गुरुवार, 18 जनवरी 2018

गणतंत्र



1
राजपथ से
जब भी निकलती है
तोपें
लहूलुहान होता है
जनपथ ।

2
जब गुजरते हैं
हवा में मारक विमान
राजपथ के ऊपर से
दुबक जाते हैं
अपने पंखों में
पक्षी।

3
घोड़े, ऊंट और
हाथियों की कदमताल पर
झूमते देश को
कहां पता होता है
राजपथ पर
लीद उठाने वालों का नाम।

4

महामहिम सब
लौट जायेंगे जब
फिर से चहक उठेंगे बच्चे
बेचने को रंगीन गुब्बारे


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ख़ूब ...
    कितना कुछ खोता है एक स्वाभिमान और उसका प्रदर्शन ...
    कई बार रीत ज़रूरी होती है पर ...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-01-2018) को "आगे बढिए और जिम्मेदारी महसूस कीजिये" (चर्चा अंक-2854) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, छोटी सी प्रेम कहानी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. जब बड़े घंटे घनघनाते हैं तो छोटों की आवाज उसमें दब कर रह जाती है
    बहुत सही

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  5. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २२ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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