(काफी दिनों से कुछ नया लिख नहीं सका हूं. इण्डिया गेट से सर्किल में एक कारवाले ने मेरी बाइक को टक्कर मार कर बिना रुके चला गया. मैं उन्हें धन्यवाद भी ना कर सका क्योंकि टक्कर जबरदस्त थी किन्तु मुझे उस हिसाब से कम चोट लगी. अब ठीक हो रहा हूं. इस बीच चढ़ते-उतरते स्टाक एक्सचेंज के बीच अपनी एक पुरानी कविता की याद आ गई. जिस तरह यूरोज़ोन में समस्या से प्रभावित हुआ है अपना स्कोक एक्सचेंज ,लग रहा है आज भी यह कविता प्रासंगिक है. )
स्टॉक एक्सचेंज बताते है देश का मिजाज
जरुरत तय नही करतेमूल्य जिंसों का
स्टॉक एक्सचेंज के हाथ में
है रिमोट जिंदगी का
मानसून प्रभवित नही करते
अर्थ व्यवस्था
किसानों व कामगारों की थाली से
नही मापी जाती है भूख
चढते स्टॉक एक्सचेंज
लुढ़कते स्टॉक एक्सचेंज
बताते हैं देश का मिजाज
बाढ़ में डूबे खेत
सूखे खलिहान
दंगों
भूखमरी
कुपोषित माँ और उनके बच्चे
बेरोजगार युवा कन्धों को
इन में शामिल नही किया जाता
एस एम एस से तय होता है
बाज़ार का रूख
और अखबार कहते हैं
जींस में तेजी है
मूल्य स्थिर हैं
नही सो रहा है
कोई भूखा
दुनिया के अलग अलग
समय ज़ोन में होती हलचल से
हो जाती है हमारी
निर्भरता की परीक्षा
असफल हो जाते हैं हम
हिल जाती हैं नींव अपनी
स्थायित्व के दावे
और उजागर हो जाता है
उधार की रेत पर खड़ी
इमारत का सच
गिरवी लगता है
स्टोक एक्सचेंज,
इसकी संवेदनाएं
समय के इस ज़ोन में
सही कहा आपने स्टाक एक्स्चंगे भविष्य बताते हैं देश का /सटीक पोस्ट /बहुत बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /
www.prernaargal.blogspot.com
मानसून प्रभवित नही करते
जवाब देंहटाएंअर्थ व्यवस्था
किसानों व कामगारों की थाली से
नही मापी जाती है भूख
Ekdam sahee kaha!
स्टॉक एक्सचेंज से ज़्यादा उतार-चढ़ाव मेरे मन में चल रहा है। क्या हुआ,\ था? कैसे हैं? ज़्यादा चोट तो नहीं लगी? फोन क्यों नहीं किया? बताया क्यों नहीं? आज दिल्ली में था, अगर पहले मालूम होता तो मिलने तो आ ही सकता था।
जवाब देंहटाएंइनका बढ़ना फाँका करने वाले को भी विश्वास दिला जाता है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट अरुण जी..........सुनकर दुःख हुआ की आपको चोट लग गयी है तभी मैं कहूँ की काफी दिनों से कुछ अच्छा पढने को नहीं मिल रहा..........खुदा से दुआ है वो आपको जल्द-अज-जल्द फैज़ दे .........आमीन|
जवाब देंहटाएंक्या कहने, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअरुण जी..
जवाब देंहटाएंज़्यादा चोट तो नहीं लगी...कैसे है आप
स्टॉक एक्सचेंज के उतार-चढ़ाव..... शानदार प्रस्तुति
sach kaha aaj stock exchange bhi ek maapak yantr ho gaya hai sab haalato ko sankshep me janNe ka.
जवाब देंहटाएंपोस्ट तो अच्छी है उसके लिये बधाई. परन्तु अब हाल कैसा है आपकी चोटों का. शीघ्र स्वास्थ लाभ के लिये शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंवाह सच को क्या खूब कहा है आपने..
जवाब देंहटाएंकिसानों और मजदूरों की भूख इस देश का भविष्य तय नहीं करती हैं..
और आशा है कि आप जल्द ही पूर्ण-स्वस्थ हो जाएंगे..
ओह कैसे हैं अरुण जी अब आप ... शुक्र है इश्वर का की ज्यादा चोट नहीं आई ...
जवाब देंहटाएंआज का यथार्थ लिखा है आपने ... बस स्टौक एक्सचेंज ही आज का बैरोमीटर रह गया है ... सरकारी नीतियां उसी के इर्द गिर्द घूमती हैं ...
अरूण जी, आज के भौतिक युग का सटीक चित्रण किया है आपने।
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आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...मानव के लिए खतरा।
अरुण भाई माफ़ करियेगा ब्लॉग पर देर से आया तो देखा आप चोटिल हैं |मेरी ईश्वर से प्रार्थना है आप शीग्र स्वस्थ्य हों |
जवाब देंहटाएंवाह बाईक की टक्कर भगवान का शुक्र है , जो आप को ज्यादा चोट नहीं आई ! जल्दी से स्वास्थ्य लाभ की कमाना करता हूँ !
जवाब देंहटाएंI pray God for your speedy recovery.
जवाब देंहटाएंआपको नवरात्रि की ढेरों शुभकामनायें.
बाइक वालों को ये कार सवार, अरे ये तो पुलिस को भी कुछ नहीं मानते, चलो जी जल्दी ठीक हो जाओ।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही फरमाया....
जवाब देंहटाएंलगता है कि स्टाक एक्सचेंज पर अर्थशास्त्र निर्भर है देश का। लेकिन है बिलकुल उलटा क्योंकि जुआ से भला नहीं होता देश का…सारे गदहे जब अर्थशास्त्री हो जाएँ तब क्या कहें…
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