छोटा बनिया
देता है उधार में
आटा, नमक, तेल और मसाले
उधार में नाई
काट देता है बाल-दाढ़ी
बड़ा बनिया
देता है उधार में
अनाज, तेल, हथियार
पंडित नहीं कराता पूजा
उधार में
नहीं देता बड़ा बनिया
उधार में
उधार में
किताब, पेन्सिल, कलम
बच्चो के लिए
Nice Poem Arun Roy
जवाब देंहटाएंशानदार रचना है सर कृपया मेरे इस ब्लॉग Indihealth पर भी पधारे
जवाब देंहटाएंसत्य है, कड़वा है, प्रभावी पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंजितनी बड़ी तिजोरी उतना ही छोटा दिल .. कडवी पर सही बात अरुण जी ...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 07 फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-02-2016) को "हँसता हरसिंगार" (चर्चा अंक-2245) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
एकदम सत्य । बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंएकदम सत्य । बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंकटु सत्य बहुत ही प्रभावी पंक्तिया । बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंजीवन गणित ऐसा ही है ।
जवाब देंहटाएंप्रभावी पंक्तिया ।
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