अपने
१४ मंजिले फ्लैट की
बालकनी में खड़ा
वह आदमी
जो उड़ा रहा है
सिगरेट के धुंए का छल्ला
तेजी से चहलकदमी करते हुए
किसी फिल्म के किरदार की तरह
लगता है आकर्षक
सड़क से
भीतर उसके भी
चल रहा होता है ऊपापोह
क्योंकि ई एम आई का चक्र
ठेले और रिक्शे के पहिये के चक्र से
नहीं होता भिन्न
स्टाक के उतार-चढाव का बोझ
किसी कुली के माथे पर ६० किलो के बोझ से
कतई भी नहीं होता कम
जब सो रहा होता है
फुटपाथ पर कोई चैन से
आकर्षक लगने वाला वह आदमी
गिन रहा होता है तारों में
बढती हुई बच्चों की फीस
और आया हुआ बिजली का बिल
सुबह वह आदमी
एम्टास-ए टी की गोली लेगा
नियंत्रित करने को
अपना और देश का रक्तचाप
ब्रेक-फास्ट में
और खिल उठेगा
नए बढ़ते भारत का चेहरा
दिन भर के लिए
गरीबी रेखा के
ऊपर भी है अदृश्य गरीबी
जिससे चहल पहल है
बाज़ारों में
जहाँ गरीबी रेखा के
नीचे वाली गरीबी
पैदा करती है आज भी संवेदना
ऊपर की अदृश्य गरीबी
महिमामंडित हो
आकर्षित करती है
ऍफ़ ड़ी आई विश्वभर से .
१४ मंजिले फ्लैट की
बालकनी में खड़ा
वह आदमी
जो उड़ा रहा है
सिगरेट के धुंए का छल्ला
तेजी से चहलकदमी करते हुए
किसी फिल्म के किरदार की तरह
लगता है आकर्षक
सड़क से
भीतर उसके भी
चल रहा होता है ऊपापोह
क्योंकि ई एम आई का चक्र
ठेले और रिक्शे के पहिये के चक्र से
नहीं होता भिन्न
स्टाक के उतार-चढाव का बोझ
किसी कुली के माथे पर ६० किलो के बोझ से
कतई भी नहीं होता कम
जब सो रहा होता है
फुटपाथ पर कोई चैन से
आकर्षक लगने वाला वह आदमी
गिन रहा होता है तारों में
बढती हुई बच्चों की फीस
और आया हुआ बिजली का बिल
सुबह वह आदमी
एम्टास-ए टी की गोली लेगा
नियंत्रित करने को
अपना और देश का रक्तचाप
ब्रेक-फास्ट में
और खिल उठेगा
नए बढ़ते भारत का चेहरा
दिन भर के लिए
गरीबी रेखा के
ऊपर भी है अदृश्य गरीबी
जिससे चहल पहल है
बाज़ारों में
जहाँ गरीबी रेखा के
नीचे वाली गरीबी
पैदा करती है आज भी संवेदना
ऊपर की अदृश्य गरीबी
महिमामंडित हो
आकर्षित करती है
ऍफ़ ड़ी आई विश्वभर से .
हाँ , हर चमकने वाली चीज़ सोना जो नहीं होती.
जवाब देंहटाएंअपने अपने अभाव हैं सबके पास ..अच्छी कविता .
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20 - 08 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2073 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज की हकीकत - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसबके अपने अपने नादिर हैं
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना आपकी
जवाब देंहटाएंसंवेदना जगाती पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया :)
जवाब देंहटाएंबहुत तीखी ... चुटीली रचना ... एक कुटिल सचाई जो दिखती नहीं ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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