(अपनी पत्नी के लिए जो सप्ताहभर दूर रही )
१
दूरियां
नहीं मापी जाती है
किलोमीटर में
सदैव २.
कुछ दूरियाँ
मापी जाती हैं
दिनों में
महीनो में
सालों में
युगों में
३
दूरियाँ
दिखाई नहीं देती हैं
फिर भी होती है
कई बार
४
कुछ दूरियाँ
दूरियाँ नहीं होती
होकर भी
५
कुछ दूरियां
की जाती हैं
महसूस
माप नहीं सकते
आप उन्हें
६
दूरियां
लाती हैं
निकटता
कई बार
दूरियां
जवाब देंहटाएंलाती हैं
निकटता
कई बार
बधाई स्वीकार करें एक नये कांसेप्ट के लिए.... कविता का ये अंदाज़ बहुत अच्छ लगा...
खूबसूरत प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
दूरियां
जवाब देंहटाएंलाती हैं
निकटता
कई बार
सार यही है शायद :).सुन्दर क्षणिकाओं से गूंथी एक माला.
दूरियां
जवाब देंहटाएंलाती हैं
निकटता
कई बार
Aisee hee duriyaan pyaree hotee hain1
दूरियाँ
जवाब देंहटाएंदिखाई नहीं देती हैं
फिर भी होती है
कई बार
... bahut hi badhiyaa
कितना कुछ छिपा है इन दूरियों में।
जवाब देंहटाएंदूरियां न हों ,
जवाब देंहटाएंतो नजदीकियों का मज़ा क्या होगा.
बहुत खूबसूरत.
आपकी बहुमूल्य टिप्पणियों के लिए आभार.
कुछ दूरियाँ
जवाब देंहटाएंदूरियाँ नहीं होती
होकर भी
बहुत खूबसूरत दूरियाँ...
दूरियां
जवाब देंहटाएंलाती हैं
निकटता
कई बार
सुन्दर अभिव्यक्ति ... हार्दिक बधाई
दूरियां
जवाब देंहटाएंलाती हैं
निकटता
कई बार
Bilkul..... Bahut sunder
दूरियों
जवाब देंहटाएंमे बास होता है
निकटता का
और
निकटता मे प्रायः
दूरियां नज़र आती हैं.
संबंधों का
यही विरोधाभास है.
बहुत अच्छी प्रस्तुति... अरुण भाई...
आप पत्नी जी को दूर जाने का मौका क्यों देते हैं जो दूरियों पर कविता लिखनी पड़े. ये तो खैर अच्छा हुआ कि चलो पत्नी जी वापस आ गयी वर्ना...दूरियां मापने का यन्त्र भी बेकार हो जाता.
जवाब देंहटाएंदूरियों का सिक्सर अच्छा लगा। खास कर अंतिम पढ़कर यह गीत अनायास मुंह से निकल पड़ा, ‘तुमसे दूर रहकर’ ... या फिर ‘दूरियां नज़दीकियां बन गई अज़ब इत्तेफ़ाक़ है।’
जवाब देंहटाएंदूरियाँ
जवाब देंहटाएंदिखाई नहीं देती हैं
फिर भी होती है
कई बार
यह दूरियाँ और इनकी महता हर किसी के लिए अलग अलग है और यह स्थिति पर भी निर्भर करता है .....!
''दूरियां लाती हैं निकटता कई बार''
जवाब देंहटाएंयाद आ रहा है गीत ''दूरियां नजदीकियां बन गई ...''
फासले ऐसे भी होंगे यह कभी सोंचा ना था :)............
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंअधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
अल्प शब्दों में विशाल दूरियां समाहित ,निकटता देने को , अच्छा प्रयास ,सुखद ,.... शुक्रिया जी /
जवाब देंहटाएंदूरिओं को परिभाषित करती आपकी रचना पढ़कर किसी का एक शेर याद आ गया.देखिएगा:-
जवाब देंहटाएंवो दूर रहके भी मेरे क़रीब लगता है.
ये फ़ासला भी अजीबो-ग़रीब लगता है.
नए अंदाज़ की अद्भुत रचनाएं....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई....
गज़ब का शोध किया है……………बहुत कुछ कह दिया।
जवाब देंहटाएंduriyaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaan:):):):)
जवाब देंहटाएंकुछ दूरियां
जवाब देंहटाएंकी जाती हैं
महसूस
माप नहीं सकते
आप उन्हें
....दूरियों का लाज़वाब विवेचन..एक नया अंदाज़...
दूरियाँ
जवाब देंहटाएंदिखाई नहीं देती हैं
फिर भी होती है
कई बार
सच कहा...कैसी कैसी होती हैं ये दूरियाँ..
सुन्दर क्षणिकाएं
दूरियां
जवाब देंहटाएंनहीं मापी जाती है
किलोमीटर में
सदैव.......wah.....kya baat hai.......
दूरियां
जवाब देंहटाएंलाती हैं
निकटता
कई बार
यकीनन ... बहुत खूब
behtarin rachna..ek anokha andaaj..padhne me raas aaya...dil ko bhi behad bhaya...sadar badhayee aaur amantran ke sath
जवाब देंहटाएंदूरियां विभिन्न कोणों से परिभाषित हुई हैं!
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
सुभानाल्लाह ........दूरियों पर हर क्षणिका शानदार थी|
जवाब देंहटाएंदूर…दूरियाँ…
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