इक्कीसवीं शताब्दी में जीवन शैली में सुधार, गरीबी में कमी और आर्थिक विकास की ग्रामीण क्षेत्रों तक धमक ने दुनिया का चेहरा बदल दिया था . इस शताब्दी के दो दशकों में तकनीक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जितनी तेजी से प्रगति हुई वह पहले कभी नहीं हुई थी . जिंदगी को मानो पंख लग गए थे . हर दुसरे पल तकनीक पुरानी हो जा रही थी . गति, गति और तेज़ गति... यही तो नारा था इस शताब्दी का . और एक पल में दुनिया ठहर गई है . लॉक डाउन से . कोरोना महामारी ने महामारी शब्द को जिंदा कर दिया है . अन्यथा कुछ वर्षों में यह शब्द, शब्दकोष से बाहर निकल जाता .
कोरोना संक्रमण ने दुनिया के सभी बड़े अर्थव्यवस्थाओं की नीव हिला दी है . दुनिया की तमाम आर्थिक ताकतें आज ढहने के कगार पर खड़ी हैं . एक ओर जहाँ आने वाले कई सालों तक दुनिया भर में मांग की कमी रहेगी, बाजार सिमटा रहेगा वहीँ दुनिया भर में बेरोज़गारी सबसे बड़ी समस्या रहेगी .
नेशनल सैंपल सर्वे और पीरियाडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार गैर कृषि क्षेत्रों में 13.6 करोड़ रोज़गार के अवसर ख़त्म हो जायेंगे इसमें पर्यटन, बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, वस्त्र उद्योग, निर्माण क्षेत्र आदि शामिल हैं .
एक अनुमान के अनुसार वस्त्र, सीमेंट, खाद्य प्रसंस्करण, प्लास्टिक , मेटल आदि क्षेत्रों में 9 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो जायेंगे . इसमें छोटे और मझौले उद्योग, डीलर नेटवर्क और स्वरोजगार से जुड़े लोग अधिक बेरोजगार होंगे.
एक निजी रिसर्च एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि पहले से मांग की समस्या से घिरा ऑटोमोबाइल उद्योग में बीस लाख लोगों के बेरोजगार होने की सम्भावना है . इसमें आधे लोग डीलर नेटवर्क और फ्रंट लाइन स्टाफ होंगे जो मांग की कमी की वज़ह से नौकरी से बाहर होंगे .
कहा जाता है कि वर्तमान में लगभग 4.6 करोड़ कामगार ऐसे असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं जहाँ उन्हें किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा की सुविधा नहीं मिली हुई है . ऐसे मजदूरों और कामगारों पर रोज़गार छिनने का खतरा सबसे अधिक है .
आगरा के फुटवेयर क्लस्टर में लगभग दस लाख लोग रोज़गार में लगे हुए हैं . इनमे जहाँ एक तरफ असंगठित मजदूर हैं तो दूसरी तरफ छोटे छोटे स्वरोजगारी उद्यमी हैं . यहाँ दोनों पर ही बराबर खतरा है . इसी तरह तमिलनाडु का तिरुपुर टेक्सटाइल क्लस्टर है जहाँ एक सिलाई मशीन लेकर भी लाखों लोग अपना उद्यम चला रहे हैं . तमिलनाडु में वस्त्र उद्योग में लगभग एक करोड़ नौकरी जाने का खतरा है .
कोरोना महामारी के कारण वैश्विक निर्यात का परिदृश्य भी निराशा से भरा हुआ है . विगत दो महीनो में निर्यात के आदेश निरस्त हो रहे हैं चाहे वह वस्त्र हो, फैशन हो या फुटवेयर हो . निर्यात उन्मुख उद्यम अधिक से अधिक तीन महीने तक अपने कामगारों को काम पर रख सकते हैं . यदि इस दौरान बाज़ार में सुधार नहीं होता है तो लगभग एक करोड़ से अधिक लोगों को अपने रोज़गार से हाथ धोना पड सकता है .
इन से भी निराशाजनक स्थिति सेवा उद्योग यानी सर्विस सेक्टर की है . इस क्षेत्र में इवेंट मैनेजमेंट, रेस्तरा, स्पोर्ट्स इवेंट्स, शादी व्याह, फोटोग्राफी, क्रिएटिव, एंटरटेनमेंट उद्योग आदि शामिल हैं जहाँ विगत दो महीनो से सब कुछ ठप्प पड़ा है और अगले दो महीनो तक कोई उम्म्मीद भी नहीं दिख रही है .
बाज़ार की रौनक मध्य वर्ग से आती है जो मांग को बढाता है , बाज़ार को विस्तार देता है लेकिन वह मध्य वर्ग जहाँ एक तरफ अपने रोज़गार के जूझेगा वहीँ वह अपनी बचत को खर्च करने से भी बचेगा . इसी मध्यवर्ग के ऊपर ईएम्आई का भी दवाब रहता है .
यदि विशेषज्ञों की माने तो देश में 13.6 करोड़ लोग कोरोना की मार से बेरोजगार हो जायेंगे और अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 1-2% तक हो जायेगी . देश के वित्त मंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के चेहरे पर चिंता की लकीरों का गहराना वाजिब ही है .
गौर करने वाली बात होगी कि भारत कोरोना और उससे उपजी आर्थिक मंदी से कैसे निपटता है ?
कोरोना संक्रमण ने दुनिया के सभी बड़े अर्थव्यवस्थाओं की नीव हिला दी है . दुनिया की तमाम आर्थिक ताकतें आज ढहने के कगार पर खड़ी हैं . एक ओर जहाँ आने वाले कई सालों तक दुनिया भर में मांग की कमी रहेगी, बाजार सिमटा रहेगा वहीँ दुनिया भर में बेरोज़गारी सबसे बड़ी समस्या रहेगी .
नेशनल सैंपल सर्वे और पीरियाडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार गैर कृषि क्षेत्रों में 13.6 करोड़ रोज़गार के अवसर ख़त्म हो जायेंगे इसमें पर्यटन, बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, वस्त्र उद्योग, निर्माण क्षेत्र आदि शामिल हैं .
एक अनुमान के अनुसार वस्त्र, सीमेंट, खाद्य प्रसंस्करण, प्लास्टिक , मेटल आदि क्षेत्रों में 9 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो जायेंगे . इसमें छोटे और मझौले उद्योग, डीलर नेटवर्क और स्वरोजगार से जुड़े लोग अधिक बेरोजगार होंगे.
एक निजी रिसर्च एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि पहले से मांग की समस्या से घिरा ऑटोमोबाइल उद्योग में बीस लाख लोगों के बेरोजगार होने की सम्भावना है . इसमें आधे लोग डीलर नेटवर्क और फ्रंट लाइन स्टाफ होंगे जो मांग की कमी की वज़ह से नौकरी से बाहर होंगे .
कहा जाता है कि वर्तमान में लगभग 4.6 करोड़ कामगार ऐसे असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं जहाँ उन्हें किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा की सुविधा नहीं मिली हुई है . ऐसे मजदूरों और कामगारों पर रोज़गार छिनने का खतरा सबसे अधिक है .
आगरा के फुटवेयर क्लस्टर में लगभग दस लाख लोग रोज़गार में लगे हुए हैं . इनमे जहाँ एक तरफ असंगठित मजदूर हैं तो दूसरी तरफ छोटे छोटे स्वरोजगारी उद्यमी हैं . यहाँ दोनों पर ही बराबर खतरा है . इसी तरह तमिलनाडु का तिरुपुर टेक्सटाइल क्लस्टर है जहाँ एक सिलाई मशीन लेकर भी लाखों लोग अपना उद्यम चला रहे हैं . तमिलनाडु में वस्त्र उद्योग में लगभग एक करोड़ नौकरी जाने का खतरा है .
कोरोना महामारी के कारण वैश्विक निर्यात का परिदृश्य भी निराशा से भरा हुआ है . विगत दो महीनो में निर्यात के आदेश निरस्त हो रहे हैं चाहे वह वस्त्र हो, फैशन हो या फुटवेयर हो . निर्यात उन्मुख उद्यम अधिक से अधिक तीन महीने तक अपने कामगारों को काम पर रख सकते हैं . यदि इस दौरान बाज़ार में सुधार नहीं होता है तो लगभग एक करोड़ से अधिक लोगों को अपने रोज़गार से हाथ धोना पड सकता है .
इन से भी निराशाजनक स्थिति सेवा उद्योग यानी सर्विस सेक्टर की है . इस क्षेत्र में इवेंट मैनेजमेंट, रेस्तरा, स्पोर्ट्स इवेंट्स, शादी व्याह, फोटोग्राफी, क्रिएटिव, एंटरटेनमेंट उद्योग आदि शामिल हैं जहाँ विगत दो महीनो से सब कुछ ठप्प पड़ा है और अगले दो महीनो तक कोई उम्म्मीद भी नहीं दिख रही है .
बाज़ार की रौनक मध्य वर्ग से आती है जो मांग को बढाता है , बाज़ार को विस्तार देता है लेकिन वह मध्य वर्ग जहाँ एक तरफ अपने रोज़गार के जूझेगा वहीँ वह अपनी बचत को खर्च करने से भी बचेगा . इसी मध्यवर्ग के ऊपर ईएम्आई का भी दवाब रहता है .
यदि विशेषज्ञों की माने तो देश में 13.6 करोड़ लोग कोरोना की मार से बेरोजगार हो जायेंगे और अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 1-2% तक हो जायेगी . देश के वित्त मंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के चेहरे पर चिंता की लकीरों का गहराना वाजिब ही है .
गौर करने वाली बात होगी कि भारत कोरोना और उससे उपजी आर्थिक मंदी से कैसे निपटता है ?
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
19/04/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
धन्यवाद कुलदीप जी
हटाएंसमसामयिक और विचारणीय पोस्ट।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रूपचन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेख
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओमकार जी
हटाएंआपकी पोस्ट कैसे छूट गयी पता नहीं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
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