गुरुवार, 1 मार्च 2018

रंग पर्व


आसमान में भरे हैं रंग 
धूसर ही सही लेकिन मिटटी का भी एक रंग है 
रंग हरा जब होता है खेतों का , दुनिया में होता है जीवन 
पानी को कहते हैं बेरंग लेकिन वह कर लेता है समाहित सब रंगों को 
हवा का रंग मन के रंगों से खाता है मेल 
और हाँ 
रंग दुःख का भी होता है और सुख का भी  !

रंग जो क्रोधित होते हैं, समंदर , नदियां, पहाड़ सब तोड़ते हैं मर्यादाएं व धैर्य 
ये रंग जब खुश होते हैं, होता  है रंगों का पर्व  !

जीवन के रंग किसी भी दशा में रहें उल्लसित, उत्साहित, आशन्वित 
क्योंकि  होता है आशा, उत्साह और उल्लास का भीएक रंग, लाल।  

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (02-03-2017) को "जला देना इस बार..." (चर्चा अंक-2897) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    रंगों के पर्व होलीकोत्सव की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. जीवन के ये सारे रंग अगर होली के रंगों में मिल जाएँ तो सब उल्लास के रंग हो जाते हैं ...
    होली की मंगल कामनाएँ ...

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  3. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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