पत्तों का रंग
अचानक हो गया है
भगवा
हो गए हैं
अन्न के दाने
भगवा
यों तो
नहीं होता रंग कोई
पानी का
फिर भी आभास हो रहा है
पानी का रंग
भगवे सा
सूर्योदय और सूर्यास्त के रंग से
भिन्न है यह रंग
और राष्ट्रीय ध्वज में जो है रंग
उसकी भावना से मेल नहीं खाता यह
इस रंग से बू आती है
जलते हुए मांस की और
रक्त के खदकने का स्वर भी !