बुधवार, 14 सितंबर 2011

हिंदी : कुछ क्षणिकाएं


रौशनी जहाँ 
पहुंची नहीं 
वहां की आवाज़ हो 
भाषा से
कुछ अधिक हो 
तुम हिंदी


खेत खलिहान में
जो गुनगुनाती हैं फसलें
पोखरों में जो नहाती हैं भैसें
ऐसे जीवन का 
तुम संगीत हो 
भाषा से
कुछ अधिक हो 
तुम हिंदी


बहरी जब
हो जाती है सत्ता
उसे जगाने का तुम
मूल मंत्र हो
भाषा से 
कुछ अधिक हो
तुम हिंदी. 

बिना कहे भी 
कुछ समझाना हो
सुनना और सुनना हो 
सम्प्रेषण का 
सशक्त माध्यम हो 
भाषा से 
कुछ अधिक हो 
तुम हिंदी. 

अधरों से 
बहती हो सरल 
कानों में 
घुलती हो सरस 
मन से बांधे मन 
सम्मोहन का सुन्दर पाश हो 
भाषा से 
कुछ अधिक हो  
तुम हिंदी.  

27 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर क्षणिकाएं सटीक और सार्थक
    हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ।

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  2. हिन्‍दी दिवस की शुभकामनाओं के साथ ...
    इसकी प्रगति पथ के लिये रचनाओं का जन्‍म होता रहे ...

    आभार ।

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  3. हरेक क्षणिका सटीक और लाजवाब
    हिंद की शान है हिन्दी हमारा स्वाभिमान है हिन्दी !
    जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा

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  4. हिंदी की महत्ता को कहती गहन अभिव्यक्ति

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  5. बहरी जब
    हो जाती है सत्ता
    उसे जगाने का तुम
    मूल मंत्र हो
    भाषा से
    कुछ अधिक हो
    तुम हिंदी.

    बहुत खूब ... सच में हिंदी ही देश की जान है और वो सब कुछ कर देती है जो आसान नहीं होता ...
    हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ...

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  6. सुन्दर लगी सारी क्षणिकाएं |

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  7. वंदना गुप्ता जी की तरफ से सूचना

    आज 14- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


    ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
    ____________________________________

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  8. हिंदी दिवस की शुभकामनाएं /
    बहुत सुंदर .एक अलग अंदाज में लिखी शानदार
    क्षणिकाएं
    /बहुत बधाई आपको /

    /मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /
    www.prernaargak.blogspot.com

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  9. न जाने कितनों मनों को सुशोभित करती हिन्दी।

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  10. सभी क्षणिकाएँ बहुत बढ़िया रहीं!
    --
    निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
    बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
    --
    हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  11. "भाषा से
    बहुत कुछ अधिक हो
    तुम हिंदी"

    साधुवाद

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  12. भाषा से
    कुछ अधिक हो
    तुम हिंदी
    एकदम सच.बहुत सुन्दर.

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  13. भाषा से
    कुछ अधिक हो
    तुम हिंदी.

    सचमुच हिंदी में अपरिमित संभावनाएं हैं..
    बहुत ही सटीक अभिव्यक्ति

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  14. मीठी भाषा, मीठी अभिव्‍यक्ति.

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  15. सम्मोहित करती अभिव्यक्ति... हिन्दी दिवस पर हिन्दी भाषा के प्रति श्रेष्ठतम उदगार!!

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  16. हिंदी तो दो पाटों को जोड़ता पुल है। इसी कारण से इसे उस भाषा की अनुगामिनी बनने की नियति प्रदान की गई जिसके खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में हिंदी तन कर खड़ी हुई थी।

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  17. आपका हिन्दी से सरोकार अद्भूत और अनुपम है,
    सुन्दर प्रस्तुति केलिए आभार.

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  18. प्रिय मित्र प्रभावशाली सृजन , ...शुभ कामनाएं ../

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  19. गहन अभिव्यक्ति .....बहुत सुंदर क्षणिकाएं

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  20. अधरों से
    बहती हो सरल
    कानों में
    घुलती हो सरस
    मन से बांधे मन
    सम्मोहन का सुन्दर पाश हो
    भाषा से
    कुछ अधिक हो
    तुम हिंदी. . samparn bhaavo se rachi rachna....

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  21. अरुण जी, कुछ व्यस्तताएँ है और कुछ आलसपन जो ब्लॉग जगत से थोड़ा दूर ले जाने की कोशिश कर रही हैं मगर मुझे लगता है ऐसा संभव नही है...बहुत दिन बाद आया इस बात का अफ़सोस तो है मगर खुशी हुई फिर से ब्लॉग जगत के रंगों में डूब कर...बहुत कुछ पढ़ा, बहुत कुछ देखा और दिल को खुशी दे रही है...

    आपकी क्षणिकाएँ हमेशा की तरह असरदार शब्द से,भाव से,प्रस्तुति से लाजवाब...बधाई देना चाहता हूँ इतने खूबसूरत प्रस्तुति के लिए..हिन्दी की जय हो और आप जैसे हिन्दी के सेवक की भी जय हो..नमस्कार

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  22. बहुत बहुत बहुत ही सही कहा....बहुत ही सुन्दर ढंग से कहा...हम सबके मन की बात कह दी आपने..

    हिन्दी केवल एक भाषा नहीं....

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  23. भाषा से
    कुछ अधिक हो
    तुम हिंदी.


    -वाह! हिन्दी दिवस की अनेक बधाई एवं शुभकामनाएँ.

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