गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

ठीक उसी समय

जब होता है
स्कूल जाने का समय
वह ठेलता है रिक्शा
ठीक उसी समय चल रहा होता है
रेडियो पर 'बचपन बचाओ' का विज्ञापन

जब बच्चे कर रहे होते हैं
विद्यालयों में प्रार्थना
वह धो चुकी होती है
कई घरों की रात की झूठी प्लेटें
लगा चुकी होती है झाड़ू और पोंछा
ठीक उसी समय टेलीविज़न पर
साक्षात्कार दे रहा है कोई सेलिब्रिटी
"बेटी बचाओ" अभियान के बारे में


ठीक उसी समय अखबारों में
छपे होते हैं आकड़े
देश के स्कूलों में बढ़ रहे हैं
छात्रों की संख्या
सुधर रही है लैंगिक अनुपात !



6 टिप्‍पणियां:

  1. ठीक उसी समय
    बहुत कुछ होता है।

    बहुत सुन्दर ।

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  2. आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १९५० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...

    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बजट, बेचैन आत्मा और १९५० वीं ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-02-2018) को "धरती का सिंगार" (चर्चा अंक-2868) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. सुंदर प्रस्तुति . मेरे ब्लॉग पर भी आईए.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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