कैसी होती है मृत्यु
कैसा होता है इसका स्वाद
क्या होता है इसका कोई रूप भी
क्या देता है यह निर्वाण
कैसा सुख है इस में
जो करता है बंधनो से मुक्त
कितनी पीड़ा देता है
जो होती है कोई प्रतीक्षा
या विछोह ही।
प्रेम भी तो मृत्यु ही है
रहस्य से भरा
रहस्यहीन भी।
सुंदर !
जवाब देंहटाएंमृत्यु का स्वाद तो शायद कोई भी नहीं बता सका.
जवाब देंहटाएंसुंदर विचार और सुंदर रचना.
प्रेम को इस रूप में देखा नहीं अब तक ... अभी तक इसे संजीवनी ही पाया है ...
जवाब देंहटाएंगहरा अर्थ देती रचना अरुण जी ... आशा है कुशल मंगल में होंगे ...
रचना अनमोल है
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