जरुरी नहीं कि
जो कविता मैंने पढ़ी हैं
अपने छात्र जीवन में
वह आपने भी पढ़ी हो
जैसे लव सांग आफ जे एल्फ्रेड प्रुफ्रोक
और जीवन को समझने के लिए
कविता आवश्यक हैं
यह भी जरुरी नहीं है
हाँ एक कैंटीन जरुरी है
जुगाली के लिए
ठीक है कि
मेरे कालेज की कैंटीन
लगती थी मुझे
इस कविता के पात्र की तरह
गीला फर्श
जो कभी सूखा ही नहीं
जैसे नहीं सूखते हैं
देश में मुद्दे
और उन मुद्दों पर बहस करते हुए
मैं कवि टी एस एलियट सा लगता था
जिन्होंने लिखा था 'लव सांग ऑफ़ जे एल्फ्रेज़ प्रुफ्रोक '
उद्वेलित हो उठता था
और कैंटीन में आते जाते मेरे सहपाठी
मुझे बस पात्र से लगते थे, निर्जीव
लक्ष्य विहीन नपुंसक
और मैं मानो
समझ रहा था सभी अर्थ
पहचान रहा था सभी रूप
मैं भी एक प्रेम गीत लिखना चाहता था
ज़े एल्फ्रेड प्रुफोक की तरह
कडाही से वाष्पित होते तेल की चिपचिपाहट के बीच
वही कैंटीन है यह
जहाँ कार्ल मार्क्स की पूंजी कई बार बांच गया
मन के उकताने पर
फाड़ डाली कई प्रतियां पूंजी की
इसी कैंटीन से खोला गया
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ मोर्चा
जंगल बचाने की मुहिम भी
यही से शुरू हुई
जो स्थानीय अखबार के पांचवे पन्ने से आगे नहीं बढ़ सका
यहीं थमाया कई मित्रो को
लाल झंडा, तीर कमान, बाद में जिन्होंने थाम लिया
ए. के. फोर्टी सेवन,
जो कविता मैंने पढ़ी हैं
अपने छात्र जीवन में
वह आपने भी पढ़ी हो
जैसे लव सांग आफ जे एल्फ्रेड प्रुफ्रोक
और जीवन को समझने के लिए
कविता आवश्यक हैं
यह भी जरुरी नहीं है
हाँ एक कैंटीन जरुरी है
जुगाली के लिए
ठीक है कि
मेरे कालेज की कैंटीन
लगती थी मुझे
इस कविता के पात्र की तरह
गीला फर्श
जो कभी सूखा ही नहीं
जैसे नहीं सूखते हैं
देश में मुद्दे
और उन मुद्दों पर बहस करते हुए
मैं कवि टी एस एलियट सा लगता था
जिन्होंने लिखा था 'लव सांग ऑफ़ जे एल्फ्रेज़ प्रुफ्रोक '
उद्वेलित हो उठता था
और कैंटीन में आते जाते मेरे सहपाठी
मुझे बस पात्र से लगते थे, निर्जीव
लक्ष्य विहीन नपुंसक
उनके चेहरे कई अर्थ लिए होता था
उनका चरित्र कई रूपों में होता थाऔर मैं मानो
समझ रहा था सभी अर्थ
पहचान रहा था सभी रूप
मैं भी एक प्रेम गीत लिखना चाहता था
ज़े एल्फ्रेड प्रुफोक की तरह
कडाही से वाष्पित होते तेल की चिपचिपाहट के बीच
वही कैंटीन है यह
जहाँ कार्ल मार्क्स की पूंजी कई बार बांच गया
मन के उकताने पर
फाड़ डाली कई प्रतियां पूंजी की
इसी कैंटीन से खोला गया
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ मोर्चा
जंगल बचाने की मुहिम भी
यही से शुरू हुई
जो स्थानीय अखबार के पांचवे पन्ने से आगे नहीं बढ़ सका
यहीं थमाया कई मित्रो को
लाल झंडा, तीर कमान, बाद में जिन्होंने थाम लिया
ए. के. फोर्टी सेवन,
कहते हैं हताश होकर किया है
नहीं माफ़ी चाहता हूँ मैं
उन सभी कृत्यों कुकृत्यों के लिए
हमारे सिद्धांत बदले
समय के साथ, समय की सुविधा से
इस बीच नदी संकरी हो गई
शहर के भीतर से गुजरने वाला सीवर
बह गया इसी नदी से होकर
कैंटीन में आते रहे हमारे जैसे लोग
बरस दर बरस
कैंटीन अब भी वैसी ही है
तटस्थ
अब भी जे एल्फ्रेड प्रुफोक आते हैं यहाँ
वेन्डिंग मशीन से लेकर चाय
पढ़ते हैं पूंजी, करते हैं बहस
होते हैं उद्वेलित, करते हैं आह्वान
रोते हैं, कोसते हैं, विलापते हैं
रचते हैं एक प्रेम गीत,
जिसमे नहीं है प्रेम जैसा कुछ
इस बीच
पंखे पर झूलती कालिख
गिर पड़ता है
चाय की प्याली में
टूट जाता है चिंतन का क्रम
मन करता है
चलो ढूंढ लेते हैं
'स्ट्रीम ऑफ़ कांससनेस' का अर्थ
अपने ब्लैकबेरी पर ही इन्टरनेट सर्च के जरिये !
नहीं माफ़ी चाहता हूँ मैं
उन सभी कृत्यों कुकृत्यों के लिए
हमारे सिद्धांत बदले
समय के साथ, समय की सुविधा से
इस बीच नदी संकरी हो गई
शहर के भीतर से गुजरने वाला सीवर
बह गया इसी नदी से होकर
कैंटीन में आते रहे हमारे जैसे लोग
बरस दर बरस
कैंटीन अब भी वैसी ही है
तटस्थ
अब भी जे एल्फ्रेड प्रुफोक आते हैं यहाँ
वेन्डिंग मशीन से लेकर चाय
पढ़ते हैं पूंजी, करते हैं बहस
होते हैं उद्वेलित, करते हैं आह्वान
रोते हैं, कोसते हैं, विलापते हैं
रचते हैं एक प्रेम गीत,
जिसमे नहीं है प्रेम जैसा कुछ
इस बीच
पंखे पर झूलती कालिख
गिर पड़ता है
चाय की प्याली में
टूट जाता है चिंतन का क्रम
मन करता है
चलो ढूंढ लेते हैं
'स्ट्रीम ऑफ़ कांससनेस' का अर्थ
अपने ब्लैकबेरी पर ही इन्टरनेट सर्च के जरिये !
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की मंगल कामनाएं आदरणीय-
प्रभावित करती सुंदर अभिव्यक्ति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अपनी राम कहानी में.
बहुत प्रभावी ... अजीब स नोस्टेलजिया लिए ...
जवाब देंहटाएंकोलेज की केन्टीन से उपजे कितने ही आंदोलन इतिहास की कालिख में खो जाते हैं ...
चाय की प्यालियों के बीच ज्ञान के तूफान, कैंटीन में बनता अमृत
जवाब देंहटाएंकैंटीन और चिंतन में कुछ तो रिश्ता है . . .
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाओं के विषय हमेशा कुछ अलग ,कुछ नए ढब के होते हैं ,जिनको पढना निहायत अलग किस्म का अनुभव होता है ..
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना ..
हमारी सोच का दायरा ८०० स्क्वायर फीट के हमारे फ्लैट तक सिमट कर रह गया हैं। उसी की अन्दर हम अपने आप को महाराजा समझे हुए हैं, जब तक कोई तूफान दरवाजा नहीं खटखटाता, सोते रहो।
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