सोमवार, 15 मई 2017

कवि और किसान



किसान
जोतते हुए खेत
जब कट या छिल जाता है
मिटटी लेपता है
करता है प्राथमिक उपचार

कुम्हार जब गढ़ रहा होता है
चाक पर
वह छिलने या कटने पर
लगाता है मिटटी ही

कवि
क्या तुम लीपते हो शब्द
जब स्वयं ही छलनी होते हो
अपने शब्दों से
अपनी कविता से !

कवि , तुम किसान नहीं हो सकते ! 

2 टिप्‍पणियां: