१.
आपने
पढाया तो था
'प' से प्यार
न जाने
कब कैसे
बन गया
'प' से पैसा
२
मोटे चश्मे में
आपकी छवि
आदर्श बन न सकी
बदल लीजिये
अब तो इसे
३
हे मेरे प्रथम शिक्षक !
आपका योगदान
वैसे ही अप्रत्यक्ष रहेगा
४.
एक दिन
याद करने की
परंपरा चल पडी है
आपको ही नहीं
माता पिता
भाई बहन
मित्र सबको,
धन्यवाद कीजिये कि
भुलाये नहीं गए हैं आप
आपने
पढाया तो था
'प' से प्यार
न जाने
कब कैसे
बन गया
'प' से पैसा
२
मोटे चश्मे में
आपकी छवि
आदर्श बन न सकी
बदल लीजिये
अब तो इसे
३
हे मेरे प्रथम शिक्षक !
आपका योगदान
वैसे ही अप्रत्यक्ष रहेगा
जैसे गगनचुम्बी ईमारत के नीचे दबी
नींव की ईंट ४.
एक दिन
याद करने की
परंपरा चल पडी है
आपको ही नहीं
माता पिता
भाई बहन
मित्र सबको,
धन्यवाद कीजिये कि
भुलाये नहीं गए हैं आप
सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की बधाइयाँ
हे मेरे प्रथम शिक्षक !
जवाब देंहटाएंआपका योगदान
वैसे ही अप्रत्यक्ष रहेगा
जैसे गगनचुम्बी ईमारत के नीचे दबी
नींव की ईंट
Bilkul sahee kaha!
शिक्षक दिवस की बहुत बहुत बधाई सर।
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी लगी।
सादर
सच्ची और ईमानदार अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सपाट क्षणिकायें।
जवाब देंहटाएंसुन्दर क्षणिकाएं.पहली वाली खास पसंद आई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंKya kehna Kya kehna !
जवाब देंहटाएंसटीक और शानदार प्रस्तुति , आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंअध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार।
जवाब देंहटाएंबन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।
छात्र और शिक्षक अगर, सुधर जाएँगे आज।
तो फिर से हो जाएगा, उन्नत देश-समाज।।
--
शिक्षक दिवस पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को नमन करते हुए आपको शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ!
माँ के श्रम सा श्रम वो करती |
जवाब देंहटाएंअवगुण मेट गुणों को भरती ||
टीचर का एहसान बहुत है --
उनसे यह जिंदगी संवरती ||
सामयिक एवं मारक अख्यांश सफल हैं अपने लक्ष्य में ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें शिक्षक दिवस की ........./
गहरा असर छोड़तीं क्षणिकाएं ! ..शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंसुन्दर क्षणिकायें।
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें
sach kahaa , shikshak neenv ki eent ....shukr hai bhulaya nahi hai ...uska yogdaan to sarahneey hota hai ...
जवाब देंहटाएंsateek kataaksh ke sath sath mehatta ka bayaan acchha laga.
जवाब देंहटाएंहरेक क्षणिका सटीक और लाजवाब। बधाई
जवाब देंहटाएंआपने
जवाब देंहटाएंपढाया तो था
'प' से प्यार
न जाने
कब कैसे
बन गया
'प' से पैसा
waah....
बहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंआपने
जवाब देंहटाएंपढाया तो था
'प' से प्यार
न जाने
कब कैसे
बन गया
'प' से पैसा
सच उकेरती सटीक क्षणिकाएं
behad khoobsurat....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर क्षणिकाएं ...शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंना तो अच्छे गुरु रहे,ना ही अच्छे शिष्य.
जवाब देंहटाएंकौन सँवारे किस तरह,बच्चे तेरा भविष्य.
४.
जवाब देंहटाएंएक दिन
याद करने की
परंपरा चल पडी है
आपको ही नहीं
माता पिता
भाई बहन
मित्र सबको,
धन्यवाद कीजिये कि
भुलाये नहीं गए हैं आप!
बेहद सटीक व्यंग्य ! अपने समय से संवाद करता हुआ !गर्द गुबार से दबी ढकी उस वीणा से हो रह गए हैं सम्बन्ध और सरोकार जिसकी गर्द ओ गुबार बरसों से हटाई नहीं गई है .
गुरु शिष्य वाली बात तो अब सपना बन गई है /अब ना गुरु अपना कर्त्तव्य समझतें हैं और ना ही शिष्यों में वो अनुसाशन रहा है /बहुत ही शानदार रचना बहुत बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंplease visit my blog
www.prernaargal.blogspot.com
एक दिन
जवाब देंहटाएंयाद करने की
परंपरा चल पडी है
आपको ही नहीं
माता पिता
भाई बहन
मित्र सबको..........
धन्यवाद कीजिये कि
भुलाये नहीं गए हैं आप
हे मेरे प्रथम शिक्षक !
आपका योगदान
वैसे ही अप्रत्यक्ष रहेगा
जैसे गगनचुम्बी ईमारत के नीचे दबी
नींव की ईंट......
wah kya likha hai.......bemisaal.
सटीक क्षणिकाएं!
जवाब देंहटाएंअरुण जी मेरी राय में ये आपकी सबसे कमजोर कविताएं हैं। रस्म अदायगी से बचने की जरूरत है।
जवाब देंहटाएं१.
जवाब देंहटाएंआपने
पढाया तो था
'प' से प्यार
न जाने
कब कैसे
बन गया
'प' से पैसा
Aah!
Waise sabhee kshanikayen sundar hain!
ये तल्खी.........ये चोट करती रचनाये........अरुण जी हम तो मुरीद हो गए हैं आप के....
जवाब देंहटाएंवक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
नमस्कार अरुण जी ...
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस को सार्थक करती सभी रचनाएं एक से बढ़ के एक हैं ... तीसरी वाली बहुत ही खास लगी ...
सटीक क्षणिकाएं| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबेहतरीन क्षणिकायें...
जवाब देंहटाएंwaah... awesome... saaree lajawaab...
जवाब देंहटाएंmeree pasandeeda pahlee waalee... :)
एक दिन
जवाब देंहटाएंयाद करने की
परंपरा चल पडी है
आपको ही नहीं
माता पिता
भाई बहन
मित्र सबको,
धन्यवाद कीजिये कि
भुलाये नहीं गए हैं आप ....
बहुत सही...
शायद कुछ समय बाद कोई एक दिन " एथिक्स डे" के रूप में मनाया जाने लगेगा, जिस दिन कि नैतिकता और मानवमूल्यों पर खूब भाषण दिए जायेंगे ....
भाई अरुण जी कंटेन्ट के स्तर या कहन की शैली में आप कभी निराश नहीं करते बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंसंक्षेप में बहुत कुछ कहती क्षणिकाएं |मन को छू गयी |बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
सुन्दर क्षणिकाएं, पसंद आई........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंसादर बधाई ||
आपने
जवाब देंहटाएंपढाया तो था
'प' से प्यार
न जाने
कब कैसे
बन गया है
'प' से पैसा...
वाह !क्या गजब की क्षणिका है ,....लाजवाब !
.
हकीकत बयान करती यह पोस्ट अच्छी लगी...शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंचारों ही काव्य रचनाएं शब्द-शब्द संवेदना से भरी एवं अत्यंत सार्थक हैं...
जवाब देंहटाएंआपका भी जबाब नहीं अरुण जी.
जवाब देंहटाएंगजब का लिखकर हमेशा ही दिल को झिंझोड देते है आप.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.