१
रौशनी जहाँ
पहुंची नहीं
कुछ अधिक हो
रौशनी जहाँ
पहुंची नहीं
वहां की आवाज़ हो
भाषा से
भाषा से
कुछ अधिक हो
तुम हिंदी
२
खेत खलिहान में
जो गुनगुनाती हैं फसलें
पोखरों में जो नहाती हैं भैसें
ऐसे जीवन का तुम संगीत हो
जो गुनगुनाती हैं फसलें
पोखरों में जो नहाती हैं भैसें
ऐसे जीवन का तुम संगीत हो
भाषा से
कुछ अधिक हो
तुम हिंदी
३
बहरी जब
हो जाती है सत्ता
उसे जगाने का तुम
मूल मंत्र हो
भाषा से
बहरी जब
हो जाती है सत्ता
उसे जगाने का तुम
मूल मंत्र हो
भाषा से
कुछ अधिक हो
तुम हिंदी.
तुम हिंदी.
४
बिना कहे भी
कुछ समझाना होसुनना और सुनना हो
सम्प्रेषण का
सशक्त माध्यम हो
भाषा से
कुछ अधिक हो
तुम हिंदी.
५
अधरों से
बहती हो सरल
कानों में
घुलती हो सरस
मन से बांधे मन
सम्मोहन का सुन्दर पाश हो
भाषा से कुछ अधिक हो
तुम हिंदी.
सुंदर क्षणिकाएं सटीक और सार्थक
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की शुभकामनाएं ।
हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं के साथ ...
जवाब देंहटाएंइसकी प्रगति पथ के लिये रचनाओं का जन्म होता रहे ...
आभार ।
हरेक क्षणिका सटीक और लाजवाब
जवाब देंहटाएंहिंद की शान है हिन्दी हमारा स्वाभिमान है हिन्दी !
जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा
हिंदी की महत्ता को कहती गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहरी जब
जवाब देंहटाएंहो जाती है सत्ता
उसे जगाने का तुम
मूल मंत्र हो
भाषा से
कुछ अधिक हो
तुम हिंदी.
बहुत खूब ... सच में हिंदी ही देश की जान है और वो सब कुछ कर देती है जो आसान नहीं होता ...
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ...
सुन्दर लगी सारी क्षणिकाएं |
जवाब देंहटाएंवंदना गुप्ता जी की तरफ से सूचना
जवाब देंहटाएंआज 14- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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हिंदी दिवस की शुभकामनाएं /
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .एक अलग अंदाज में लिखी शानदार
क्षणिकाएं
/बहुत बधाई आपको /
/मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /
www.prernaargak.blogspot.com
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 15 -09 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में ... आईनों के शहर का वो शख्स था
न जाने कितनों मनों को सुशोभित करती हिन्दी।
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएँ बहुत बढ़िया रहीं!
जवाब देंहटाएं--
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
--
हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
"भाषा से
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ अधिक हो
तुम हिंदी"
साधुवाद
भाषा से
जवाब देंहटाएंकुछ अधिक हो
तुम हिंदी
एकदम सच.बहुत सुन्दर.
भाषा से
जवाब देंहटाएंकुछ अधिक हो
तुम हिंदी.
सचमुच हिंदी में अपरिमित संभावनाएं हैं..
बहुत ही सटीक अभिव्यक्ति
मीठी भाषा, मीठी अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंसम्मोहित करती अभिव्यक्ति... हिन्दी दिवस पर हिन्दी भाषा के प्रति श्रेष्ठतम उदगार!!
जवाब देंहटाएंहिंदी तो दो पाटों को जोड़ता पुल है। इसी कारण से इसे उस भाषा की अनुगामिनी बनने की नियति प्रदान की गई जिसके खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में हिंदी तन कर खड़ी हुई थी।
जवाब देंहटाएंआपका हिन्दी से सरोकार अद्भूत और अनुपम है,
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति केलिए आभार.
भाई अरुण जी अच्छी क्षणिकाएं बधाई
जवाब देंहटाएंप्रिय मित्र प्रभावशाली सृजन , ...शुभ कामनाएं ../
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति .....बहुत सुंदर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंहिन्दी के लिए! हमेशा...
जवाब देंहटाएंअधरों से
जवाब देंहटाएंबहती हो सरल
कानों में
घुलती हो सरस
मन से बांधे मन
सम्मोहन का सुन्दर पाश हो
भाषा से
कुछ अधिक हो
तुम हिंदी. . samparn bhaavo se rachi rachna....
बहुत सुंदर क्षणिकाएं|
जवाब देंहटाएंअरुण जी, कुछ व्यस्तताएँ है और कुछ आलसपन जो ब्लॉग जगत से थोड़ा दूर ले जाने की कोशिश कर रही हैं मगर मुझे लगता है ऐसा संभव नही है...बहुत दिन बाद आया इस बात का अफ़सोस तो है मगर खुशी हुई फिर से ब्लॉग जगत के रंगों में डूब कर...बहुत कुछ पढ़ा, बहुत कुछ देखा और दिल को खुशी दे रही है...
जवाब देंहटाएंआपकी क्षणिकाएँ हमेशा की तरह असरदार शब्द से,भाव से,प्रस्तुति से लाजवाब...बधाई देना चाहता हूँ इतने खूबसूरत प्रस्तुति के लिए..हिन्दी की जय हो और आप जैसे हिन्दी के सेवक की भी जय हो..नमस्कार
बहुत बहुत बहुत ही सही कहा....बहुत ही सुन्दर ढंग से कहा...हम सबके मन की बात कह दी आपने..
जवाब देंहटाएंहिन्दी केवल एक भाषा नहीं....
भाषा से
जवाब देंहटाएंकुछ अधिक हो
तुम हिंदी.
-वाह! हिन्दी दिवस की अनेक बधाई एवं शुभकामनाएँ.