पृथ्वी
जैसे घूमती है
धुरी पर अपने
तुम घूम रही हो
निरंतर
चाँद जैसे
निहारता है पृथ्वी को
मैं, तुम्हे
मेरे लिए प्रेम
एक दिन का उत्सव नहीं !
जैसे घूमती है
धुरी पर अपने
तुम घूम रही हो
निरंतर
चाँद जैसे
निहारता है पृथ्वी को
मैं, तुम्हे
मेरे लिए प्रेम
एक दिन का उत्सव नहीं !
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Nice article with awesome explanation ..... Thanks for sharing this!! :) :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... प्रेम अमर है अजर है ...
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