अबकी बार बन जाएँगी
हर हाथ को मिलेगा रोजगार
नहीं होंगे दंगे
बढ़ेगा कारोबार
आसमान से उतर रहे हैं
नए नए अवतार
स्कूल नए खुलेंगे
नए खुलेंगे कालेज
जो बीत गया उसको भूलो
चुनो नया सरकार
आसमान से उतर रहे हैं
नए नए अवतार
धुले पूछे आये हैं सब
जनता के सेवक सच्चे
अपराधी नहीं है कोई
नहीं कोई गुनहगार
आसमान से उतर रहे हैं
नए नए अवतार
देखना अपनी जाति
छोड़ना न धर्म
शहर गाँव और रंग को
बनाना अपना आधार
आसमान से उतर रहे हैं
नए नए अवतार
स्वागत है कहाँ थे ?
जवाब देंहटाएंहम भी कर रहे हैं इंतजार
आयें तो सही अवतार :)
जनता इसी विश्वास पर ५ साल जीती है लेकिन तोड़ देता है विश्वास हर नया अवतार...
जवाब देंहटाएंआशाओं की फुहार लेकर आयी यह होली, बाद में तो रंग धोना ही पड़ता है।
जवाब देंहटाएंआसमान से उतर रहे हैं
जवाब देंहटाएंनए नए अवतार ...
RECENT POST - फिर से होली आई.
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संदीप उन्नीकृष्णन अमर रहे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ये नया अवतार है या नयी पैकेजिंग में पुरानी शराब ...
जवाब देंहटाएंआपने के बाद ही पता चलने वाला है ..
होली कि बधाई ...
माथे लंबा तिलक लगाये
जवाब देंहटाएंरूप धुरंधर बना लिया !
एक हाथ में रामायण
दूसरे में डंडा उठा लिया !
अलख जगाएं हर द्वारे , कुलवान बताये जाते हैं !
राजनीति में हैं जब से , गुणवान बताये जाते हैं !
एकदम सही बात लिखी आपने, ऐसा ही कुछ चल रहा है आजकल आसपास...
जवाब देंहटाएंलाखों कतार में राष्ट्रभक्त , बैठे हैं, नोट कमाने को !
जवाब देंहटाएंइन दिनों राज नेताओं के , धंधे में मन्दा कोई नहीं !