उसने नहीं लगाईं फांसी
वह कर्जे में नहीं डूबा
उसके खेत सूखे रह गये
आसमान तकते तकते
उसके हिस्से नहीं आयेगा
कोई मुआवजा
वह नहीं मरा
रेल दुर्घटना में
वह कभी मंदिर नहीं गया
सो नहीं मरा
भीड़ में
उसे नहीं मिलेगा कोई मुआवजा ।
उसका नाम
नहीं है किसी सरकारी खाते में
वह किसी रेखा के ऊपर या नीचे नहीं है ,
नहीं मिलेगा उसे
दाल, चावल, चीनी, किरोसिन
रियायत दर पर।
परिधि से बाहर हैं
जो लोग
उन्हें नहीं मिलेगा
कोई मुआवजा !
satik aaklan
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी ... सामाजिक नीतियों के विघटन तत्व को बाखूबी पहचान के लिखी गई लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा सटीक अभिव्यक्ति ,,,!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
वाह भाई बहुत खूब .... शेयर करने का ऑप्शन भी दीजिये पोस्ट के साथ भाई
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंमिलना भी नहीं चाहिये
सीखता क्यों नहीं
मुआवजा लेना
नहीं सीख सकता
तो सीख ले मुआवजा लूटना !
सटीक ....
जवाब देंहटाएंvery touchin...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए आभार।
जो सबका पेट भरता है वही भूखे पेट सोता है यही इस देश का दुर्भाग्य है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसामान्य सा जीवन, सामान्य सी मृत्यु, मुआवज़ा रहित।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंआज के समय का सच ..... बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण चीजें ....
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