेगा धरती का दम घोंटना
अब तीसरी दुनिया है जागी
अपने श्रम व संसाधन की
नही करने देंगे बर्बादी
नही करने देंगे बर्बादी
अपनी आबादी नही है दुनिया पर भार
आने वाला समय बताएगा जब
श्रम मेव जयते होगा विश्व प्रगति का आधार
बुधवार, 15 जुलाई 2009
सरकार के काम
अपनी नई सरकार को
सौ दिनों में करने बहुत हैं काम
शुरू किया है जनहित में
बढाया पेट्रोल डीज़ल के दाम
बढाया डीज़ल के दाम
सब्जियां हो गई प्यारी
अभी तो शुरुआत है
प्रिय सरकार के पाँच साल हैं बाकी
पाँच साल हैं बाकी
सौ रूपये बिकेंगे दूध
विश्वास नही हैं तो जाओ
दाल के दामों को लो पूछ
दाल के दामों को लो पूछ
मार जाएगा करंट
मुनाफाखोरों की सरकार में
जनता पर निकला है वारंट
जनता पर निकला है वारंट
कुलांचे मार रहा सेंसेक्स
फिकर नही चिंता नही अब
चाहे शादी कर लो सेम सेक्स
मंगलवार, 14 जुलाई 2009
क्योंकि होने वाला है खेल
कट रहे हैं पेड़
क्योंकि होने वाला है खेल
यमुना के पेट में
लगा रहे हैं सेंध
क्योंकि होने वाला है खेल
क्योंकि होने वाला है खेल
इन्हे है सारी आज़ादी
खोद खोद कर कर दें
धरती की बर्बादी
अपनी धरती अपनी प्रकृति
रही है इससे झेल
क्योकि होने वाला है खेल
ध्यान इन्हे नही जरा भी
क्या होगे परिणाम
अभी तो मानसून लेट हुआ है
पहुंचेगा और बहुत नुक्सान
सोचो क्या होगा जब
प्रकृति करेगी हमसे ऐसा खेल
कहाँ रहेंगे हम
और कहाँ तुम्हारा खेल
क्योंकि होने वाला है खेल
यमुना के पेट में
लगा रहे हैं सेंध
क्योंकि होने वाला है खेल
क्योंकि होने वाला है खेल
इन्हे है सारी आज़ादी
खोद खोद कर कर दें
धरती की बर्बादी
अपनी धरती अपनी प्रकृति
रही है इससे झेल
क्योकि होने वाला है खेल
ध्यान इन्हे नही जरा भी
क्या होगे परिणाम
अभी तो मानसून लेट हुआ है
पहुंचेगा और बहुत नुक्सान
सोचो क्या होगा जब
प्रकृति करेगी हमसे ऐसा खेल
कहाँ रहेंगे हम
और कहाँ तुम्हारा खेल
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